प्रमोद भार्गव का ब्लॉग: सतर्कता तकनीक से अभी भी वंचित रेल

By प्रमोद भार्गव | Published: February 4, 2019 06:48 PM2019-02-04T18:48:10+5:302019-02-04T18:48:10+5:30

भारतीय रेल विश्व का सबसे बड़ा व्यावसायिक प्रतिष्ठान है, लेकिन इस ढांचे को किसी भी स्तर पर विश्वस्तरीय नहीं माना जाता.

Pramod Bhargava's blog: Vector Technology still disadvantaged rail | प्रमोद भार्गव का ब्लॉग: सतर्कता तकनीक से अभी भी वंचित रेल

प्रमोद भार्गव का ब्लॉग: सतर्कता तकनीक से अभी भी वंचित रेल

 बिहार में सीमांचल एक्सप्रेस के 11 डिब्बे पटरी से उतर गए. यह दुर्घटना वैशाली जिले के सहदेई बुजुर्ग रेलवे स्टेशन के पास हुई. रेल मंत्रलय के आंकड़ों से पता चलता है कि नरेंद्र मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान अब तक छोटे-बड़े मिलाकर 350 से भी ज्यादा रेल हादसे हो चुके हैं. हालांकि रेल मंत्रलय ने हादसों पर अंकुश लगाने के अनेक तकनीकी व सुरक्षा उपाय किए हैं, लेकिन कारगर परिणाम नहीं निकले. रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने हादसे रोकने के लिए ‘मिशन जीरो एक्सीडेंट’ अभियान भी शुरू किया था, किंतु नतीजे प्रभावी नहीं दिखे. इस अभियान के तहत त्वरित पटरी नवीनीकरण, अल्ट्रासोनिक रेल पहचान प्रणाली और मानव रहित रेलवे क्रॉसिंग खत्म किए जाने के दावे किए गए थे. पीयूष गोयल ने अंतरिम बजट में दावा किया है कि अब मानवयुक्त सभी फाटकों पर नीचे अथवा ऊपर के सेतु बना दिए गए हैं. 

ज्यादातर रेल हादसे ठीक से इंटरलॉकिंग नहीं किए जाने और मानवरहित रेलवे पार-पथ पर होते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के केंद्रीय सत्ता पर आसीन होने के बाद ये दावे बहुत किए गए हैं कि डिजिटल इंडिया और स्टार्टअप के चलते रेलवे के हादसों में कमी आएगी. इसरो ने अंतरिक्ष में उपग्रह छोड़ते समय ऐसे बहुत दावे किए कि रेलवे को ऐसी सतर्कता प्रणाली से जोड़ दिया गया है, जिससे मानव रहित फाटक से रेल के गुजरते समय या ठीक से इंटरलॉकिंग नहीं होने के संकेत मिल जाएंगे. नतीजतन रेल चालक और फाटक पार करने वाले यात्री सतर्क हो जाएंगे. लेकिन इसी प्रकृति के एक के बाद एक रेल हादसों के सामने आने से यह साफ हो गया है कि आधुनिक कही जाने वाली डिजिटल तकनीक से दुर्घटना के क्षेत्र में रेलवे को कोई खास लाभ नहीं हुआ है.     

भारतीय रेल विश्व का सबसे बड़ा व्यावसायिक प्रतिष्ठान है, लेकिन इस ढांचे को किसी भी स्तर पर विश्वस्तरीय नहीं माना जाता. इसकी सरंचना को विश्वस्तरीय बनाने की दृष्टि से कोशिशें तेज जरूर होती दिख रही हैं, लेकिन उनके कारगर नतीजे देखने में नहीं आ रहे हैं. एक ओर तो सुविधा संपन्न तेज गति की प्रीमियम,   बुलेट ट्रेनों को पटरियों पर उतारने के दावे हो रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ हादसे भी बढ़ रहे हैं. 

रेलवे ने आरडीएसओ को एसएमएस आधारित सतर्कता प्रणाली (एडवांस वॉर्निग सिस्टम) विकसित करने की जिम्मेदारी दी थी. इस प्रणाली को रेडियो फ्रीक्वेंसी एंटीना में क्रॉसिंग के आसपास एक किमी के दायरे में सभी वाहन चालकों व यात्रियों के मोबाइल पर एसएमएस भेजकर आगे आने वाली क्रॉसिंग और रेल के बारे में सावधान किया जाना था. इसमें जैसे-जैसे वाहन क्रॉसिंग के नजदीक पहुंचता, उसके पहले कई एसएमएस और फिर ब्लिंकर और फिर अंत में हूटर के मार्फत वाहन चालक को सावधान करने की व्यवस्था थी. साथ ही रेल चालक को भी फाटक के बारे में सूचना देने का प्रावधान था. लेकिन जब इस तकनीक का अभ्यास किया गया तो यह परिणाम में खरी नहीं उतरी. 

Web Title: Pramod Bhargava's blog: Vector Technology still disadvantaged rail

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