प्रमोद भार्गव का ब्लॉग: भारत में आतंकवाद से लड़ेगी रोबोट- आर्मी

By प्रमोद भार्गव | Published: November 23, 2019 07:46 AM2019-11-23T07:46:18+5:302019-11-23T07:46:18+5:30

Pramod Bhargava's blog: Robo will fight terrorism in India | प्रमोद भार्गव का ब्लॉग: भारत में आतंकवाद से लड़ेगी रोबोट- आर्मी

प्रमोद भार्गव का ब्लॉग: भारत में आतंकवाद से लड़ेगी रोबोट- आर्मी

मनुष्य की सोच असीम संभावनाओं से जुड़ी है. कल्पना से शुरू होने वाले विचार सच्चाई के धरातल पर आकार लेते हैं, तो आंखें हैरान रह जाती हैं. इसी कड़ी में अब रोबो सेना जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों से लड़ने के लिए उतारी जा रही है. ये रोबोट आतंकियों के गुप्त ठिकानों में दृश्य व अदृश्य शक्ति के रूप में उतरकर उनकी मौजूदगी की सटीक जानकारी तो देंगे ही, अलबत्ता उन्हें पलों में तबाह भी कर देंगे.  

ये रोबोट घाटी एवं नियंत्रण रेखा पर जो आतंक प्रभावित क्षेत्र हैं, उनमें सेना की आतंकरोधी इकाई और सुरक्षा बलों के लिए सुरक्षा के लौह कवच सिद्ध होंगे. इनकी सीमा पर उपलब्धता के साथ ही सेना को पूरी तरह हाईटेक बना दिया जाएगा. यही नहीं, दुश्मन की घुसपैठ को नाकाम बनाने और पाकिस्तानी सेना के हमलों से मुकाबले में भी यह रोबोट सेना के लिए फलदायी सिद्ध होंगे. कृत्रिम बुद्धि (एआई) वाले ये रोबोट सेना के रूप में सीमा पर शक्ति का पर्याय बनके दुश्मन पर कहर बरपाएंगे.

कृत्रिम बौद्धिकता यानी आर्टिफिसियल इंटेलिजेंस पिछले एक दशक से अपनी हैरतअंगेज उपलब्धियों व भविष्य की संभावनाओं के चलते दुनिया में चर्चा का विषय बनी हुई है. एलोन मस्क, बिल गेट्स और स्टीफन हॉकिंग ने इसकी अतिरिक्त बुद्धि एवं शक्ति से शंकित होकर कई बार चेताया भी है. बावजूद इसके अनेक ऐसे पूंजी-निवेशक और वैज्ञानिक हैं, जो एआई को एक बेहतर भविष्य के सपने के रूप में देखते रहे हैं. क्योंकि आज रोबोट कारखानों में मजदूरी के काम से लेकर शिक्षक, टीवी एंकर, नर्स और अब सैनिक की भूमिका में अवतरित होने जा रहा है. 

सॉफ्ट बैंक के सीईओ मासायोशी सॉन ने कहा है कि कालांतर में हमारे जूते भी हमारे दिमाग से कहीं ज्यादा होशियार होंगे. इसलिए सवाल उठ रहे हैं कि कहीं भविष्य में यह मशीनी रोबोट मनुष्य पर ही भारी न पड़ जाए. मानव और मशीन के बीच पैदा होने वाले ये द्वंद्व हकीकत में किस सच्चाई के रूप में सामने आएंगे, यह तो फिलहाल भविष्य के गर्भ में है, लेकिन जब-जब कोई नया अविष्कार हुआ है तो वह शंका का कारण तो बना ही है.

सेना को बदलते परिवेश की जरूरतों के अनुसार ढालना जरूरी है, क्योंकि पाकिस्तान और चीन की सीमा पर दृश्य दुश्मनों से कहीं ज्यादा अदृश्य दुश्मनों की चुनौती पिछले तीन दशक से पेश आ रही है.  सुरक्षा बलों के लिए आतंकियों के विरुद्ध कार्रवाई में सबसे बड़ी चुनौती उनकी सही संख्या और उनके पास उपलब्ध हथियारों की पूरी जानकारी लेने की होती है. ये रोबोट अभियान के दौरान किसी भी मकान या अन्य गुप्त आतंकी ठिकाने में सरलता से घुसकर वहां की गतिविधियों की पूरी जानकारी लेजर किरणों से स्केन कर सेना के सक्षम कंप्यूटरों में उतार देंगे.

रोबोटिक्स आर्मी यूनिट को संचालित करने के लिए सैन्य अधिकारियों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा. सेना की प्रत्येक बटालियन में सात से आठ अधिकारियों व जवानों को इसका प्रशिक्षण दिया जाएगा. दुश्मन के घर में घुसकर मार करने में सक्षम रोबोटिक युद्धक वाहन (आरसीवी) खरीदने पर भी सेना विचार कर रही है. ये युद्धक वाहन सेना का हिस्सा बन जाएंगे, तब भारतीय सेना बहुत शक्तिशाली हो जाएगी. 

दरअसल दुश्मन के पास इस समय अदृश्य शक्तिके रूप में ऐसी सैन्य नेटवर्क प्रणाली है, जो आसमान से धावा बोलकर तकनीकी तौर पर किसी भी दुश्मन की सेना को पंगु बना सकती है. गौर करने की बात है कि आज के ज्यादातर हथियार और सैन्य उपकरण कंप्यूटर आधारित नेटवर्क प्रणाली से जुड़े हैं. नतीजतन मामूली चूक भी किसी भी सेना की सैन्य प्रणाली को ठप कर सकती है. 

बेशक इस नए जमाने की लड़ाई से मुकाबले के लिए सायबर कमांड और तकनीकी किलेबंदी की दिशा में भारतीय सेना ने बहुत काम किया है. बावजूद चीन की तुलना में हम बहुत पीछे हैं और चीन पाकिस्तान का मित्र है. लिहाजा भारत सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक भारतीय सेना को सबसे घातक व समर्थ सेना के रूप में खड़ा कर दिया जाए.
रोबो सैनिक की सेवा देने की उम्र 25 साल रहेगी. 

ये इतने चपल होंगे कि जवाबी कार्रवाई के लिए तुरंत 360 डिग्री घूमकर दुश्मन पर अचूक निशाना साधने में सक्षम होंगे. ये रोबोट सीढ़ियां चढ़ने व उतरने, बम-धमाकों व गोलाबारी के दौरान लगने वाले झटकों को भी सहन करने में सक्षम होंगे. ये लड़ाकू रोबोट पानी के नीचे 20 मीटर की गहराई तक भी काम करने में दक्ष होंगे. पानी के भीतर से ही ये ग्रेनेड को निर्धारित लक्ष्य पर दागकर वहां से तुरंत लौट सकते हैं. ये रोबोट सैनिक पीआईआर सेंसर व मोशन सेंसर की मदद से 10-15 किमी दूर से ही दुश्मन की गतिविधियों का अहसास कर लेंगे.

इनमें रडार, जीएसएम और जीपीएस सिस्टम लगे होंगे, जो इतनी ही दूरी तक के स्थल को ट्रेस कर सेना के नियंत्रण कक्ष को जानकारी भेज देंगे. ये रोबोट सैनिक इसलिए इतने बौद्धिक रूप से सक्षम व चपल होंगे, क्योंकि इनके सॉफ्टवेयर की सरंचना में इतनी बुद्धि डाल दी जाएगी कि भविष्य में ये मनुष्य के जैविक दिमाग से कहीं ज्यादा तेज गति से काम करने लग जाएंगे.
 

Web Title: Pramod Bhargava's blog: Robo will fight terrorism in India

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