प्रमोद भार्गव का ब्लॉग: दुग्ध उत्पाद का आयात तो टला लेकिन मिलावट तब भी बड़ी समस्या है

By प्रमोद भार्गव | Published: April 17, 2023 02:03 PM2023-04-17T14:03:54+5:302023-04-17T14:10:34+5:30

केंद्र सरकार ने 8 अप्रैल को कुछ डेयरी उत्पादों के आयात की संभावना जताई थी। दरअसल यह संभावना इसलिए थी क्योंकि लंपी वायरस के चलते देश में 1 लाख 86 हजार पशुधन की मौत से दूध उत्पादन में स्थिरता बनी हुई है।

Pramod Bhargava's blog: Import of milk products postponed but adulteration is still a big problem | प्रमोद भार्गव का ब्लॉग: दुग्ध उत्पाद का आयात तो टला लेकिन मिलावट तब भी बड़ी समस्या है

फाइल फोटो

Highlightsकेंद्र सरकार दूध के सह-उत्पाद घी, मक्खन और चीज के आयात पर विचार कर रही हैशरद पवार ने इसका विरोध करते हुए कहा कि इससे दुग्ध उत्पादक किसानों को बड़ा नुकसान होगाकेंद्र ने फिलहाल शरद पवार के बयान की आड़ में आयात की संभावनाओं को टाल दिया है

देश में दूध के बढ़ते दाम के चलते केंद्र सरकार यह मंशा बना रही थी कि जरूरत पड़ी तो दूध के सह-उत्पाद घी, मक्खन और चीज का आयात किया जाएगा। सरकार की इस घोषणा का विपक्षी नेता शरद पवार ने जबरदस्त विरोध करते हुए कहा था कि इससे दुग्ध उत्पादक किसानों और देशी डेयरी उद्योग को बड़ा नुकसान होगा क्योंकि घी और मक्खन के दाम घट जाएंगे। केंद्र सरकार ने पवार के इस बयान की आड़ में आयात की संभावनाओं को फिलहाल टाल दिया है।

केंद्रीय मत्स्य, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने एक बयान देकर स्पष्ट किया है कि देश में दूध, घी और मक्खन की कोई कमी नहीं है। अतएव इनका आयात नहीं किया जाएगा। दरअसल सरकार ने 8 अप्रैल को कुछ डेयरी उत्पादों के आयात की संभावना जताई थी। यह संभावना इसलिए भी थी क्योंकि लंपी वायरस के चलते देश में 1 लाख 86 हजार पशुधन की मौत से दूध उत्पादन में स्थिरता बनी हुई है। उसके बाद भी दूध की कमी और उत्पादन लागत बढ़ने से मूल्यों में वृद्धि हुई तो इसे रोकने का एकमात्र उपाय आयात ही है।

दुनिया में दूध उत्पादन में अव्वल होने के साथ हम दूध की खपत में भी अव्वल हैं। देश के प्रत्येक नागरिक को औसतन 290 ग्राम दूध रोजाना मिलता है। इस हिसाब से कुल खपत प्रतिदिन 45 करोड़ लीटर दूध की हो रही है। जबकि शुद्ध दूध का उत्पादन इस अनुपात में बहुत कम है। 2021-22 में दूध का उत्पादन 221 मिलियन टन रहा, जो पिछले वर्ष के 208 मिलियन टन से 6.25 प्रतिशत अधिक था।

मवेशियों में लंपी त्वचा रोग के चलते 2022-23 में दूध का उत्पादन तो स्थिर रहा, लेकिन इसी अवधि में इसकी घरेलू मांग 8-10 प्रतिशत बढ़ गई। नतीजतन सरकार दूध के दामों में वृद्धि न हो, इस नजरिये से दूध के सह-उत्पादों के आयात की मंशा बना रही थी। बिना किसी सरकारी मदद के बूते देश में दूध का 70 फीसदी कारोबार असंगठित ढांचा संभाल रहा है। इस कारोबार में ज्यादातर लोग अशिक्षित हैं लेकिन पारंपरिक ज्ञान से वे बड़ी मात्रा में दुग्ध उत्पादन में सफल हैं।

दूध का 30 फीसदी कारोबार संगठित ढांचा अर्थात डेयरियों के माध्यम से होता है। इस कारोबार की सबसे बड़ी खूबी यह है कि इससे सात करोड़ से भी ज्यादा लोगों की आजीविका जुड़ी है। रोजाना दो लाख से भी अधिक गांवों से दूध एकत्रित करके डेयरियों में पहुंचाया जाता है। बड़े पैमाने पर ग्रामीण सीधे शहरी एवं कस्बाई ग्राहकों तक भी दूध बेचने का काम करते हैं। इतना व्यापक और महत्वपूर्ण व्यवसाय होने के बावजूद इसकी गुणवत्ता पर निगरानी के लिए कोई नियामक तंत्र देश में नहीं है। इसलिए दूध की मिलावट में इंसानी लालच बड़ी समस्या बना हुआ है।

Web Title: Pramod Bhargava's blog: Import of milk products postponed but adulteration is still a big problem

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे