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प्रकाश बियाणी का ब्लॉग: अयोध्या-यह भी एक ऐतिहासिक फैसला

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: November 18, 2019 22:34 IST

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि भविष्य में भी दिवालिया कानून के तहत जो वसूली होगी उसमें फाइनेंशियल कर्जदारों के सिक्योर्ड कर्ज (किसी संपदा को रेहन रखकर दिए कर्ज) की पहले वसूली होगी फिर आॅपरेशनल कर्जदारों (सप्लायर आदि) को पैसा मिलेगा. इस फैसले के बाद अन्य डिफाल्टरों से भी शीघ्र वसूली होगी.

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राम मंदिर की तरह देश के फाइनेंशियल सिस्टम के लिए सुप्रीम कोर्ट का एक और ऐतिहासिक फैसला है लक्ष्मी मित्तल को एस्सार स्टील सौंपना. इस फैसले से भारतीय स्टेट बैंक, कनारा बैंक, स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, बैंक आॅफ बड़ोदा आईडीबीआई बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, यूनियन बैंक आॅफ इंडिया और बैंक आॅफइंडिया को 37,198 करोड़ रु पए. मिलेंगे.

यही नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि भविष्य में भी दिवालिया कानून के तहत जो वसूली होगी उसमें फाइनेंशियल कर्जदारों के सिक्योर्ड कर्ज (किसी संपदा को रेहन रखकर दिए कर्ज) की पहले वसूली होगी फिर आॅपरेशनल कर्जदारों (सप्लायर आदि) को पैसा मिलेगा. इस फैसले के बाद अन्य डिफाल्टरों से भी शीघ्र वसूली होगी.याद करें कि 1995 में लक्ष्मी मित्तल ने पुश्तैनी कारोबार में से अपने लिए विदेशी कारोबार (इस्पात इंटरनेशनल) लेकर भारत छोड़ा था. इसके बाद त्रिनिदाद, मेक्सिको, रूस, चेक गणराज्य, शिकागो, युक्रे न में उन्होंने सरकारी रु ग्ण स्टील संयंत्रों को अधिगृहीत किया और उन्हें मुनाफा अर्जक बनाया.

ग्लोबल स्टील किंग बनने का उनका स्वप्न वर्ष 2006 में पूरा हुआ जब उन्होंने यूरोप की आरसेलर को अधिगृहीत किया. इस होस्टाइल एक्विजेशन (जबरन अधिग्रहण) के लिए लक्ष्मी मित्तल और उनके पुत्र आदित्य मित्तल ने छह माह तक भीषण वाणिज्यिक युद्ध लड़ा था. सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने लक्ष्मी मित्तल की घर वापसी की जिद भी पूरी की है.

2004 में झारखंड और 2006 में ओडिशा में 12 मिलियन टन का प्लांट लगाना चाहा पर सरकारी अनुमतियां मिलने में विलंब हुआ और ये प्रोजेक्ट कागज में ही रह गए. 2009 में उत्तम गाल्वा स्टील्स की इक्विटी खरीदी तो 2015 में उनके और स्टील अथॉरिटी आॅफ इंडिया (सेल) के बीच आॅटो ग्रेड स्टील बनाने की सहमति हुई पर ये भी जमीनी हकीकत नहीं बने.

2018 में लक्ष्मी मित्तल ने एस्सार स्टील की बोली लगाई पर रुईयाज ने कानूनी दांवपेंच खेले. 800 दिन की प्रतीक्षा के बाद अब सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले से लक्ष्मी मित्तल भारत में स्टील बनाएंगे. इससे भारतीय स्टील उद्योग में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी. एस्सार स्टील मिलने के बाद लक्ष्मी मित्तल देश के चौथे सबसे बड़े स्टील निर्माता होंगे पर वे थमनेवाले नहीं हैं. अधिग्रहण उनका स्वभाव है. उनकी निगाहें सरकारी क्षेत्र की सेल पर है जिसकी खरीद के लिए वे पहले भी लॉबिंग कर चुके हैं.

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