प्रकाश बियाणी का ब्लॉग: कर्ज के दुष्चक्र में फंसने को मजबूर मध्यम वर्ग

By Prakash Biyani | Published: May 22, 2020 12:16 PM2020-05-22T12:16:26+5:302020-05-22T12:16:26+5:30

सरकार को मिडिल क्लास को भी राहत देनी चाहिए. अमेरिका की तरह यह राहत सीधे उनके खाते में जमा करे. आप कहेंगे कि अमेरिका अमीर देश है तो यह जान लीजिए कि मिडिल क्लास जो कर चुकाता है, उससे ही सरकार गरीबों को मदद करती है. और यह मिडिल क्लास की बचत ही है जो बैंक से अमीरों को कर्ज बनकर मिलती है.

Prakash Biyani blog: Middle class forced to get stuck in debt vicious cycle | प्रकाश बियाणी का ब्लॉग: कर्ज के दुष्चक्र में फंसने को मजबूर मध्यम वर्ग

तस्वीर का इस्तेमाल केवल प्रतीकात्मक तौर पर किया गया है। (फाइल फोटो)

भारत की बहुसंख्यक आबादी मध्यम वर्गीय है इसलिए दुनिया हमारे देश को मिडिल ग्रुप की इकोनॉमी कहती है. यह इसलिए भी कि मिडिल क्लास वर्क फोर्स ही देश बनाती और चलाती है. अमीरों को खुशफहमी है कि देश की जीडीपी में उनका सबसे ज्यादा योगदान है. उनका योगदान केवल पूंजी है, बिना मिडिल क्लास वे और सरकार कुछ नहीं कर सकते. यही नहीं, अमीरों और गरीबों पर राजनीतिक दल भरोसा नहीं करते क्योंकि गरीबों के वोट कई बार बिक जाते हैं और अमीरों का दर्शन है- ‘जिधर दम उधर हम.’ यानी मोदीजी को 2014 और 2019 में मिडिल क्लास ने प्रधानमंत्नी बनाया है.

विडम्बना है कि सरकार कोरोना काल में उन्हें ही भूल गई है. जी हां, लॉकडाउन के 50 दिन अमीरों ने नहीं कमाया तो भी उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ा. और गरीब? उन्हें तो सरकार से नगदी मदद और राशन मिल रहा है. पर मिडिल क्लास को क्या मिला? ब्याज दर में चुल्लू भर छूट या ईएमआई का सस्पेंशन जो बाद में चक्रवृद्धि ब्याज से चुकानी पड़ेगी. सरकार की इस उपेक्षा का दुष्परिणाम है कि देश का मध्यमवर्ग ‘‘विसियस सर्कल ऑफ पावर्टी’’ यानी गरीबी के दुष्चक्र  में फंस गया है.

अर्थशास्त्न के अनुसार यह ऐसा चक्रव्यूह है जिसमें प्रवेश आसान है, निकासी मुश्किल. इसे भी सीधे-सीधे कहें तो लॉकडाउन के 50 दिनों में देश की मिडिल क्लास वर्कफोर्स में बहुत कम को पूरा वेतन मिला है, कुछ को आंशिक तो ऐसे लोग ज्यादा है जिन्हें वेतन मिला ही नहीं है. पर उनके जरूरी खर्च मकान किराया, दूध और दवा का खर्च, बिजली-जल का बिल, स्कूल कॉलेज की फीस, कर्ज की किश्त उन्हें चुकाना ही है. इन सबके बावजूद मध्यम वर्ग इतना संवेदनशील भी है कि उसे वेतन मिले या नहीं वह अपनी कामवाली बाई को पैसे भी दे रहा है. बिना कमाई इस खर्च को जुटाने के लिए मध्यम वर्ग के पास एक ही विकल्प है कि वह कर्ज ले और यह कर्ज ही गरीबी के दुश्चक्र  का प्रवेश द्वार है.

अब जरा एक नजर मिडिल क्लास की कमजोरी और ताकत पर भी डालें. अमीर क्यू में खड़ा नहीं होता, गरीब जुगाड़ कर लेता है और मध्यम वर्ग लाइन में ही इंतजार करता रह जाता है. और मिडिल क्लास इतना स्वाभिमानी है कि अपनी गरीबी छुपाने के लिए पत्नी का मंगलसूत्न भी बेच देता है पर किसी के आगे हाथ नहीं फैलाता.

सरकार को मिडिल क्लास को भी राहत देनी चाहिए. अमेरिका की तरह यह राहत सीधे उनके खाते में जमा करे. आप कहेंगे कि अमेरिका अमीर देश है तो यह जान लीजिए कि मिडिल क्लास जो कर चुकाता है, उससे ही सरकार गरीबों को मदद करती है. और यह मिडिल क्लास की बचत ही है जो बैंक से अमीरों को कर्ज बनकर मिलती है.

देश की अर्थव्यवस्था की धुरी मिडिल क्लास को सरकार ने गरीबी के दुष्चक्र  से नहीं बचाया तो अर्थव्यवस्था नहीं संभलेगी.

Web Title: Prakash Biyani blog: Middle class forced to get stuck in debt vicious cycle

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