ब्लॉग: कश्मीर में फिर तुष्टिकरण की राजनीति!
By ललित गर्ग | Published: November 8, 2024 10:17 AM2024-11-08T10:17:59+5:302024-11-08T10:18:44+5:30
लेकिन भाजपा ने ‘एक विधान एक निशान’ और राष्ट्रवाद के प्रति अपनी संकल्पबद्धता को दोहराते हुए इस प्रस्ताव का विरोध कर बताया कि वह प्रत्यक्ष तो क्या परोक्ष तौर पर भी किसी को घड़ी की सुइयां पीछे मोड़ने की अनुमति नहीं देगी.
जम्मू-कश्मीर विधानसभा में नेशनल कॉन्फ्रेंस एवं उमर अब्दुल्ला सरकार ने सदन में अपने बहुमत का लाभ उठाते हुए बुधवार को बिना अनुच्छेद 370 की पुनर्बहाली शब्द का इस्तेमाल किए, विशेष दर्जे की बहाली का प्रस्ताव तीखी झड़पों, हाथापाई एवं शोर-शराबे के बीच ध्वनिमत से पारित करा, साबित कर दिया है कि वह पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के साथ इस होड़ में पीछे रहने के मूड में नहीं है.
ऐसा लगता है कि जम्मू-कश्मीर में अलगाववाद और तुष्टिकरण की राजनीति फिर से परवान चढ़ने लगी है, आम कश्मीरी अवाम को गुमराह कर उसे बर्बादी की तरफ धकेलने की कुचेष्टाएं प्रारंभ हो गई हैं. इस पारित प्रस्ताव में केंद्र सरकार से कहा गया है कि वह विशेष दर्जा वापस देने के लिए राज्य के प्रतिनिधियों से बातचीत करे.
बुधवार को नवगठित राज्य विधानसभा में जब यह प्रस्ताव उप-मुख्यमंत्री सुरिंदर सिंह चौधरी ने पेश किया, तभी यह स्पष्ट हो गया था कि चौधरी का चयन ही इसलिए किया गया है कि भारतीय जनता पार्टी इसे सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश न कर सके. लेकिन भाजपा ने ‘एक विधान एक निशान’ और राष्ट्रवाद के प्रति अपनी संकल्पबद्धता को दोहराते हुए इस प्रस्ताव का विरोध कर बताया कि वह प्रत्यक्ष तो क्या परोक्ष तौर पर भी किसी को घड़ी की सुइयां पीछे मोड़ने की अनुमति नहीं देगी.
जब तक केंद्र में भारतीय जनता पार्टी की नरेंद्र मोदी सरकार है, कोई भी अनुच्छेद 370 और 35ए को वापस नहीं ला सकता. अनुच्छेद 370 एक मरा हुआ सांप है, जिसे वह एक गले से दूसरे गले में डाल जहर, आतंक एवं हिंसा फैलाने के षड्यंत्र को सफल नहीं होने देगी. कश्मीर के नेताओं को समझना ही होगा कि पूरे भारत में अनुच्छेद 370 को लेकर जैसा जनमानस है, उसे देखते हुए इसकी वापसी असंभव है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों से अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर की धरती पर अनेक सकारात्मक स्थितियां उद्घाटित हुई हैं, विशेषतः लोकतंत्र को जीवंतता मिली है, वहां की अवाम ने चुनावों में बढ़-चढ़कर भाग लिया, शांति एवं विकास से इस प्रांत में एक नई इबारत लिखी जाने लगी है.
जम्मू-कश्मीर हमारे देश का वो गहना है जिसे जब तक संपूर्ण भारत के साथ जोड़ा नहीं जाता, वहां शांति, आतंकमुक्ति एवं विकास की गंगा प्रवाहमान नहीं होती, अधूरापन-सा नजर आता रहा है इसलिए इसे शेष भारत के साथ हर दृष्टि से जोड़ा जाना महत्वपूर्ण है और यह कार्य मोदी एवं उनकी सरकार ने करके एक नए सूरज को उदित किया है. अब उस सूरज को अस्त नहीं होने दिया जाएगा.
बड़ी जद्दोजहद से वहां एक नया दौर शुरू हुआ है, अब इस सुनहरे एवं उजले दौर को स्वार्थी एवं सत्ता की अलगाववादी और विघटनकारी राजनीति की भेंट नहीं चढ़ने देना चाहिए.