ब्लॉग: पेट्रोलियम के ऊंचे दाम के नुकसान और फायदे

By भरत झुनझुनवाला | Published: October 23, 2021 01:51 PM2021-10-23T13:51:06+5:302021-10-23T13:55:05+5:30

हमारे लिए यह मूल्यवृद्धि विशेषकर कष्टप्रद है क्योंकि हम अपनी खपत का 85 प्रतिशत तेल आयात करते हैं. अत: यदि किसी प्राकृतिक आपदा अथवा युद्ध जैसी स्थिति में तेल का आयात नहीं हो सका तो हमारी अर्थव्यवस्था पूरी तरह ठप हो जाएगी.

petroleum crude oil high price loss and benefit | ब्लॉग: पेट्रोलियम के ऊंचे दाम के नुकसान और फायदे

प्रतीकात्मक तस्वीर. (फाइल फोटो)

Highlightsअंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम तीन गुना हो गए हैं.देश में पेट्रोल का दाम 100 रु. प्रति लीटर से भी ऊपर हो गया है.

2016 की तुलना में आज अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम तीन गुना हो गए हैं. इसी के समानांतर अपने देश में पेट्रोल का दाम लगभग 70 रु. से बढ़कर 100 रु. प्रति लीटर से भी ऊपर हो गया है. इसका सीधा प्रभाव महंगाई पर पड़ता है.

हमारे लिए यह मूल्यवृद्धि विशेषकर कष्टप्रद है क्योंकि हम अपनी खपत का 85 प्रतिशत तेल आयात करते हैं. अत: यदि किसी प्राकृतिक आपदा अथवा युद्ध जैसी स्थिति में तेल का आयात नहीं हो सका तो हमारी अर्थव्यवस्था पूरी तरह ठप हो जाएगी.

इसलिए प्रधानमंत्री ने सही कहा था कि हमें अपनी तेल की खपत में आयात का हिस्सा घटाकर 50 प्रतिशत पर लाना चाहिए. तेल की मूल्यवृद्धि से हम इस दिशा में बढ़ेंगे क्योंकि महंगे तेल से तेल की खपत कम होगी. फिर भी तेल के ऊंचे मूल्य की तीन प्रमुख हानियां हैं जिन पर गौर करना होगा.

पहली हानि यह कि हमारा व्यापार घाटा बढ़ता है. तेल महंगा होता है तो हमें उसके आयात के लिए अधिक मात्रा में डॉलर से पेमेंट करना पड़ता है. इन डॉलर को अर्जित करने के लिए हमें अधिक मात्रा में अपना माल निर्यात करना पड़ता है.

अधिक मात्रा में माल को निर्यात करने के लिए हमें अपने माल के दाम को अक्सर घटाना पड़ता है, जैसे बच्चे का विवाह करना हो तो परिवार अपनी भूमि को औने-पौने दाम पर बेचने को मजबूर हो जाता है. इसलिए तेल के ऊंचे दाम से हमारी आर्थिक स्थिति गड़बड़ाती है.

लेकिन इसका उपाय उपलब्ध है. यदि हम विनिर्माण के स्थान पर सेवा क्षेत्र पर ध्यान दें तो हम उतनी ही ऊर्जा से अधिक आय अर्जित कर सकते हैं. सिनेमा, संगीत, मेडिकल, ट्रांसक्रिप्शन, विभिन्न भाषाओं में अनुवाद इत्यादि कार्य में ऊर्जा का उपयोग कम होता है. विनिर्माण की तुलना में सेवा क्षेत्र में दसवां हिस्सा ऊर्जा लगती है.

तेल के ऊंचे दाम का दूसरा प्रभाव महंगाई पर पड़ता है. 2018 में अपने देश में महंगाई की दर 3.4 प्रतिशत थी, जो आज बढ़कर 6.2 प्रतिशत हो गई है. लेकिन साथ-साथ जीएसटी की वसूली में भी सुधार हुआ है. 2018 में हम प्रतिमाह लगभग 90 हजार करोड़ रुपए का जीएसटी वसूल कर रहे थे जो कि सितंबर 2021 में बढ़कर 117 हजार करोड़ रुपया हो गया है. अर्थ हुआ कि अपने देश में आर्थिक गतिविधियां तीव्र गति से चल रही हैं.

तेल का महंगाई पर यूं भी प्रभाव न्यून है. एक अध्ययन के अनुसार पेट्रोल के दाम में 100 प्रतिशत की मूल्य वृद्धि होती है तो उसका महंगाई पर एक प्रतिशत प्रभाव पड़ता है. डीजल के दाम में 100 प्रतिशत की वृद्धि होती है तो उसका महंगाई पर 2.5 प्रतिशत का प्रभाव पड़ता है. दोनों का सम्मिलित प्रभाव 1.5 प्रतिशत मान सकते हैं. 

तेल के दाम में 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है इसलिए इसका महंगाई पर प्रभाव मात्र 0.8 प्रतिशत माना जा सकता है. इसलिए वर्तमान में जो महंगाई बढ़ी है, उसमें तेल का हिस्सा कम है और जो आर्थिक गति में तीव्रता आई है, उसका हिस्सा ज्यादा दिख रहा है. यद्यपि यह सही है कि तेल का महंगाई पर प्रभाव पड़ता है लेकिन इसको महंगाई का प्रमुख कारण नहीं बताया जा सकता है.

तीसरा तर्क है कि तेल की मूल्यवृद्धि से वित्तीय घाटा बढ़ता है. यह तर्क पूर्णतया भ्रामक है. वर्तमान में अपने देश में आयातित तेल पर 36 प्रतिशत एक्साइज ड्यूटी केंद्र सरकार द्वारा वसूल की जाती है. 

यदि आयातित पेट्रोल का दाम 50 रुपए प्रति लीटर हो तो उस पर 18 रुपए की एक्साइज ड्यूटी वसूल की जाएगी. यदि इसी आयातित पेट्रोल का दाम 70 रुपए प्रति लीटर हो जाए तो उस पर 25 रुपए की एक्साइज ड्यूटी वसूल की जाएगी. 

हां, इतना जरूर है कि यदि तेल के बढ़ते मूल्य पर नियंत्रण करने के लिए सरकार एक्साइज ड्यूटी में कटौती करे तो सरकार का राजस्व घटेगा; परंतु तब वह प्रभाव तेल के दाम में वृद्धि का नहीं बल्कि एक्साइज ड्यूटी में कटौती का कहा जाएगा.

इन प्रभावों के सामने तेल के ऊंचे मूल्य के कई लाभ हैं. पहला यह कि तेल के मूल्य विश्व अर्थव्यवस्था की गति को दर्शा रहे हैं. विश्व अर्थव्यवस्था की इस गति के कारण हमारे निर्यात बढ़ेंगे और हमारे प्रवासियों द्वारा जो रेमिटेंस भेजी जाती है, उसमें भी वृद्धि होगी. 

दूसरा सुप्रभाव यह कि जब तेल महंगा होता है तो हम ऊर्जा उपयोग की कुशलता में सुधार करते हैं. तीसरा लाभ यह है कि तेल के ऊंचे दाम से तेल की खपत कम होने से ग्लोबल वार्मिग कम होगी जिससे बाढ़, सूखा, तूफान इत्यादि प्राकृतिक आपदाएं कम होंगी और हमारी अर्थव्यवस्था कम प्रभावित होगी. 

चौथा लाभ यह कि तेल के ऊंचे दाम के समानांतर देश में ऊर्जा का दाम ऊंचा होगा तो सौर और वायु ऊर्जा को बढ़ावा मिलेगा. अत: तेल के ऊंचे मूल्य का समग्र आकलन करें तो हानि को हम काट सकते हैं जबकि लाभ को हासिल करने का प्रयास करना चाहिए.

Web Title: petroleum crude oil high price loss and benefit

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे