निरंकार सिंह का ब्लॉगः भारतीय मिसाइलों से बेचैन होता चीन
By निरंकार सिंह | Published: December 28, 2021 01:19 PM2021-12-28T13:19:11+5:302021-12-28T13:20:38+5:30
इस मिसाइल टेस्ट को भारत के स्ट्रैटेजिक फोर्स कमांड (एसएफसी) में अग्नि-5 को शामिल करने की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है। चीनी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने खबर दी है कि भारत को 50 टन वजनी इस मिसाइल का पर्याप्त संख्या में उत्पादन शुरू करने से पहले अभी कुछ और टेस्ट करने हैं।
भारत के लगातार मिसाइल परीक्षणों से चीन बेचैन है। अग्नि-5 के परीक्षण का विरोध वह पहले ही संयुक्त राष्ट्र में कर चुका है। इधर, नए परीक्षणों से उसकी बेचैनी और बढ़ गई है। भारत ने एक ऐसी आत्मनिर्भर शक्ति हासिल की है जो दुनिया के देशों को भारत को लेकर अपने विचार बदलने के लिए भी मजबूर कर देगी। लेकिन भारत की ताकत में अभी और भी इजाफा होने वाला है। भारत ने पिछले सप्ताह 24 घंटे के भीतर लगातार दो बार अर्ध बैलिस्टिक मिसाइल ‘प्रलय’ का सफलतापूर्वक परीक्षण किया। भारतके इतिहास में यह पहली बार हुआ है जब 24 घंटे के भीतर दो अर्ध बैलिस्टिक मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण हुआ हो। यह मिसाइल सतह से सतह पर मार करने वाली है और 150 से 500 किमी के बीच टारगेट को तबाह कर सकती है। अर्ध बैलिस्टिक मिसाइल प्रलय का 23 दिसंबर को सुबह ओडिशा तट के डॉ। एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से परीक्षण किया गया था। रक्षा अनुसंधान विकास संगठन द्वारा विकसित ठोस-ईंधन वाली युद्धक मिसाइल भारतीय बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम ‘पृथ्वी रक्षा वाहन’ पर आधारित है।
इसकी ताकत चीन की आंखों में चुभने लगी है। उसे खुद पर मिसाइल हमले का खतरा मंडराने लगा है। चीन ने अग्नि-5 मिसाइल के परीक्षण के पहले ही दबाव बनाने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। डर इतना कि भारत को अग्नि फाइव के टेस्ट से रोकने के लिए चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1172 की दुहाई भी दी, जो भारत पाकिस्तान के बीच आर्म रेस को रोकने के लिए पारित किया गया था। चीन जानता है कि जो ताकत खुद उसके अलावा अमेरिका, रूस, फ्रांस जैसे देशों के पास ही है, वह अब भारत के पास भी है।
इस मिसाइल टेस्ट को भारत के स्ट्रैटेजिक फोर्स कमांड (एसएफसी) में अग्नि-5 को शामिल करने की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है। चीनी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने खबर दी है कि भारत को 50 टन वजनी इस मिसाइल का पर्याप्त संख्या में उत्पादन शुरू करने से पहले अभी कुछ और टेस्ट करने हैं। भारत के परमाणु जखीरे को संभालने के लिए साल 2003 में एसएफसी का गठन किया गया था। पृथ्वी और धनुष जैसी कम दूरी तक मार करने वाली मिसाइलों के अलावा एसएफसी में अग्नि-1, अग्नि-2 और अग्नि-3 मिसाइल पहले से शामिल हैं। चीनी सैन्य विशेषज्ञ सोंग जोंपिंग का कहना है, ‘भारत चीन पर करीबी निगाह रखने के लिए ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका के साथ मिलाकर सैन्य सिस्टम बना रहा है और ये चीन के लिए सीधा खतरा पैदा करता है।’