नरेंद्र सिंह तोमर का ब्लॉगः 'अमृत काल' में हो रहा है भारत उदय
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: May 30, 2022 07:03 AM2022-05-30T07:03:42+5:302022-05-30T07:08:06+5:30
देश के गांव बदल रहे हैं, क्योंकि हमारी खेती-किसानी की तस्वीर बदल रही है। खेती को बदलने के लिए आवश्यक था कि हम कृषि मंत्रालय का बजट बढ़ाकर किसानों तक ज्यादा से ज्यादा सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाएं।
स्वतंत्रता के सूर्योदय के साथ जिस समर्थ, सक्षम और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण का स्वप्न हमारे स्वातंत्र्य समर के बलिदानियों ने देखा था, सात दशक बाद उस स्वप्न के साकार होने का समय आया है।
30 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार अपने दूसरे कार्यकाल के तीन साल पूरे कर रही है। वस्तुत: देखा जाए तो विगत आठ वर्ष नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत के उत्कर्ष, नव उदय और उत्थान के वे स्वर्णिम अध्याय हैं जो भविष्य के आत्मनिर्भर भारत की बुनियाद बन रहे हैं। स्वतंत्रता के 75 वर्ष के बाद के आगामी 25 वर्ष के समय को ‘अमृत काल’ की संज्ञा दी गई है। हमारी सनातन परंपरा में भी 75 से 100 वर्ष के बीच की वय अमृतकाल के रूप में निरूपित की गई है। अमृतकाल का यह समय भारत उदय की बेला है। बदलते वैश्विक समीकरणों में एक ऐसे भारत का उदय जो सक्षम और सामर्थ्यवान तो हो ही, दुनिया में भी अपनी साख रखता हो।
नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार विगत आठ वर्षों से जिस मूल मंत्र को ध्येय में रखकर काम कर रही है वह है- 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास'। समाज के अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति का कल्याण और गांव, गरीब, किसान की चिंता सरकार की पहली प्राथमिकता रही है। देश के नौ करोड़ घरों में माताएं धुएं से मुक्ति के साथ आज उज्ज्वला योजना के तहत एलपीजी चूल्हे पर भोजन बना रही हैं। देश का ऐसा कोई गांव नहीं बचा जहां बिजली नहीं है। अटल पेंशन योजना लगभग चार करोड़ बुजुर्गों के लिए सहारा बनी है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत दो करोड़ 38 लाख परिवारों को अपना पक्का मकान मिला है। प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत 45 करोड़ से अधिक लोगों के बैंक खाते खुले हैं और उनमें एक लाख 66 हजार करोड़ की राशि जमा हुई है। देश के छह लाख से अधिक गांव आज खुले में शौच के कलंक से मुक्त होकर स्वच्छता की मिसाल पेश कर रहे हैं। लगभग 47 लाख श्रमिकों को प्रधानमंत्री श्रमयोगी मानधन योजना का लाभ मिल रहा है। देश की आधी ग्रामीण आबादी यानी लगभग साढ़े नौ करोड़ ग्रामीण घरों में नल के माध्यम से शुद्ध पेयजल पहुंच रहा है।
देश के गांव बदल रहे हैं, क्योंकि हमारी खेती-किसानी की तस्वीर बदल रही है। खेती को बदलने के लिए आवश्यक था कि हम कृषि मंत्रालय का बजट बढ़ाकर किसानों तक ज्यादा से ज्यादा सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाएं। वर्ष 2013-14 में कृषि विभाग का बजट मात्र 21933 करोड़ था, जो कि 2022-23 में लगभग साढ़े पांच गुना बढ़कर एक लाख 24 हजार करोड़ रुपए हो गया है। वर्ष 2013-14 में हमारा खाद्यान्न उत्पादन 265 मिलियन टन था जो 2021-22 में 316 मिलियन टन के रिकार्ड उत्पादन पर जा पहुंचा है, इसी तरह बागवानी फसलों का उत्पादन 334 मिलियन टन के रिकार्ड स्तर को छू रहा है।
एमएसपी पर सवाल उठाकर राजनीति करने वालों के लिए यह संदेश ही काफी है कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में राजग सरकार ने स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों का पालन करते हुए किसानों को उनकी लागत मूल्य का कम से कम डेढ़ गुना समर्थन मूल्य प्रदान करने का कदम उठाया है। अब धान और गेहूं को ही ले लीजिए, वर्ष 2013-14 में धान की एमएसपी 1310 रु. और गेहूं की एमएसपी 1400 रु. प्रति क्विंटल थी, जोकि वर्ष 2021-22 में बढ़ कर क्रमश: 1940 रु. और 2015 रु. प्रति क्विंटल हो गई है। किसानों की आय बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना एक क्रांतिकारी कदम साबित हुई है। वर्ष 2019 से प्रारंभ हुई इस योजना के तहत अब तक 11.30 करोड़ किसानों को 1.82 लाख करोड़ रुपए प्रदान किए जा चुके हैं। बाढ़ और सूखा जैसी आपदा में अपना सबकुछ गंवा देने वाले किसानों को एक राहत की छतरी उपलब्ध कराने के लिए वर्ष 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को प्रारंभ किया था। विगत छह वर्षों में 37.52 करोड़ किसान पीएम फसल बीमा के दायरे में आए हैं और लगभग सवा दस करोड़ किसानों को लगभग एक लाख 16 हजार करोड़ रुपए का दावा भुगतान प्राप्त हुआ है।
वर्ष 2013-14 में जहां किसानों को बैंक या सहकारी संस्थाओं के माध्यम से सात लाख करोड़ रु. का कर्ज किसानों को मिलता था, वहीं 2021-22 में यह दो गुना से ज्यादा बढ़ कर लगभग साढ़े 16 लाख करोड़ रुपए हो गया है। किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) के माध्यम से अधिकाधिक किसानों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से फरवरी 2020 से विशेष अभियान प्रारंभ किया गया है। इसमें तीन करोड़ से अधिक नए केसीसी कार्ड बनाए गए हैं।
जम्मू-कश्मीर में धारा 370 की मुक्ति के साथ शांति और लोकतंत्र की स्थापना, भव्य राम मंदिर के स्वप्न को यथार्थ होते देखना, उत्तर-पूर्वी राज्यों में विकास की राह खुलना, कोविड-19 महामारी का बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ मुकाबला और टीकाकरण अभियान के साथ प्रतिरक्षण, विज्ञान, तकनीकी एवं शिक्षा के क्षेत्र में नवीन आयाम के साथ हम आज वह होते देख रहे हैं जो एक दशक पहले अकल्पनीय सा लगता था।
यही भारत उदय का अमृत काल है। आने वाला ढाई दशक भारत के उस स्वर्णिम वैभव को वापस लौटाने वाला समय होगा जब हम फिर से कह सकेंगे भारत भूमि समृद्धि-संपन्नता और खुशहाली का भूखंड है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शब्दों में कहें तो यह अमृत काल हमारे लिए कर्तव्यकाल है। हमें प्रयत्नों की परिसीमा तक और परिश्रम की पराकाष्ठा तक पहुंच कर अमृत काल में भारत उदय का संकल्प पूर्ण करना है।