प्रकाश बियाणी का ब्लॉगः खेती के उद्धार के लिए  व्यापक सुधार जरूरी

By Prakash Biyani | Published: June 4, 2020 08:43 AM2020-06-04T08:43:41+5:302020-06-04T08:43:41+5:30

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पहले 5 साल कृषि रिफार्म पर फोकस नहीं किया, पर अब 20 लाख करोड़ रुपए का कोरोना राहत पैकेज लांच करते हुए वित्त मंत्री ने कृषि उपज की सीधे बिक्री या कृषि उपज के भंडारण से प्रतिबंध हटाने जैसी घोषणा की है जो देश में सबसे ज्यादा रोजगार देने वाले कृषि सेक्टर का उद्धार कर सकती है.

Narendra modi government: Comprehensive reforms necessary for the salvation of farming | प्रकाश बियाणी का ब्लॉगः खेती के उद्धार के लिए  व्यापक सुधार जरूरी

प्रतीकात्मक तस्वीर

दुनिया के कुल भू-क्षेत्र के केवल 10 से 20 फीसदी हिस्से पर खेती हो सकती है जबकि भारत भूमि के 60 फीसदी भाग पर खेती संभव है. हिमालय पर्वत से निकलने वाली नदियां, हर साल वर्षा से मिलने वाला 45 खरब घनमीटर से ज्यादा जल और देश के हर हिस्से पर चमकने वाली धूप के कारण भारतीय भूमि इतनी उर्वरा है कि हम सारी दुनिया का पेट भर दें. पर हमारे देश के कर्णधारों ने कृषि पर निर्भर 65 फीसदी आबादी को वोट बैंक तो बनाया लेकिन भारतीय कृषि की विपुल संभावना का दोहन नहीं किया. नि:संदेह कांग्रेस यह दावा कर सकती है कि देश में हरित क्र ांति और श्वेत क्रांति हुई पर इसके बाद वह भी कृषि के दीर्घावधि पुनरुद्धार को भूल गई.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पहले 5 साल कृषि रिफार्म पर फोकस नहीं किया, पर अब 20 लाख करोड़ रुपए का कोरोना राहत पैकेज लांच करते हुए वित्त मंत्री ने कृषि उपज की सीधे बिक्री या कृषि उपज के भंडारण से प्रतिबंध हटाने जैसी घोषणा की है जो देश में सबसे ज्यादा रोजगार देने वाले कृषि सेक्टर का उद्धार कर सकती है.

भारत सरकार के नीति आयोग के मुताबिक किसानों की समस्या उत्पादन नहीं है. वे इतने मेहनती हैं कि विपरीत परिस्थितियों में भी एवरेज फसल तो ले ही लेते हैं. उनकी समस्या है उपज की बिक्री. प्रचलित नियमों के अनुसार किसान अपने उत्पाद सीधे बल्क यूजर्स या उपभोक्ता को नहीं बेच सकते. यही नहीं, कृषि अकेला उत्पाद है जिसका मूल्य उत्पादक तय नहीं करता. कृषि उपज केवल मंडी में ही बिकती है और मंडी समिति ही मूल्य तय करती है. इस सिस्टम से किसानों को अपनी उपज का वाजिब मूल्य नहीं मिलता. कभी-कभी तो उत्पादन लागत भी नहीं मिलने पर किसान को अपनी उपज सड़क पर फेंकनी पड़ती है. मोदी सरकार कृषि मार्केटिंग को अब इन बंधनों से मुक्त कर रही है. अब किसान अपनी उपज सीधे प्रोसेसर्स, एक्सपोर्टर्स ही नहीं उपभोक्ता को बेच सकते हैं. इसके पीछे सोच है कि किसानों और उनके ग्राहकों के बीच मध्यस्थ नहीं होंगे तो किसानों की कमाई बढ़ेगी.

इसी तरह मोदी सरकार अंग्रेजों के जमाने के आवश्यक वस्तु अधिनियम में बदलाव करने जा रही है. यह कानून कृषि उत्पादों के भंडारण की सीमा तय करता है. 1940 में जब अकाल पड़ा था तब व्यापारियों पर कृषि उत्पादों के भंडारण की सीमा लागू की गई थी. आज देश में प्रचुर मात्रा में फसलोत्पादन हो रहा है, जिसके भंडारण के लिए वेयर हाउस और कोल्ड स्टोरेज चाहिए, जो कम हैं. भंडारण पर बंदिश के कारण कोल्ड स्टोरेज बनाने में निवेशक रुचि नहीं ले रहे थे इसलिए मोदी सरकार वस्तु अधिनियम हटाने जा रही है.

Web Title: Narendra modi government: Comprehensive reforms necessary for the salvation of farming

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