ब्लॉग: जनहितैषी योजनाओं के दुरुपयोग पर लगानी होगी लगाम
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: December 21, 2024 07:01 IST2024-12-21T07:01:04+5:302024-12-21T07:01:39+5:30
राज्य में विगत विधानसभा चुनाव के पहले जब यह योजना लागू की गई थी, तब शायद योजना के लाभ के लिए आवेदन करने वाली महिलाओं की पात्रता की समुचित जांच नहीं हो पाई,

ब्लॉग: जनहितैषी योजनाओं के दुरुपयोग पर लगानी होगी लगाम
लाडली बहना योजना की सफलता किसी से छिपी नहीं है. मध्यप्रदेश के बाद महाराष्ट्र में भी इसने सत्तारूढ़ भाजपा गठबंधन को विधानसभा चुनावों में भारी कामयाबी दिलाई है. लेकिन इस योजना के दुरुपयोग को लेकर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने गुरुवार को विधानसभा में जो खुलासा किया, वह चौंकाने वाला और चिंताजनक है. फडणवीस ने विपक्ष के इस आरोप को खारिज किया कि लाड़ली बहन योजना के लिए पात्रता की शर्तों को बदला जाएगा.
उन्होंने कहा कि शर्तों को बदलने का सवाल ही नहीं उठता. लेकिन एक ही महिला के पांच-पांच खाते मिले हैं. इसी प्रकार एक पुरुष ने ही नौ खाते खोलकर लाड़ली बहन योजना का लाभ उठा लिया है. इस तरह के मामलों की जांच की जाएगी. किसी भी योजना का अगर इस तरह से दुरुपयोग हो तो इससे कहीं न कहीं पात्र लोगों को ही नुकसान पहुंचता है क्योंकि सरकारी खजाने को चूना लगने से योजना को जारी रखने में दिक्कत आती है. राज्य में विगत विधानसभा चुनाव के पहले जब यह योजना लागू की गई थी, तब शायद योजना के लाभ के लिए आवेदन करने वाली महिलाओं की पात्रता की समुचित जांच नहीं हो पाई, जिसके कारण जिन महिलाओं की आर्थिक स्थिति अच्छी है, उन्हें भी इसका लाभ मिल गया.
हालांकि सरकारी योजनाओं के दुरुपयोग की खबरें नई नहीं हैं. आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए चलाई जाने वाली योजनाओं का कुछ संपन्न लोगों द्वारा फायदा उठाने की खबरें यदा-कदा सामने आती ही रहती हैं. केरल में गरीबों के लिए सरकार की ओर से चलाई जाने वाली सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना का गत दिनों जब ऑडिट किया गया तो पता चला है कि बीएमडब्ल्यू जैसी महंगी कारों के मालिक और एसी मकानों में रहन वाले भी इस योजना का लाभ उठा रहे थे.
मनरेगा जैसी योजनाओं में भी संपन्न परिवारों के लोग मजदूरी का पैसा हथियाने से गुरेज नहीं करते. आयुष्मान योजना के अंतर्गत मिलने वाला इलाज का पैसा ऐंठने के लिए अहमदाबाद में एक निजी अस्पताल द्वारा सैकड़ों लोगों की जबरन एंजियोप्लास्टी करने की खबर अभी बहुत पुरानी नहीं हुई है, जिसमें दो लोगों की जान भी चली गई थी.
इस प्रकार जनहितकारी योजनाओं में सेंध लगाए जाने की कोशिशें तो होती ही रहती हैं लेकिन अब तकनीकी विकास इतना अधिक हो चुका है कि इस बात का पता लगाना बहुत कठिन नहीं रह गया है कि किसी भी सरकारी योजना का लाभ लेने के लिए अपनी पात्रता का दावा करने वाला झूठ बोल रहा है या सच. इसलिए किसी भी योजना को अगर दीर्घावधि तक चलाना है तो यह ध्यान तो रखना ही होगा कि कोई इसका गलत फायदा न उठाने पाए.