भरत झुनझुनवाला का ब्लॉगः प्रवासी श्रमिकों को अपने गृह  क्षेत्र में ही रोजगार मिले

By भरत झुनझुनवाला | Published: August 17, 2020 01:38 PM2020-08-17T13:38:46+5:302020-08-17T13:38:46+5:30

आज उत्तर प्रदेश के श्रमिक सूरत को पलायन कर रहे हैं और उत्तर प्रदेश के उद्यमी भी सूरत को पलायन कर रहे हैं. महत्वपूर्ण बात यह है कि उत्तर प्रदेश का उद्यमी उत्तर प्रदेश के श्रमिक को सूरत में रोजगार दे रहा है.

Migrant workers get employment in their home | भरत झुनझुनवाला का ब्लॉगः प्रवासी श्रमिकों को अपने गृह  क्षेत्र में ही रोजगार मिले

फाइल फोटो

कोविड-19 के कारण श्रमिकों का पलायन  भारी संख्या में हुआ है. एक क्षेत्न से दूसरे क्षेत्न में श्रम का पलायन दो कारणों से होता है. पहला कारण भौगोलिक है. जैसे बिहार में कृषि बहुत आराम से हो जाती थी इसलिए वहां के लोगों ने औद्योगीकरण के लिए विशेष प्रयास नहीं किया. दूसरी तरफ पंजाब में भाखड़ा बांध के कारण सिंचाई का विस्तार हुआ और वहां श्रम की मांग बढ़ी. इस प्रकार बिहार के आरामदेह भूगोल और भाखड़ा के सिंचाई के भूगोल के कारण बिहार से पंजाब को श्रम का पलायन हुआ. पलायन का दूसरा कारण शासन की गुणवत्ता है. 

आज उत्तर प्रदेश के श्रमिक सूरत को पलायन कर रहे हैं और उत्तर प्रदेश के उद्यमी भी सूरत को पलायन कर रहे हैं. महत्वपूर्ण बात यह है कि उत्तर प्रदेश का उद्यमी उत्तर प्रदेश के श्रमिक को सूरत में रोजगार दे रहा है. वही उत्तर प्रदेश का उद्यमी उत्तर प्रदेश में उसी श्रमिक को रोजगार देने को स्वीकार नहीं करता है. आज के युग में माल की ढुलाई आसान है, इसलिए कपड़े जैसे उद्योग को उतनी ही आसानी से सूरत में चलाया जा सकता है, जितना कि उत्तर प्रदेश में. 

किसी समय उत्तर प्रदेश में टांडा और बनारस में विशाल कपड़ा उद्योग था. लेकिन उत्तर प्रदेश के ये कपड़ा उद्यमी आज टांडा में उद्योग चलाने के स्थान पर सूरत में स्वयं पलायन कर रहे हैं. कारण यह कि गुजरात की तुलना में उत्तर प्रदेश में शासन की गुणवत्ता न्यून है. यहां पर अधिकारियों का रुख उद्यमी से अधिकाधिक वसूलने का होता है. नेताओं और दबंगों द्वारा वसूली की जाती है. यहां उद्योग को आगे बढ़ाने में व्यवधान आते हैं इसलिए उत्तर प्रदेश का उद्यमी उत्तर प्रदेश से पलायन कर रहा है.

कोविड ने बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड के तमाम श्रमिकों को मेजबान राज्यों से अपने मूल राज्य को वापस आने के लिए मजबूर कर दिया है. इनके लिए हमारे सामने दो विकल्प हैं. एक यह कि हम इन श्रमिकों को पुन: उन मेजबान राज्यों में भेजने की व्यवस्था करें जहां ये पहले कार्यरत थे. दूसरा यह कि हम इनके लिए मनरेगा, खाद्य सब्सिडी, बेरोजगारी भत्ता इत्यादि जन कल्याणकारी कार्यक्रमों को लागू करें जिससे ये अपने मूल राज्य में ही अपना जीवन यापन कर सकें.

मूल राज्य में इनको समाहित करने से तीन समस्या पैदा होती है. पहली समस्या यह कि ये प्रवासी श्रमिक सूरत में कपड़ा बुनाई के लूम को चलाने एवं मरम्मत इत्यादि को करने अथवा हीरों को तराशने की दक्षता हासिल कर चुके हैं. वे वहां 1000-1500 रुपए तक दैनिक वेतन पाते थे. और इससे भी ज्यादा वे देश की आय में जोड़ते थे. जब हम इन्हें वापस अपने गांव ले आते हैं तो यहां पर मनरेगा के अंतर्गत इन्हें मिट्टी उठाने का कार्य करना होगा, जिस कार्य का देश की आय में योगदान कुल 300 रुपया प्रतिदिन है और इन्हें वेतन मात्न 200 रुपए प्रतिदिन मिलेगा. इसलिए इनको घरेलू राज्य में समाहित करने से देश के आर्थिक विकास का ह्रास होगा. जो व्यक्ति देश की आय में एक दिन में दो-ढाई हजार रुपए तक जोड़ सकता था, वह अब केवल 300 रुपए ही जोड़ेगा.

अपने मूल राज्य में श्रमिक को समाहित करने में दूसरी समस्या यह है कि कृषि में श्रम को समाहित करने की सीमा है. आज विकसित देशों में कुल जनसंख्या का एक प्रतिशत से भी कम कृषि के क्षेत्न में कार्यरत है. अपने देश में स्वतंत्नता के समय लगभग 50 प्रतिशत जनता कृषि पर आधारित थी, जो आज घट कर 18 प्रतिशत हो गई है. आर्थिक विकास के साथ कृषि का महत्व घटता जाता है. ऐसे में इन वापस आए श्रमिकों को कृषि में समाहित करना इन्हें उस क्षेत्न में प्रवेश कराना होगा जहां पहले ही आय न्यून है जैसे इन्हें गड्ढे में धकेला जा रहा हो. 

इनके प्रवेश करने से कृषि में श्रम की उपलब्धता बढ़ेगी, कृषि श्रमिक के वेतन घटेंगे, इन वापस आए श्रमिकों की आय और घटेगी. तीसरी समस्या यह है कि मूल राज्यों को इन्हें मनरेगा इत्यादि में रोजगार देने के लिए सरकारी खर्च बढ़ाने होंगे. ये राज्य जो रकम सड़क अथवा अस्पताल बनाने के लिए उपयोग कर सकते थे, उसका उपयोग ये इन श्रमिकों को जीवन यापन करने के लिए देने में करेंगे. चौथा बड़ा नुकसान यह है कि मेजबान राज्य में श्रमिक की उपलब्धता कम हो जाने से वहां पर मशीनों का उपयोग बढ़ेगा.

Web Title: Migrant workers get employment in their home

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