धर्मों को बांटने नहीं, जोड़नेवाली ताकत बनाएं 

By विश्वनाथ सचदेव | Updated: March 12, 2025 06:38 IST2025-03-12T06:38:24+5:302025-03-12T06:38:37+5:30

उन्हें अन्य धर्म वाले, विशेषकर मुसलमान हिंदू के रूप में स्वीकार नहीं.

Make religions a uniting force not a dividing force | धर्मों को बांटने नहीं, जोड़नेवाली ताकत बनाएं 

प्रतीकात्मक फोटो

धार्मिक विविधता हमारी ताकत है. सर्वधर्म समभाव का विचार हमारी संस्कृति का एक आधार है. दुनिया का शायद ही कोई धर्म होगा जिसे मानने वाले हमारे देश में न हों. ऐसा अकेला देश है भारत जहां सब धर्म साथ-साथ पनप रहे हैं. पर कुछ ताकतें हैं जो विविधता में हमारी एकता को स्वीकार नहीं कर रहीं. वे चाहती हैं भारत एक हिंदू राष्ट्र घोषित कर दिया जाए, जहां बाकी धर्मों को मानने वाले दूसरे दर्जे का नागरिक बनकर रहें.

यह शक्तियां और प्रवृत्तियां लगातार जोर पकड़ रही हैं. सवाल यह है कि भारत को हिंदू राष्ट्र बनाकर हम क्या पाना चाहते हैं? सभी धर्मों के लोग मिलकर क्यों नहीं रह सकते अथवा इन्हें साथ क्यों नहीं रहना चाहिए? वसुधैव कुटुंबकम की संस्कृति वाला देश है हमारा. जब मानव-मात्र एक परिवार का हिस्सा हैं तो आंगन में दीवारें उठाने की बात क्यों की जा रही है? दीवार उठेगी तो आंगन छोटा हो जाएगा. छोटे आंगन में छत पड़ेगी तो बौने हो जाएंगे हम.

सवाल तो यह भी है कि हिंदू की परिभाषा क्या है? राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कुछ दिन पहले इस प्रश्न का एक सटीक उत्तर दिया था. उन्होंने कहा था भारत भूमि में रहने वाला हर नागरिक हिंदू है. यह सच है कि उनके ही कुछ सहयोगी इस बात को नहीं मान रहे. उन्हें अन्य धर्म वाले, विशेषकर मुसलमान हिंदू के रूप में स्वीकार नहीं. वे यह तो मान लेते हैं कि मुसलमानों को या ईसाइयों को भारत में रहने  दिया जाए, पर वे चाहते हैं मुसलमान इस देश में दूसरे दर्जे के नागरिक की तरह रहें.

देश में शांति और भाईचारा बनाए रखने के लिए, एक समावेशी भारत बनाए रखने के लिए, जरूरी है कि देश की धार्मिक विविधता को फलने-फूलने के लिए हवा और पानी मिलता रहे. सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक सभी मोर्चों पर यह सावधानी बरतनी जरूरी है कि धर्म के नाम पर बांटने वाली ताकतों के इरादों को पूरा न होने दिया जाए. आसेतु- हिमालय यह भारत हम सबका है.

हम सब मिलकर इसको आकार देते हैं, बनाते हैं. सबका साथ, सबका विकास की बात करना ही पर्याप्त नहीं है. यह दर्शन एक नारा नहीं हमारी सामूहिक सोच का हिस्सा होना चाहिए. सब यानी सब - कोई हिंदू हो या मुसलमान या अन्य किसी धर्म को मानने वाला - पहले भारतीय है. हिंदू या मुसलमान होना हमारी आस्था का आधार हो सकता है, पर यह कतई जरूरी नहीं है कि मेरी आस्था किसी दूसरे की आस्था से टकराए ही.

जैसे संगम पर गंगा और यमुना मिलती हैं, टकराती नहीं, और ज्यादा पवित्र हो जाती हैं मिल कर, वैसे ही हमारी आस्थाएं भी मिलकर और मजबूत होंगी, हमें और मजबूत बनाएंगी. हिंदू राष्ट्र के विचार को भारत की विरासत, वर्तमान और भविष्य मानने वालों को समझना होगा कि भारत जिस विचार का नाम है उसमें विविधता का उत्सव मनाने की व्यवस्था है. आइए, धर्मों को बांटने वाली नहीं, जोड़ने वाली ताकत के रूप में समझें-स्वीकारें. सच्चे अर्थों में भारतीय बनें.

Web Title: Make religions a uniting force not a dividing force

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