Holi 2023: रंगोत्सव को वैरभाव मिटाने और भाईचारा बढ़ाने का माध्यम बनाएं

By आरके सिन्हा | Published: March 7, 2023 03:51 PM2023-03-07T15:51:46+5:302023-03-07T15:52:23+5:30

एक दौर था जब होली पर अटल बिहारी वाजपेयी के आवास पर भव्य होली मिलन का कार्यक्रम आयोजित होता था। उसमें तमाम राजनीतिककार्यकर्ता, नेता, लेखक, पत्रकार, कवि आदि भाग लेते थे। अटलजी खुद सब अतिथियों को गुलाल लगाया करते थे। उनके देश के मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी भाग लेते थे..

Make Rangotsav holi a medium to remove enmity and increase brotherhood | Holi 2023: रंगोत्सव को वैरभाव मिटाने और भाईचारा बढ़ाने का माध्यम बनाएं

Holi 2023: रंगोत्सव को वैरभाव मिटाने और भाईचारा बढ़ाने का माध्यम बनाएं

कोरोना के कारण दो-तीन सालों तक जनधड़कन के पर्व होली का रंग फीका सा पड़ने लगा था। इस बार देश रंगोत्सव को पुराने अंदाज में मनाने जा रहा है। होली के रंग फिजाओं में बिखरे हैं। होली मिलन समारोहों की भी वापसी हो चुकी है। इनके आयोजन लखनऊ से रायपुर, मुंबई तथा पटना से दिल्ली वगैरह में सभी जगह हो रहे हैं। सब एक-दूसरे से गलेमिल रहे हैं। गिले शिकवे भुलाए जा रहे हैं। यही मौका है कि जब विभिन्न दलों के तमाम राजनीतिक नेता भी अपने मतभेद भुलाकर एक साथ होली खेलें और राष्ट्र निर्माण में लग जाएं।

एक दौर था जब होली पर अटल बिहारी वाजपेयी के आवास पर भव्य होली मिलन का कार्यक्रम आयोजित होता था। उसमें तमाम राजनीतिककार्यकर्ता, नेता, लेखक, पत्रकार, कवि आदि भाग लेते थे। अटलजी खुद सब अतिथियों को गुलाल लगाया करते थे। उनके देश के मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी भाग लेते थे। वे तब भाजपा के संगठन से जुड़े हुए थे। भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के पृथ्वीराज रोड स्थित आवास पर भी होली बड़े प्रेम से खेली जाती रही है। आडवाणीजी के घर भी होली का रंग शालीनता के दायरे में ही रहता है। होली पर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के सरकारी आवास 1, सफदरजंग रोड के गेट सबके लिए खुल जाते थे। इंदिरा गांधी मेहमानों को स्वादिष्ट मिठाइयां खिलवाती थीं।

अब राजनीतिक नेताओं के होली मिलन समारोह की सिर्फ यादें ही शेष हैं। उन्हें फिर से आयोजित किया जाना चाहिए। होली अपने आप में एक असाधारण पर्व है। यह जाति, धर्म, संप्रदाय की दीवारों को ध्वस्त करता है। इसके मूल में समतावादी समाज की परिकल्पना है। देश के राष्ट्रपति के रूप में डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने सन् 2003 में नगर निगम और राष्ट्रपति भवन परिसर के स्कूलों के लगभग 1200 बच्चों के साथ होली मनाई थी। देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद भी होली पर राष्ट्रपति भवन के स्टाफ के साथ होली
खेलते थे और उन्हें अपने वेतन के पैसे से ही उपहार दिया करते थे।

लोकतंत्र में देश के सर्वोच्च पद पर आसीन व्यक्ति और आम जन के बीच दूरियां नहीं होनी चाहिए। इसलिए यह आवश्यक है कि फिर से होली मिलन के कार्यक्रम होते रहें। उनमें सबकी भागीदारी रहे। सुखद यह है कि इस होली पर होली मिलन समारोहों की सशक्त वापसी हुई है। कुछ साल पहले तक होली के संबंध में दक्षिण तथा पूर्वोत्तर के राज्यों में जानकारी बहुत कम थी। पर जब से उत्तर भारत के युवा नौकरी करने के लिए चेन्नई, हैदराबाद, पुणे तथा बेंगलुरू में हर साल हजारों की संख्या में जाने लगे हैं, तब से दक्षिण भारत की भी होली के बारे में घोर दिलचस्पी दिखने लगी है।

Web Title: Make Rangotsav holi a medium to remove enmity and increase brotherhood

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