Maharashtra 2024: पुणे के लोगों का ‘नागरिक घोषणापत्र’ दिखा सकता है रास्ता
By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: November 13, 2024 05:28 AM2024-11-13T05:28:12+5:302024-11-13T05:28:12+5:30
Maharashtra Chunav 2024: नियमित जलापूर्ति के अभाव, खस्ताहाल सड़क अवसंरचना, अतिक्रमण, यातायात व्यवधान, अव्यवस्थित जल निकासी प्रणाली, ध्वनि प्रदूषण, बार-बार होने वाली बिजली कटौती और विकास योजनाओं के क्रियान्वयन की आवश्यकता जैसी मांगों को उठाया है.
Maharashtra Chunav 2024: महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव नजदीक आने के साथ ही राजनीतिक दलों के बीच मतदाताओं को लुभाने के प्रयास तेज हो गए हैं और मुफ्त की रेवड़ियों की बारिश हो रही है. इस चुनावी कोलाहल के बीच पुणे के लोगों द्वारा ‘नागरिक घोषणापत्र’ जारी किया जाना एक ताजा हवा के झोंके की तरह लगता है. देखा जाए तो राजनीतिक दलों का घोषणापत्र इसी तरह अलग-अलग इलाकों के लिए अलग-अलग संबोधित होना चाहिए, जिसमें उस क्षेत्र विशेष की समस्याओं को हल करने का वादा किया गया हो.
पुणे के लोगों ने जो घोषणापत्र जारी किया है, उसमें उन्होंने अपने क्षेत्र में नियमित जलापूर्ति के अभाव, खस्ताहाल सड़क अवसंरचना, अतिक्रमण, यातायात व्यवधान, अव्यवस्थित जल निकासी प्रणाली, ध्वनि प्रदूषण, बार-बार होने वाली बिजली कटौती और विकास योजनाओं के क्रियान्वयन की आवश्यकता जैसी मांगों को उठाया है.
वस्तुत: सभी निर्वाचन क्षेत्रों के नागरिकों की समस्याएं कमोबेश इसी तरह की होती हैं, दो-चार मुद्दे कम-ज्यादा हो सकते हैं. इसलिए अगर सभी क्षेत्रों के नागरिक इसी तरह अपने क्षेत्र की समस्याओं को लेकर अपना एक घोषणापत्र बनाएं और जो भी उम्मीदवार वोट मांगने आए, उससे वोट देने के बदले उन समस्याओं को हल करने का वादा लें तो जमीनी स्तर पर शायद बहुत बड़ा बदलाव आ सकता है.
अभी तो हालत यह है कि सभी राजनीतिक दल अपने केंद्रीय स्तर पर जारी घोषणापत्रों के बल पर चुनाव लड़ते हैं और उनके स्थानीय उम्मीदवार स्थानीय समस्याओं को हल करना मानो अपनी जिम्मेदारी ही नहीं समझते. इस चक्कर में स्थानीय क्षेत्रों की बुनियादी समस्याएं अछूती ही रह जाती हैं.
कायदे से तो राजनीतिक दलों को ही अपने स्थानीय नेताओं को निर्देश देना चाहिए कि वे अपने-अपने क्षेत्र की समस्याओं को पार्टी के मुख्य घोषणापत्र के परिशिष्ट में जोड़कर उन्हें हल करने का वादा अपने-अपने क्षेत्र की जनता से करें, लेकिन राजनीति के वर्तमान स्तर को देखते हुए, राजनीतिक दलों से यह उम्मीद करना शायद बेमानी होगा.
इसलिए अपने-अपने क्षेत्रों की समस्याएं हल करवाने के लिए नागरिकों को स्वयं ही पहल करनी होगी और चुनावों से बढ़कर इसके लिए और कोई सुनहरा अवसर नहीं हो सकता. अगर वे एकजुट होकर अपने क्षेत्रों की समस्याएं उठाएं और घोषणा करें कि उन्हें हल करने का वादा करने वाले उम्मीदवार को ही वोट देंगे तो सभी राजनीतिक दल जनसमस्याओं को दूर करने के लिए मजबूर हो जाएंगे. समस्याएं दूर नहीं होने पर चुनावों का बहिष्कार करना नकारात्मक कार्य हो जाता है, इसलिए ‘नागरिक घोषणापत्र’ जारी करना निश्चित रूप से एक अच्छा कदम है, जो उम्मीदवारों को सक्रियता दिखाने के लिए मजबूर करेगा.