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सेना से हमें सीखना चाहिए अनुशासन का गुण

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Updated: July 12, 2025 06:47 IST

संकट के समय में मदद करने वाली अपनी सेना के लिए मन में सम्मान भाव रखने के साथ हमें उससे अनुशासन का गुण भी सीखना चाहिए, ताकि लोकतांत्रिक शासन में मिलने वाली स्वतंत्रता का सदुपयोग कर सकें.

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बाढ़ से जूझ रहे पूर्वोत्तर के राज्यों नगालैंड, असम और मणिपुर में भारतीय सेना ‘ऑपरेशन जल राहत-2’ के तहत बचाव अभियान में लगी हुई है. सेना के मुताबिक उसने पूरे क्षेत्र में 40 राहत टुकड़ियां तैनात की हैं और बाढ़ में फंसे 3820 लोगों को बचाया है. यह पहली बार नहीं है जब सेना ने देश में नागरिकों को आपदा में बचाया है. 

इसके पहले भी वह बाढ़, भूकंप, चक्रवात और भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं के समय आम आदमी की मदद करती रही है. 2018 में केरल में आई भीषण बाढ़ के दौरान भारतीय सेना ने बचाव और राहत कार्यों में सक्रिय रूप से भाग लेकर फंसे हुए लोगों को बचाया और राहत सामग्री वितरित की थी. 

2018 में ही ओडिशा में आए चक्रवात ‘तितली’ के दौरान भी सेना ने राहत और बचाव कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, फंसे हुए लोगों को बचाया और आवश्यक वस्तुओं का वितरण किया. 2024 में केरल के वायनाड में हुआ भूस्खलन हो, 2013 में उत्तराखंड में आई विनाशकारी बाढ़ और भूस्खलन या 2001 में गुजरात में आया भूकंप, सेना ने हमेशा बचाव और राहत कार्यों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. 

दंगों, प्रदर्शनों और अन्य स्थितियों को नियंत्रित करने में भी सेना सरकारों की सहायता करती रही है. इस तरह भारतीय सेना देश के भीतर नागरिकों की सहायता के लिए हमेशा तत्पर रहने के साथ विभिन्न प्रकार की आपातकालीन स्थितियों में सहायता प्रदान करती है और देश की सुरक्षा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.

फिर भी दुर्भाग्य से कुछ लोग सेना की छवि खराब करने की कोशिश में लगे रहते हैं. अशांत क्षेत्रों में शांति स्थापित करने के लिए जब सेना की तैनाती की जाती है तो कुछ लोग उसी को निशाना बनाने का प्रयास करते हैं. दरअसल ट्रेनिंग के दौरान सैनिक जिस अनुशासन की आंच में तपकर अपने आपको मजबूत बनाते हैं, हम नागरिकों को भी उससे सीख लेने की जरूरत है. 

दुनिया के लगभग ढाई दर्जन देशों में सैन्य सेवा अनिवार्य है. कुछ देशों में यह सिर्फ पुरुषों के लिए अनिवार्य है तो कुछ में महिलाओं के लिए भी. जैसे इजराइल, नॉर्वे, स्वीडन जैसे देशों में यह दोनों के लिए अनिवार्य है तो दक्षिण कोरिया, सिंगापुर, यूक्रेन, तुर्की आदि में सिर्फ पुरुषों के लिए. एक नियत समय के लिए सेना में सेवा देने का फायदा यह होता है कि लोग सेना के जैसा ही अनुशासन सीख जाते हैं. 

तानाशाही वाले देशों में लोगों के ऊपर सरकार की तरफ से कई बंधन लादे जाते हैं, जबकि लोकतंत्र में जनता को अधिकाधिक छूट दी जाती है. लेकिन इस छूट का फायदा हम तभी उठा सकते हैं जब स्वानुशासन में रहें. अनुशासन रहित स्वतंत्रता अराजकता में बदल जाती है. 

इसलिए संकट के समय में मदद करने वाली अपनी सेना के लिए मन में सम्मान भाव रखने के साथ हमें उससे अनुशासन का गुण भी सीखना चाहिए, ताकि लोकतांत्रिक शासन में मिलने वाली स्वतंत्रता का सदुपयोग कर सकें.

टॅग्स :भारतीय सेनाबाढ़
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