श्वेता गोयल का ब्लॉग : नैतिकता की मिसाल थे लालबहादुर शास्त्री

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: October 2, 2021 09:59 AM2021-10-02T09:59:01+5:302021-10-02T10:09:16+5:30

लालबहादुर शास्त्नी देश के प्रधानमंत्री बनने से पहले विदेश मंत्नी, गृह मंत्नी और रेल मंत्नी जैसे महत्वपूर्ण पद संभाल चुके थे. ईमानदार छवि और सादगीपूर्ण जीवन जीने वाले लाल बहादुर शास्त्नी नैतिकता की मिसाल थे.

Lal Bahadur Shastri was an example of morality | श्वेता गोयल का ब्लॉग : नैतिकता की मिसाल थे लालबहादुर शास्त्री

फोटो - लाल बहादुर शास्त्री

Highlightsशास्त्री सरकारी वाहन का प्रयोग अपने निजी कार्य के लिए नहीं करते थे वह देशहित को सर्वोपरि रखते थे वह हमेशा जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए आगे रहते थे

वर्ष 1964 में प्रधानमंत्नी बनने से पहले लालबहादुर शास्त्नी विदेश मंत्नी, गृह मंत्नी और रेल मंत्नी जैसे महत्वपूर्ण पद संभाल चुके थे. ईमानदार छवि और सादगीपूर्ण जीवन जीने वाले लाल बहादुर शास्त्नी नैतिकता की मिसाल थे. जब शास्त्नीजी प्रधानमंत्नी बने, तब उन्हें सरकारी आवास के साथ कार भी मिली थी लेकिन किसी राजकीय अतिथि के आने पर ही वह गाड़ी निकाली जाती थी.

एक बार शास्त्नीजी के बेटे सुनील शास्त्नी निजी कार्य के लिए यही सरकारी कार उनसे बगैर पूछे ले गए. जब शास्त्नीजी को पता चला तो उन्होंने ड्राइवर को बुलाकर पूछा कि गाड़ी कितने किमी चली? ड्राइवर ने बताया कि गाड़ी कुल 14 किमी चली है. उसी क्षण शास्त्नीजी ने उसे निर्देश दिया कि रिकॉर्ड में लिख दो, ‘चौदह किलोमीटर प्राइवेट यूज’. इसके बाद उन्होंने पत्नी ललिता को बुलाकर निर्देश दिया कि निजी कार्य के लिए गाड़ी का इस्तेमाल करने के लिए वह सात पैसे प्रति किमी की दर से सरकारी कोष में पैसे जमा करा दें.

प्रधानमंत्नी बनने के बाद शास्त्नीजी पहली बार अपने घर काशी आ रहे थे, तब पुलिस-प्रशासन उनके स्वागत के लिए चार महीने पहले से ही तैयारियों में जुट गया था. उनके घर तक जाने वाली गलियां संकरी थीं, जिससे उनकी गाड़ी का वहां तक पहुंचना संभव नहीं था, इसलिए प्रशासन द्वारा वहां तक रास्ता बनाने के लिए गलियों को चौड़ा करने का निर्णय लिया गया. शास्त्नीजी को पता चला तो उन्होंने तुरंत संदेश भेजा कि गली को चौड़ा करने के लिए कोई भी मकान तोड़ा न जाए, मैं पैदल ही घर जाऊंगा.

स्वतंत्नता संग्राम के दौरान 1940 के दशक में लाला लाजपत राय की संस्था ‘सर्वेट्स ऑफ इंडिया सोसायटी’ द्वारा गरीब पृष्ठभूमि वाले स्वतंत्नता सेनानियों के परिवारों को आर्थिक मदद दी जाया करती थी. उस समय लाल बहादुर शास्त्नी जेल में थे. उन्होंने जेल से ही अपनी पत्नी ललिता को पत्न लिखकर पूछा कि उन्हें संस्था से पैसे समय पर मिल रहे हैं या नहीं और क्या इतनी राशि परिवार की जरूरतों की पूर्ति के लिए पर्याप्त है? पत्नी ने लिखा कि उन्हें प्रतिमाह पचास रु. मिलते हैं, जिसमें से करीब चालीस रु. ही खर्च हो पाते हैं, शेष राशि वे बचा लेती हैं. तब शास्त्नीजी ने संस्था को धन्यवाद देते हुए लिखा कि अगली बार से उनके परिवार को चालीस रु. ही भेजे जाएं और बचे हुए दस रु. से किसी और जरूरतमंद की मदद की जाए.

Web Title: Lal Bahadur Shastri was an example of morality

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