चीन के कबूलनामे से हमारे सैनिकों के शौर्य की ही पुष्टि, अवधेश कुमार का ब्लॉग
By अवधेश कुमार | Published: February 20, 2021 03:50 PM2021-02-20T15:50:47+5:302021-02-20T15:54:47+5:30
चीन की ‘पीपल्स लिबरेशन आर्मी ’(पीएलए) ने पिछले साल जून में पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों के साथ हुई हिंसक झड़प के आठ महीने बाद पहली बार आधिकारिक रूप से स्वीकार किया कि उसके भी चार सैनिक मारे गये थे.
आखिर चीन ने भी सार्वजनिक तौर पर यह कबूल कर लिया है कि पिछले साल 15-16 जून को पूर्वी लद्दाख के गलवान में हुए संघर्ष में उसके जवानों की भी मौत हुई थी.
न केवल वहां के सरकारी समाचार पत्नों बल्कि चीनी सेना के पत्न में भी इसका जिक्र किया गया है. पीपुल्स डेली और ग्लोबल टाइम्स में इसकी चर्चा करते हुए इन जवानों को मरणोपरांत पदक देने की खबर छपी है. इनके अनुसार केंद्रीय सैन्य आयोग ने काराकोरम पर्वत पर तैनात रहे पांच चीनी सैनिकों के बलिदान को याद किया है और सम्मानित भी किया है.
मारे गए चीनी सैनिकों का नाम भी सार्वजनिक किया गया
मारे गए चीनी सैनिकों का नाम भी सार्वजनिक किया गया है. ग्लोबल टाइम्स ने पीएलए यानी सेना की डेली रिपोर्ट के हवाले से बताया है कि गलवान खूनी संघर्ष में उसके चार सैनिक मारे गए थे, जबकि एक की मौत गलवान की खूनी झड़प में बचाव कार्रवाई के समय नदी में बहने से हुई थी. उस संघर्ष में भारतीय सेना के एक कर्नल समेत 20 जवान शहीद हो गए.
भारत ने इसे स्वीकार करने में कभी हिचक नहीं दिखाई. चीन ने देर से अपने सैनिकों के मारे जाने की बात कबूल की लेकिन अब भी वह पूरा सच बोलने के लिए तैयार नहीं है. केवल भारत नहीं, दूसरे देशों से आई रिपोर्टो में भी चीनी सैनिकों के ज्यादा संख्या में हताहत होने की बात थी. भारत ने अपनी सेना से प्राप्त जानकारी के आधार पर माना था कि चीन के 40 से अधिक सैनिक गलवान संघर्ष में मारे गए थे.
गलवान घाटी झड़प में कम-से-कम 45 चीनी सैनिक मारे गए थे
हाल ही में रूसी समाचार एजेंसी तास ने भी बताया कि गलवान घाटी झड़प में कम-से-कम 45 चीनी सैनिक मारे गए थे. तब अमेरिका ने भी अपनी जानकारी के आधार पर यह कहा था कि भारतीय सैनिकों के साथ झड़प में चीन के भी 40 से ज्यादा जवान मारे गए. और भी कई रिपोर्ट में इसी के आसपास संख्या दी गई थी. जो लोग भारत के लिए एकतरफा जन क्षति की बात कर रहे थे वे अब इतना अवश्य मानेंगे कि हमारे निहत्थे जवानों ने अदम्य वीरता और शौर्य का परिचय दिया. अपनी जान दी, पर चीनियों को भी छोड़ा नहीं.
हमारे देश में गलवान की खूनी झड़प के बाद से ही एक बड़ा तबका भारत की रक्षा नीति और चीन से निपटने के तौर-तरीकों पर सवाल उठाता रहा है. इनमें चीन का विरोध करने की जगह भारत सरकार की आलोचना ज्यादा है. यह बात अलग है कि परोक्ष रूप से यह आलोचना सरकार की बजाय सेना की हो जाती है. आखिर सेना ही तो सीमा पर मुकाबला करती है.
चीनी सेना उस खूनी झड़प के लिए भारत को जिम्मेदार ठहरा रही है
चीन ने अपने सैनिकों की लड़ाई की चर्चा करते हुए जो कुछ कहा है उस पर ध्यान देने की आवश्यकता है. इसमें चीन के केंद्रीय सैन्य आयोग ने अपने अनुसार गलवान झड़प की कहानी बताई है. आयोग ने सभी दिवंगतों को हीरो का दर्जा दिया है. चीनी सेना उस खूनी झड़प के लिए भारत को जिम्मेदार ठहरा रही है.
उसने कहा कि अप्रैल 2020 के बाद से विदेशी सेना यानी भारतीय सेना ने पिछले समझौते का उल्लंघन किया, उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय सीमा का उल्लंघन कर सड़क और पुलों का निर्माण किया, जानबूझकर सीमा पर अपनी स्थिति को बदलते हुए संवाद के लिए भेजे गए चीनी सैनिकों पर हिंसक हमला किया.
कर्नल संतोष बाबू सहित 20 जवान शहीद हो गए थे
हालांकि यह सफेद झूठ है. जैसा हम जानते हैं गलवान घाटी में झड़प उस वक्त हुई थी जब नियंत्नण रेखा पर उपस्थिति की निर्धारित, मान्य और परंपरागत जगह से चीनी सेना के आगे आ जाने के बाद भारतीय सेना उनको पीछे हटने के लिए कहने गई थी. इसी दौरान चीनी सैनिकों ने कंटीले तार लगी हुई लोहे की रॉड, पत्थरों आदि से भारतीय सैनिकों पर हमला बोल दिया था.
यह आमने-सामने की अत्यंत ही भयानक लड़ाई थी. इसमें हमारे कर्नल संतोष बाबू सहित 20 जवान शहीद हो गए थे. वहां से जीवित वापस लौटे जवानों ने इसकी पूरी कहानी बयान की कि कैसे चीनी सैनिकों ने धोखा देकर बर्बर और वहशी तरीके से उन पर हमला किया. इन लोगों ने किस तरह से उसका जवाब दिया.
कैसे उनको पीछे हटने को भागने को मजबूर किया और कैसे उनके सैनिक भी हताहत हुए इसकी सारी कहानी जवानों ने बताई. चीन पहले यह मानने को ही तैयार नहीं था कि उसके सैनिक भी मारे गए हैं. इसके आधार पर सरकार के आलोचकों द्वारा पूरी तस्वीर ऐसी बनाई गई मानो चीन बेरोकटोक हमारी सीमा में घुस गया, हमारे सैनिकों पर हमला कर दिया, उनको मारा और उसे जवाब नहीं मिला.
अब जब समझौते के साथ चीन की सेना मई 2020 की स्थिति में जा रही है तथा प्रक्रिया जारी रहने के बीच जो कुछ सच आ गया है उनसे साफ है कि भारत ने हर स्तर पर चीन को कई बार आगे बढ़ कर करारा जवाब दिया.