प्रमोद भार्गव का ब्लॉग: सेना के पास संसाधनों की कमी होना चिंताजनक

By प्रमोद भार्गव | Published: February 11, 2020 05:47 AM2020-02-11T05:47:47+5:302020-02-11T05:47:47+5:30

जवानों को कैलोरी की कमी पूरी करने के लिए विशेष प्रकार का खाना दिया जाता है, किंतु इसकी उपलब्धता में कंजूसी बरती जा रही है. एकाएक वैकल्पिक भोजन की स्थिति बनने पर 82 प्रतिशत कैलोरी का ही भोजन दे दिया जाता है.

Lack of resources army is worrying | प्रमोद भार्गव का ब्लॉग: सेना के पास संसाधनों की कमी होना चिंताजनक

प्रतीकात्मक फोटो

Highlightsनए फेस मास्क, जैकेट और स्लीपिंग बैग नहीं खरीदे जाने के कारण पुराने ही सामान का जवानों को उपयोग करना पड़ रहा है.कैग ने 9000 फुट ऊंचे स्थलों पर सैनिकों को दिए जाने वाले विशेष प्रकार के भोजन और आवासीय उपकरण व सुविधाओं पर भी सवाल खड़े किए हैं. 

तीन फरवरी 2020 को संसद में पेश की गई नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि सेना के पास हथियारों समेत सैनिकों द्वारा बर्फीले इलाकों में पहने जाने वाले स्नो बूट, वस्त्र, सन ग्लास, स्लीपिंग बैग और बुलेट प्रूफ जैकेटों की कमी है. नतीजतन सैनिकों को रिसाइकल कर जूते पहनने पड़ रहे हैं. सेना बीते चार साल से इन तंगियों को ङोल रही है. 

सैनिकों को बर्फीले क्षेत्रों में खाया जाने वाला भरपूर कैलोरीयुक्त पोषक आहार भी नहीं मिल रहा है. जबकि पाकिस्तानी सैनिकों के पास ऐसे खतरनाक कारतूस हैं, जो बुलेट प्रूफ जैकेट को भी भेद देते हैं. दो परमाणु शक्ति संपन्न पड़ोसियों की आक्रामकता तथा आंतरिक सुरक्षा की चुनौतियों को देखते हुए जरूरी संसाधनों का अभाव बहुत चिंताजनक है. भारी वाहनों की आपूर्ति भी देरी से हो रही है. 

रिपोर्ट के मुताबिक यह तंगी बजट की कमी और थल सेना की जरूरतों में बढ़ोत्तरी के कारण आई है. हालांकि सरकार ने हाल ही में संसद में पेश किए रक्षा बजट में 3़ 18 लाख करोड़ की वृद्धि की है, जो पिछले बजट की तुलना में 6़ 87 प्रतिशत अधिक है.

देश की सीमाओं पर जिस तरह  से युद्ध का माहौल बना हुआ है, उस परिप्रेक्ष्य में कैग की रिपोर्ट चिंता पैदा करने वाली है. इस रिपोर्ट ने खुलासा किया है कि कश्मीर घाटी और सियाचिन जैसे बर्फीले क्षेत्रों में तैनात सैनिकों को नए स्नो बूट नहीं मिलने के कारण पुराने जूते पुनर्चक्रित करके पहनने पड़ रहे हैं. इसी तरह स्नो ग्लास की भारी कमी है.

नए फेस मास्क, जैकेट और स्लीपिंग बैग नहीं खरीदे जाने के कारण पुराने ही सामान का जवानों को उपयोग करना पड़ रहा है. रक्षा सामग्री से जुड़ी प्रयोगशालाओं द्वारा इन वस्तुओं के निर्माण संबंधी शोध की कमी के कारण देश को इन सामानों के लिए आयात की मजबूरी ङोलनी होती है. कैग ने 9000 फुट ऊंचे स्थलों पर सैनिकों को दिए जाने वाले विशेष प्रकार के भोजन और आवासीय उपकरण व सुविधाओं पर भी सवाल खड़े किए हैं. 

जवानों को कैलोरी की कमी पूरी करने के लिए विशेष प्रकार का खाना दिया जाता है, किंतु इसकी उपलब्धता में कंजूसी बरती जा रही है. एकाएक वैकल्पिक भोजन की स्थिति बनने पर 82 प्रतिशत कैलोरी का ही भोजन दे दिया जाता है. हैरत की बात यह भी है कि सैनिकों को पर्याप्त विशेष आहार देना तो दिखाया जा रहा है, लेकिन उन्हें यह हकीकत में मिल नहीं रहा है.    

हालांकि नरेंद्र मोदी सरकार ने हथियारों की खरीद के अधिकार सेना और आयुध कारखाना बोर्ड को दिए हैं. बड़ी मात्र में धन भी दिया गया है. इस वित्तीय वर्ष में रक्षा बजट में 6़ 87 प्रतिशत की वृद्धि भी की गई है. इसके बावजूद हथियारों की कमी शोचनीय पहलू है.

Web Title: Lack of resources army is worrying

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