ब्लॉग: सजा कड़ी करने के साथ मानसिकता भी बदलने की जरूरत

By विश्वनाथ सचदेव | Updated: August 22, 2024 09:31 IST2024-08-22T09:30:58+5:302024-08-22T09:31:40+5:30

बलात्कार के किसी कांड को राजनीति का हथियार बनाना किसी भी दृष्टि से उचित नहीं कहा जा सकता।

Kolkata rape and murder case There is a need to change the mentality along with making the punishment stricter | ब्लॉग: सजा कड़ी करने के साथ मानसिकता भी बदलने की जरूरत

ब्लॉग: सजा कड़ी करने के साथ मानसिकता भी बदलने की जरूरत

कोलकाता के एक अस्पताल में हुए जघन्य कांड की गुत्थी अभी सुलझी नहीं है। पश्चिम बंगाल की पुलिस को अक्षम ठहराकर मामला सीबीआई को सौंप दिया गया है। उच्चतम न्यायालय ने भी मामले की गंभीरता को देखते हुए स्वत: संज्ञान लिया है। उधर देश भर के डॉक्टरों का विरोध-प्रदर्शन जारी है। वे सुरक्षा की गारंटी मांग रहे हैं। इस मांग के औचित्य पर किसी को संदेह नहीं होना चाहिए लेकिन जिस तरह सारे मामले को राजनीति का हथियार बनाया जा रहा है, उसे देखते हुए न्याय की मांग करने वालों की नीयत पर संदेह व्यक्त किया जा रहा है।

निस्संदेह मामला बहुत गंभीर है और बलात्कार का यह मुद्दा कानून-व्यवस्था के लिए जिम्मेदार एजेंसियों की अक्षमता को भी उजागर करने वाला है। उम्मीद ही की जा सकती है कि अपराधी शीघ्र ही पकड़ा जाएगा/ पकड़े जाएंगे और मरीजों को अस्पतालों में समुचित चिकित्सा मिलेगी, डॉक्टर को बिना डरे अपना काम करने का माहौल मिलेगा। मरीजों और डॉक्टरों के प्रति हमारी व्यवस्था को कम से कम इतना तो करना ही चाहिए।

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के अनुसार हमारे देश में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों में बलात्कार चौथा सबसे गंभीर अपराध है। प्राप्त आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2021 में देश में बलात्कार के  31,677 मामले दर्ज हुए थे, अर्थात रोज 86 मामले यानी हर घंटे चार. इसके पहले सन्‌ 2020 में 28,046 और सन्‌ 2019 में 32,033 मामले दर्ज हुए थे। यह आंकड़े तो उन अपराधों के हैं जो थानों में दर्ज हुए। हकीकत यह है कि आज हमारे देश में कम से कम इतने ही मामले थानों में दर्ज नहीं होते! यह मानकर कि अपराधियों को सजा नहीं मिलेगी, पीड़ित पक्ष ‘पुलिस के चक्कर’ में पड़ते ही नहीं।

साथ ही बलात्कार की शिकार महिलाएं और उनके परिवार वाले समाज के ‘डर’ से भी पुलिस के पास जाने में हिचकिचाते हैं। बलात्कार स्त्री पर किया गया जघन्य अपराध है, लेकिन हमारे यहां बलात्कार की शिकार महिलाओं को ही संदेह और नीची दृष्टि से देखा जाता है! आज मुख्य सवाल इस दृष्टि को बदलने का है और यह काम सिर्फ कड़े कानून से नहीं होगा।

बलात्कार करने वाले को कड़ी से कड़ी सजा मिले, यह सब चाहते हैं, लेकिन यह बात कोई नहीं समझना चाहता कि आवश्यकता उस दृष्टि को बदलने की है जो महिला को एक वस्तु मात्र समझती है। अपराधी यह दृष्टि भी है। सजा इसे भी मिलनी चाहिए–इस दृष्टि को बदलने की ईमानदार कोशिश होनी चाहिए। बलात्कार के किसी कांड को राजनीति का हथियार बनाना किसी भी दृष्टि से उचित नहीं कहा जा सकता।

बलात्कार और बलात्कारियों को किसी भी दृष्टि से छूट नहीं दी जा सकती, लेकिन इस बात को भी नहीं भुलाया जाना चाहिए कि ऐसा अपराध करने वाला ही नहीं, ऐसे अपराध को सहने वाला समाज भी दोषी होता है।

Web Title: Kolkata rape and murder case There is a need to change the mentality along with making the punishment stricter

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