लाइव न्यूज़ :

कपिल सिब्बल का ब्लॉग: जम्मू-कश्मीर में शांति बहाली दूर की कौड़ी

By कपील सिब्बल | Updated: July 14, 2021 14:43 IST

ये सवाल है कि हमारे प्रधानमंत्री और गृह मंत्री आखिर उन लोगों से क्यों बातचीत कर रहे हैं जो आतंक और अस्थिरता को बढ़ावा देते हैं, तिरंगे का अपमान करते हैं.

Open in App

इस माह कश्मीर का गुपकार गठबंधन चर्चा में रहा. 17 नवंबर 2020 को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट किया ‘‘कांग्रेस और ‘गुपकार गैंग’ जम्मू-कश्मीर को आतंक तथा अस्थिरता के दौर में वापस ले जाना चाहते हैं. वे दलितों, महिलाओं तथा आदिवासियों के अधिकार छीन लेना चाहते हैं.’’ 

उसी दिन शाह ने फिर ट्वीट किया कि ‘‘ ‘गुपकार गैंग’ ग्लोबल हो रही है. वह जम्मू-कश्मीर में विदेशी शक्तियों का हस्तक्षेप करवाना चाहती है. गुपकार गैंग तिरंगे का भी अपमान कर रही है.’’ ऐसे में हमारे प्रधानमंत्री तथा गृह मंत्री उन लोगों से क्यों बातचीत कर रहे हैं जो आतंक और अस्थिरता को बढ़ावा देते हैं, तिरंगे का अपमान करते हैं. 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा अमित शाह को अपने मत पर दृढ़ रहने के लिए जाना जाता है. अमित शाह के मुताबिक ‘गुपकार गैंग’, जो ग्लोबल हो रही है और जिस राष्ट्रीय हितों के खिलाफ अपवित्र गठबंधन माना जाता है, अब राष्ट्रीय हितों के लिए बातचीत का हिस्सा बन गई है.

मुझे लगता है कि अचानक हृदय परिवर्तन राजनीतिक रणनीति के तहत हुआ. सरकार दुनिया को यह भरोसा दिलाना चाहती है कि वह जम्मू-कश्मीर में लोकतांत्रिक प्रक्रिया की बहाली के लिए गंभीरता से प्रयास कर रही है. कई विशेषज्ञ इस बात पर आश्चर्य जता रहे हैं कि भारत-पाक सीमा पर शांति के दौर में सरकार ‘गुपकार गठबंधन’ जिसे ‘ग्लोबल गठबंधन’ की संज्ञा दी जा रही है, से वार्ता कर रही है. 

पिछले दरवाजे से वार्ता शुरू करना सरकार की व्यापक रणनीति का हिस्सा है. इसके तहत वह न केवल यह जताना चाहती है कि वह जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र की बहाली करेगी बल्कि दुनिया को यह संदेश देने का प्रयास कर रही है कि अनुच्छेद 370 निरस्त करने का उद्देश्य लोकतांत्रिक व्यवस्था को दरकिनार करने का नहीं था बल्कि वह राज्य में शांति स्थापित करना चाहती है. वह राज्य में घुसपैठ रोकना चाहती है और आतंकवादियों से साठगांठ करने वालों पर नकेल कसना चाहती है. 

सरकार की ताजा पहल को अविभाजित जम्मू-कश्मीर में सक्रिय रहीं लोकतांत्रिक संस्थाओं को बहाल करने के प्रयास के तौर पर भी देखा जा रहा है. इस प्रक्रिया में सरकार यह संदेश भी देने का प्रयास कर रही है कि वह उन लोगों से भी बातचीत करना चाहती है जो अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद अलग-थलग पड़ गए हैं.

जम्मू-कश्मीर में लोकतांत्रिक प्रक्रिया की बहाली के लिए जरूरी है कि उसे पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल किया जाए. प्रधानमंत्री ने स्पष्ट कर दिया है कि इस केंद्रशासित प्रदेश में विधानसभा चुनाव के बाद ही पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने के सवाल पर विचार किया जाएगा. 

केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव करवाने के दो स्तरीय उद्देश्य हैं. पहला, मुझे संदेह है कि दिल्ली विधानसभा की तरह ही जम्मू-कश्मीर विधानसभा का दायरा हो सकता है. दिल्ली विधानसभा के सारे अधिकार उपराज्यपाल के पास हैं.

दूसरी बात निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के बाद ही चुनाव करवाने से संबंधित है. यह एक प्रशासनिक प्रक्रिया है. 2011 की जनसंख्या के आधार पर परिसीमन करने से निर्वाचित क्षेत्रों की सीमाएं बदल जाने के साथ-साथ परिसीमन के अनुरूप विधानसभा की सीटें भी बढ़ सकती हैं. 

इससे कुछ अशांति बढ़ेगी. जब पूरे देश में परिसीमन के लिए 2026 की जनगणना का इंतजार किया जा रहा हो, तब जम्मू-कश्मीर में इसके लिए 2011 की जनगणना को आधार बनाना एक अपवाद समझा जाएगा. इसे सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर के नेताओं के साथ शुरू की गई वार्ता खटाई में पड़ सकती है.

यह विश्वास किया जाता है कि परिसीमन की प्रक्रिया भले ही सर्वोच्च न्यायालय के सम्मानित न्यायाधीश की अगुवाई में हो, इसका उद्देश्य सत्तापक्ष को फायदा पहुंचाना होता है. यदि परिसीमन का कार्य भाजपा को लाभ पहुंचाने के लिए किया जाएगा तो राज्य के राजनीतिक दलों एवं जनता में विश्वास पैदा करने के प्रयासों पर पानी फिर जाएगा. 

ऐसे में पूर्व में राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके नेताओं एवं अन्य कांग्रेसी दिग्गजों के चुनावी प्रक्रिया में भाग लेने की संभावना कम हो जाएगी.

इस बात की संभावना है कि विधानसभा चुनाव करवाने के बाद दुनिया को यह बताया जाए कि केंद्रशासित जम्मू-कश्मीर में न केवल लोकतांत्रिक प्रक्रिया की बहाली हो गई बल्कि उसमें ‘गुपकार गैंग’ ने भी हिस्सा लिया तथा सहयोग दिया. 

सरकार को उम्मीद है कि इसमें दुनिया भर में उसकी तारीफ होगी मगर इस बात की संभावना कम है कि निकट भविष्य में जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलेगा. 2024 तक यह संभव नहीं लगता. मैं कांग्रेस को इस बात के लिए बधाई देना चाहूंगा कि उसने विधानसभा चुनाव करवाने के पूर्व जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने पर जोर दिया. गुपकार गठबंधन के एक सदस्य ने भी यही रुख अपनाया है.

नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि निकट भविष्य में अनुच्छेद 370 की बहाली की संभावना नहीं है और आगे का रास्ता भी कठिन है. उमर भी मानते हैं कि भारत की जनता अमूमन अनुच्छेद 370 को खत्म करने के पक्ष में है. सुप्रीम कोर्ट भी सरकार के इस फैसले को शायद ही निरस्त करे. जम्मू-कश्मीर में शांति की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, मगर राज्य में शांति स्थापना अभी भी दूर की कौड़ी है.

टॅग्स :जम्मू कश्मीरनरेंद्र मोदीअमित शाहकांग्रेसधारा 370महबूबा मुफ़्तीफारूक अब्दुल्ला
Open in App

संबंधित खबरें

भारतAdventure Tourism Summit 2025: एडवेंचर टूरिज्म कार्यक्रम के लिए है कश्मीर, जानें क्या कुछ होगा खास

भारतबारिश की कमी से कश्मीर में गंभीर जलसंकट, सारा दारोमदार बर्फ पर टिका

ज़रा हटकेपाकिस्तानी महिला ने पीएम मोदी से लगाई मदद की गुहार, पति के दिल्ली में दूसरी शादी करने का किया दावा

भारतगोवा के नाइट क्लब में भीषण आग, 25 लोगों की गई जान; जानें कैसे हुआ हादसा

भारतGoa Fire: गोवा नाइट क्लब आग मामले में पीएम ने सीएम सावंत से की बात, हालातों का लिया जायजा

भारत अधिक खबरें

भारतबिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया पटना डेयरी प्रोजेक्ट, सुधा का निरीक्षण, एमडी शीर्षत कपिल अशोक ने दी डेयरी की उपलब्धि की जानकारी

भारतGoa Club Fire: गोवा समेत दुनिया भर में नाइट क्लब की आग में जली कई जिंदगियां, जानें

भारतबिहार में जहां खून से लाल होती थी धरती, वहां फूलों की खेती से महक उठा है इलाका, लाखों कमा रहे हैं किसान

भारतUP: टॉफी ने ले ली दो साल के बच्चे की जान, गले में अटक गई थी टॉफी, दम घुटने से नहीं बच सका बच्चा

भारतAadhaar Biometric Lock: स्कैमर्स कभी नहीं कर पाएंगे आधार कार्ड का मिस यूज, मिनटों में लॉक करें अपना आधार