Jal Jeevan: देश के कई शहर में पेयजल आपूर्ति की दयनीय हालत, रायचूर और डिंडौरी की तस्वीर वायरल, जानें सबकुछ
By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: June 7, 2022 02:32 PM2022-06-07T14:32:32+5:302022-06-07T14:33:55+5:30
Jal Jeevan: दुनिया में पानी का महज 2.7 प्रतिशत हिस्सा भारत में है लेकिन विश्व की 16 प्रतिशत आबादी यहां बसती है. स्वाभाविक रूप से इससे संसाधनों पर दबाव बढ़ जाता है.
Jal Jeevan: कर्नाटक के रायचूर शहर में दूषित पानी पीने से तीन लोगों की मौत हो गई और 60 से ज्यादा लोग अस्पताल में भर्ती हैं. 31 मई को इस शहर में दूषित जलापूर्ति ने भयावह रूप दिखाया था लेकिन अधिकारियों की कुंभकर्णी नींद नहीं खुली. एक सप्ताह से हालत में सुधार नहीं हुआ और तीन व्यक्तियों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा.
रायचूर कोई कस्बा या गांव नहीं है. वह नगरीय सुविधाओं से लैस एक विकसित शहर है जो अगले कुछ वर्षों में महानगर का रूप ले लेगा. देश के एक विकसित शहर में जब पेयजल आपूर्ति की यह दयनीय हालत है तो आप समझ सकते हैं कि ग्रामीण एवं कस्बाई इलाकों में हालत कितनी भयावह होगी.
पिछले हफ्ते ही मध्य प्रदेश में डिंडौरी जिले के घुसिया गांव की विचलित कर देने वाली तस्वीर वायरल हुई थी. इस गांव में पीने का पानी उपलब्ध नहीं है. लोगों को गांव के एक कुएं में थोड़े से बचे दूषित पानी को निकालने के लिए जान हथेली पर रखकर कुएं में उतरना पड़ रहा है. उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद में नलों से आ रहे दूषित पानी को पीने से तीन साल पहले दो छोटे बच्चों की मौत हो गई थी.
ग्वालियर शहर के हजीरा इलाके में भी नल से आ रहे गंदे पानी को पीकर दो बहनों को जान गंवानी पड़ी थी. देश में पेयजल संकट बहुत गंभीर समस्या है लेकिन उससे बड़ी समस्या है पीने के साफ पानी की आपूर्ति. देश की 47 करोड़ आबादी को आज भी पीने का साफ पानी मयस्सर नहीं है.
दुनिया में पानी का महज 2.7 प्रतिशत हिस्सा भारत में है लेकिन विश्व की 16 प्रतिशत आबादी यहां बसती है. स्वाभाविक रूप से इससे संसाधनों पर दबाव बढ़ जाता है. भारत में सबसे बड़ी समस्या यह है कि जल का मुख्य स्त्रोत नदियां सूखती जा रही हैं, उनमें जितना पानी है, वह प्रदूषित हो चुका है.
शहरों तथा ग्रामीण इलाकों में भूमिगत जल घातक रसायनों के जमीन के भीतर जाने से जहरीला होता जा रहा है. दूषित पानी की आपूर्ति से हर वर्ष जलजनित बीमारियों से छह लाख से ज्यादा लोगों को भारत में जान गंवानी पड़ती है. शुद्ध पेयजल की आपूर्ति न होने से लोगों को मजबूरन दूषित पानी पीना पड़ रहा है.
नदियों तथा अन्य जल स्रोतों में नालों का गंदा पानी तथा औद्योगिक इकाइयों से जहरीले रसायन छोड़े जाने से दूषित जलापूर्ति की समस्या बेहद चिंताजनक हो गई है. देश का ऐसा कोई राज्य नहीं होगा जहां नदियों को साफ करने से लेकर शुद्ध पेयजल आपूर्ति करने की योजनाएं शुरू न की गई हों, लेकिन उन पर गंभीरता से अमल नहीं हो सका तथा स्थिति सुधरने के बजाय बिगड़ती चली गई.
करोड़ों लोगों को आज भी पीने के पानी के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है. जो पानी उन्हें मिलता है, वह कुओं, तालाबों या पोखरों से मिलता है. ये पानी अत्यंत दूषित होता है, मगर लोगों के पास कोई चारा नहीं होता. आजादी के वक्त शुद्ध पेयजलापूर्ति के मामले में देश की जो स्थिति थी, उसमें 75 वर्षों में बहुत ज्यादा सुधार नहीं हुआ है.
गांव तथा छोटे-बड़े शहरों की बात तो दूर, देश का एक भी महानगर दूषित पानी की समस्या से अछूता नहीं है. देश के चारों महानगरों में महज 45 फीसदी आबादी को ही शुद्ध पेयजल नसीब है. कर्नाटक में रायचूर की घटना शुद्ध पानी की आपूर्ति को लेकर देशभर में व्याप्त दयनीय स्थिति का चित्रण करती है.
मृतकों के परिवारों को मुआवजा देने भर से समस्या का समाधान नहीं हो जाएगा. केंद्र तथा राज्यों को देश के हर नागरिक को पीने का साफ पानी उपलब्ध करवाने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए आपसी तालमेल के साथ काम करना होगा.