दक्षिण भारत को फतह करना भी मोदी के लिए असंभव नहीं

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: January 18, 2024 10:57 AM2024-01-18T10:57:30+5:302024-01-18T11:02:58+5:30

एक समय ऐसा था जब यह माना जाता था कि भारतीय जनता पार्टी पश्चिम बंगाल तथा त्रिपुरा जैसे पूर्वी राज्यों तथा ईसाई बहुल पूर्वोत्तर राज्यों में कभी अपने पैर जमा नहीं सकेगी।

It is not impossible for Modi to conquer South India | दक्षिण भारत को फतह करना भी मोदी के लिए असंभव नहीं

दक्षिण भारत को फतह करना भी मोदी के लिए असंभव नहीं

Highlightsएक समय लगता था कि भाजपा पश्चिम बंगाल तथा त्रिपुरा जैसे पूर्वी राज्यों में अछूती रहेगीलेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की जोड़ी ने इस धारणा को तोड़ा हैदोनों की अथक मेहनत, दूरदर्शी रणनीति तथा संगठनात्मक कौशल से भाजपा ने पूर्वोत्तर में पैठ बना ली है

एक समय ऐसा था जब यह माना जाता था कि भारतीय जनता पार्टी पश्चिम बंगाल तथा त्रिपुरा जैसे पूर्वी राज्यों तथा ईसाई बहुल पूर्वोत्तर राज्यों में कभी अपने पैर जमा नहीं सकेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की जोड़ी ने इस धारणा को गलत साबित कर दिया। दोनों नेताओं की अथक मेहनत, दूरदर्शी रणनीति तथा संगठनात्मक कौशल ने असंभव सी लगने वाली बात को संभव कर दिखाया।

प. बंगाल में भाजपा सत्ता भले ही हासिल नहीं कर सकी हो लेकिन उसने पिछले लोकसभा तथा विधानसभा चुनाव में क्रमश: 18 एवं 77 सीटें जीतकर अपने फैलते जनाधार का सबूत दे दिया। इसी  तरह त्रिपुरा में वामपंथियों का गढ़ ध्वस्त कर उसने लगातार दो बार विधानसभा में स्पष्ट बहुमत हासिल किया। अब मोदी की निगाहें दक्षिण भारत पर हैं जो अब भी भाजपा की कमजोर नब्ज बना हुआ है।

दक्षिण को भी एक वक्त भाजपा के लिए दूर की कौड़ी समझा जाता था लेकिन उसने इस पट्टे को फतह किया और आंध्रप्रदेश में भी अपनी अच्छी खासी पैठ बनाने में उसे कामयाबी मिली है। 2019 में लगातार दूसरी बार सत्ता संभालने के बाद मोदी ने दक्षिण की ओर रुख किया है। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को जो 303 सीटें मिली थीं, उसमें से पौने तीन सौ से ज्यादा उत्तर, पूर्वोत्तर तथा पूर्वी राज्यों से थी।

दक्षिण की 130 संसदीय सीटों में से उसे महज 29 सीटें ही मिली थीं जिनमें से 25 अकेले कर्नाटक से थीं। शेष चार सीटें उसने तेलंगाना में जीती थीं। मोदी दक्षिण की 130 लोकसभा सीटों का महत्व समझते हैं और साथ ही वह इस छवि को भी तोड़ने की जीतोड़ कोशिश कर रहे हैं कि भाजपा हिंदी भाषियों की पार्टी है।

पिछले दो वर्षों से मोदी दक्षिण भारत पर लगातार ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। नवंबर 2022 में उन्होंने दक्षिणी राज्यों का सघन दौरा कर 25 हजार करोड़ से ज्यादा की विकास योजनाओं का तोहफा दिया था। नए वर्ष में वह फिर दक्षिण भारत में हैं। लक्षद्वीप भले छोटा सा क्षेत्र हो लेकिन उसे पर्यटन के असीम संभावनाओं वाले केंद्र के रूप में उभारकर उन्होंने एक नई चर्चा को जन्म दिया जिसमें राष्ट्रवाद का पुट था।

दक्षिण भारत के केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र तथा तेलंगाना को विकास योजनाओं की सौगात देकर तथा आस्था के प्रसिद्ध केंद्रों में पूजा-अर्चना कर मोदी दक्षिण भारत की जनता को भाजपा के साथ भावनात्मक रूप से जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं जिसका फायदा इस क्षेत्र में उनकी पार्टी को निश्चित रूप से मिलेगा।

तमिलनाडु में द्रमुक के नेताओं ने जिस तरह सनातन धर्म पर हमला किया है, उससे द्रविड़ राजनीति के इस मजबूत गढ़ में भाजपा की जड़ें फैलाने में निश्चित रूप से मदद मिलेगी। केरल इस वक्त वामपंथियों तथा कांग्रेस का मजबूत गढ़ लग रहा है लेकिन मोदी जिस तरह से इस राज्य में योजनाबद्ध तरीके से शाह तथा अन्य नेताओं के साथ मिलकर मेहनत कर रहे हैं, उससे यहां भी त्रिपुरा की  पुनरावृत्ति निकट भविष्य में हो जाए तो आश्चर्य नहीं है।

मोदी जानते हैं कि केरल को फतह करना इतना आसान नहीं है लेकिन वह यह भी जानते हैं कि असंभव को संभव कैसे किया जा सकता है। यह सोचना गलतफहमी होगी कि मोदी केरल में 2024 के चुनाव को लक्ष्य बनाकर चल रहे हैं। असल में मोदी का लक्ष्य 2029 है। वह बेहद दूरदर्शी नेता हैं।

प. बंगाल, त्रिपुरा तथा पूर्वोत्तर राज्यों में भाजपा ने दशकों के परिश्रम के बाद सफलता हासिल की है। तमिलनाडु में भी वह दूरगामी रणनीति बनाकर चल रहे हैं। तमिलनाडु में जयललिता के निधन के बाद अन्नाद्रमुक दो टुकड़े हो गई है और इस पार्टी का जनाधार सिकुड़ने लगा है और मोदी अन्नाद्रमुक के वोट बैंक को भाजपा की ओर मोड़ने के दीर्घकालिक लक्ष्य को साधने में जुटे हैं।

कर्नाटक में विधानसभा चुनाव में भाजपा की पराजय की भरपाई वह लोकसभा चुनाव में शानदार सफलता से करना चाहते हैं। आंध्रप्रदेश में भी उनका मकसद वाईएसआर कांग्रेस और तेलुगुदेशम पार्टी के बीच भाजपा की अलग ताकत खड़ी करना है। मोदी के लिए कुछ भी असंभव नहीं। अपनी इस क्षमता को उन्होंने बार-बार साबित किया है। ऐसे में आश्चर्य नहीं कि भविष्य में हम दक्षिण भारत को भी भाजपा का मजबूत गढ़ बनते देखें।

Web Title: It is not impossible for Modi to conquer South India

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