ब्लॉग: आधुनिक जीवन में बढ़ती योग की अनिवार्यता...आखिर क्या हैं इसके फायदे?

By गिरीश्वर मिश्र | Published: June 21, 2023 09:42 AM2023-06-21T09:42:57+5:302023-06-21T09:43:29+5:30

योग का क्रमबद्ध पाठ्यक्रम स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों पर अनिवार्य रूप से लागू करने की आवश्यकता है. यह किसी धर्मविशेष की नहीं, सारी मानवजाति की अनमोल विरासत है.

International Yoga Day Increasing necessity of yoga in modern life, knoe What are its benefits | ब्लॉग: आधुनिक जीवन में बढ़ती योग की अनिवार्यता...आखिर क्या हैं इसके फायदे?

ब्लॉग: आधुनिक जीवन में बढ़ती योग की अनिवार्यता...आखिर क्या हैं इसके फायदे?

चिकित्सा-विज्ञान के ताजा आंकड़े बता रहे हैं कि अवसाद, चिंता, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, कैंसर और मधुमेह जैसे जानलेवा रोगों के शिकार लोगों की संख्या में तेजी से हो रहा इजाफा बहुत हद तक जीवन-शैली में आ रहे बदलावों के समानांतर है. अब सुख-सुविधा के अधिकाधिक साधन आम लोगों की पहुंच के भीतर आते जा रहे हैं. वैश्वीकरण के साथ ही सामाजिक और भौगोलिक गतिशीलता भी तेजी से बढ़ रही है. ऊपर से सूचना और संचार की प्रौद्योगिकी घर और बाहर (नौकरी) के कार्य का स्वरूप भी अधिकाधिक डिजिटल और आरामतलब बनाती जा रही है. फलतः शरीर के लिए जरूरी व्यायाम से लोग चूक रहे हैं, बैठकी बढ़ रही है, इंस्टेंट फूड का उपयोग बढ़ रहा है और जिम में तेजी से पसीना बहाने के चलते हृदय रोग के खतरे से भी लोग जूझ रहे हैं.  

कभी संस्कार, सद्व्यवहार, सद्‌विचार और सत्कर्म यानी अच्छाई की ओर उन्मुख बने रहना भारतीय जीवन-शैली का मुख्य सरोकार होता था. इसमें योग की विशेष भूमिका थी. आज फिर योग का प्रचलन तेजी से हो रहा है. खास तौर पर आसन, प्राणायाम और योग-निद्रा अब फैशन में आ रहे हैं. इनके लिए सस्ते-महंगे एकल या सामूहिक शिक्षण-प्रशिक्षण के ऑनलाइन तथा साक्षात कई तरह के पाठ्यक्रम भी लोकप्रिय हो रहे हैं. बड़ी संख्या में योग-गुरु भी तैयार बैठे हैं जो योग में रुचि रखने वालों की जिज्ञासाओं को शांत कर रहे हैं. निश्चय ही इन सब फौरी कार्य-कलापों का योग से तो संबंध है, पर सिर्फ यही योग है, ऐसा कहना ठीक नहीं होगा. सिद्धांत और व्यवहार को जांचें-परखें तो योग एक समग्र जीवन-दर्शन है.

महर्षि अरविंद के शब्द में कहें तो ‘सारा जीवन ही योग’ है. योग-शास्त्र को मानें तो योग मुख्यतः चित्तवृत्तियों को शांत करने और उच्च चैतन्य की अवस्था के अनुभव के लिए अग्रसर करता है. योग के आसन प्राणिक ऊर्जाओं को व्यवस्थित और संतुलित करने में सहायक होते हैं. योग के साथ जीवन-यात्रा शुरू करते हुए अभ्यास, साधना और फिर उसे जीवन में उतारने का क्रम आता है. यौगिक सोच को जीवनशैली के रूप में अपनाना एक गंभीर मामला है. आज प्रदूषण तथा शारीरिक बीमारियों आदि को ध्यान में रख कर स्वास्थ्य की रक्षा, प्रतिरक्षा तंत्र (इम्यून सिस्टम) की सुदृढ़ता और मानसिक शांति की तलाश महत्वपूर्ण होती जा रही है. योग इस अंधेरे होते समय में रोशनी लाने वाली खिड़की जैसा है.

योग की जीवनशैली दुःख के साथ होने वाले संयोग से वियोग करने वाली या बचाने वाली है. यौगिक जीवन-शैली का प्रमुख अंग शारीरिक स्वास्थ्य है जिसके लिए सतत प्रयास करना पड़ता है. संतुलित और व्यवस्थित जीवन जीते हुए शरीर पर समुचित ध्यान और परिश्रम आवश्यक है. आसन और प्राणायाम इसके लिए लाभकर होते हैं. चूंकि मन सभी क्रियाओं को परिचालित करता है इसलिए इसे बैटरी भी कह सकते हैं. जब वह चार्ज रहती है तो थकान की जगह स्फूर्ति रहती है परंतु तनाव, चिंता, झुंझलाहट बनी रहे तो इसकी शक्ति घट जाती है. इन सबके समाधान के लिए यौगिक जीवन-शैली अर्थात् आहार और निद्रा पर विशेष ध्यान दिया गया है. सूर्योदय के बाद और सूर्यास्त के पूर्व सात्विक भोजन कर लेना ठीक होता है क्योंकि देर से भोजन करने पर पाचन क्रिया मंद रहती और नींद नहीं आती है.

आज योग के प्रति आम जनों में भी उत्सुकता बढ़ी है पर या तो उसे सिर्फ आसनों में समेट लिया जाता है या फिर साधारण व्यक्ति की पहुंच से दूर कुछ अलौकिक बना दिया जाता है. जैसा कि योग के विभिन्न चरणों से स्पष्ट होता है योग जीवन के सभी पक्षों से जुड़ा हुआ है. उसके यम पूरी तरह से सामाजिक जीवन को संबोधित करते हैं तो नियम निजी जीवन को. आसन और प्राणायाम शरीर को साधते हैं जिसमें स्नायु मंडल भी शामिल है. ध्यान के बाद अंतर्यात्रा शुरू होती है. इस तरह योगशास्त्र जीवन जीने के मैनुअल सरीखा है. हमारी स्कूली शिक्षा में बौद्धिक कार्य पर बहुत अधिक बल दिया जाता है. मानव मूल्यों और चरित्र निर्माण का जिक्र भी आता है पर अपने को समझने, अपने शरीर और मन को जानने-समझने के लिए बहुत कम अवसर रहता है. आज के तनाव और चिंता के दौर में जीवन कौशल का महत्व बहुत बढ़ गया है. योग के विभिन्न पक्षों की शिक्षा और अभ्यास न केवल शरीर और मन को स्वस्थ और संतुलित रखेगा बल्कि अध्ययन और सर्वांगीण विकास का मार्ग भी प्रशस्त करेगा.

इसलिए योग का क्रमबद्ध पाठ्यक्रम स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों पर अनिवार्य रूप से लागू करने की आवश्यकता है. देश-विदेश में योग का आधुनिक वैज्ञानिक दृष्टि से अध्ययन तेजी से बढ़ रहा है और वह किसी धर्मविशेष की नहीं, सारी मानवजाति की अनमोल विरासत है, जिसका शिक्षा में उपयोग भावी पीढ़ी के निर्माण में लाभकर होगा. शिक्षा की पूर्णता और समग्रता के लिए योग का प्राविधान एक अनिवार्य कदम है. योग से संजीदगी भी आती है और स्वयं को चैतन्य से जोड़ कर पूर्णता, व्यापकता की संभावना भी बनती है. योग इसका मार्ग प्रशस्त करता है.

Web Title: International Yoga Day Increasing necessity of yoga in modern life, knoe What are its benefits

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