ब्लॉग: जैव विविधता पर मंडराते संकट के बादल
By योगेश कुमार गोयल | Published: May 22, 2023 12:19 PM2023-05-22T12:19:47+5:302023-05-22T12:21:54+5:30
अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस हर साल 22 मई को मनाया जाता है. यह बात साफ हो गई है कि धरती का पारिस्थितिकी तंत्र बेहद खराब हो चुका है. ऐसे में इस संबंध में और जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है.
प्राकृतिक संसाधनों के बड़े पैमाने पर दोहन, शहरीकरण, औद्योगिकीकरण, शिकार और वृक्षों की कटाई जैसी गतिविधियों से धरती पर बड़े बदलाव हो रहे हैं. प्रदूषित वातावरण और प्रकृति के बदलते मिजाज के कारण जीव-जंतुओं और वनस्पतियों की अनेक प्रजातियों का अस्तित्व संकट में पड़ गया है. कई प्रजातियां तेजी से लुप्त होती जा रही हैं.
वनस्पति और जीव-जंतु ही धरती पर बेहतर और जरूरी पारिस्थितिकी तंत्र प्रदान करते हैं और वन्य जीव चूंकि हमारे मित्र भी हैं, इसलिए उनका संरक्षण किया जाना बेहद जरूरी है. पृथ्वी पर मौजूद जंतुओं और पौधों के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए तथा जैव विविधता के मुद्दों के बारे में लोगों में जागरूकता और समझ बढ़ाने के लिए प्रतिवर्ष 22 मई को अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस मनाया जाता है.
अब तक के कई शोधों से यह सामने आ चुका है कि धरती का पारिस्थितिकी तंत्र बेहद खराब हो चुका है. मानवीय दखल से दूर रहने के कारण और स्थानीय जनजातीय लोगों की भूमिका के चलते पृथ्वी का मात्र तीन प्रतिशत हिस्सा ही पारिस्थितिक रूप से सुरक्षित रह गया है.
ब्रिटेन स्थित स्मिथसोनियन एनवायरनमेंटल रिसर्च सेंटर के मुताबिक विश्व के केवल 2.7 फीसदी हिस्से में ही अप्रभावित जैव विविधता बची है, जो बिल्कुल वैसी ही है जैसी पांच सौ वर्ष पूर्व हुआ करती थी. अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ एरिजोना के शोधकर्ताओं का मानना है कि आगामी 50 वर्षों में वनस्पतियों और जीव-जंतुओं की प्रत्येक तीन में से एक यानी एक तिहाई प्रजातियां विलुप्त हो जाएंगी.