सारंग थत्ते का ब्लॉग: कब रुकेंगे नौसेना में जानलेवा हादसे?
By सारंग थत्ते | Published: June 25, 2019 06:19 AM2019-06-25T06:19:44+5:302019-06-25T06:19:44+5:30
विगत शुक्र वार मुंबई में मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड के अधीन निर्माणाधीन युद्धपोत विशाखापट्टनम की दूसरी और तीसरी मंजिल पर आग लगने से भारी नुकसान हुआ और एक असैनिक कर्मचारी इसमें जलने से हताहत हुआ है.
भारतीय नौसेना के इतिहास में पिछले दस साल हादसों की दास्तान बयां करते हुए गुजरे हैं. एक के बाद एक हर दूसरे या तीसरे महीने में किसी न किसी नौसेना पोत पर किसी किस्म का हादसा हो रहा है. तीनों सेनाओं की कार्यशैली में हर कार्य की रूपरेखा और कार्य की पद्धति लिखित रूप में मौजूद होती है. सिलसिलेवार इन्हें शांति और युद्ध के लिए अलग-अलग खंडों में प्रकाशित किया जाता है और इन्हें समय-समय पर उन्नत भी किया जाता है.
यह एक ऐसा डॉक्युमेंट है जो हर यूनिट में होता है जिसे हर अधिकारी को पढ़ना जरूरी होता है. स्टैडिंग ऑर्डर्स फॉर पीस एंड वॉर. इसके अलावा विशेष रूप से किसी भी कार्य को करने की सिलसिलेवार पद्धति आसान भाषा में लिखी जाती है एवं यूनिट के आखिरी सैनिक तक समझाई जाती है.
इस सबके बावजूद भी सुरक्षा में चूक होती है जो कुछ हद तक मानवीय है लेकिन नौसेना में विशाल युद्धपोतों में, बैटरी कक्ष में हादसे, इंजिन रूम में आग और रखाव में अनहोनी होने से बहुमूल्य जान की कीमत अब हर किसी की जुबान पर है. इससे राष्ट्रीय नुकसान भी हो रहा है. आईएनएस सिंधुरत्न पनडुब्बी में 2 दो अधिकारियों की मौत हुई थी.
विगत शुक्र वार मुंबई में मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड के अधीन निर्माणाधीन युद्धपोत विशाखापट्टनम की दूसरी और तीसरी मंजिल पर आग लगने से भारी नुकसान हुआ और एक असैनिक कर्मचारी इसमें जलने से हताहत हुआ है.
CAG की रिपोर्ट
नियंत्नक और महालेखा परीक्षक की 2017 की रिपोर्ट के अनुसार 2007 से 2016 के बीच 38 हादसे हुए जिसमें 8 अधिकारी और 25 नौसैनिकों को जान की कीमत देनी पड़ी. सबसे ज्यादा 12 हादसे 2013-14 में हुए थे. इन 38 हादसों में 15 आग लगने से हुए, 6 पोत तलहटी से टकराने से हुए, अन्य 6 नौसेना के युद्ध पोत आपस में टकराने से हुए और बाकी 11 विभिन्न कारणों से हुए जिसमें विषैली गैस, सोनार को नुकसान, हवाई जहाज के हैंगर और बिना कंट्रोल के पोत पानी में दूसरे पोत से टकराए.
नौसेना ने अपने जवाब में यह बताया था कि बड़ी गलती का कारण था नियत स्टैडिंग ऑपरेटिंग प्रोसिजर को न अपनाना, नेविगेशन में गलतियां, रडार और अन्य साधनों का गलत उपयोग, सामग्री की विफलता, इलेक्ट्रिकल शॉर्ट सर्किट तथा बिजली के उपकरणों में आग. विभिन्न हादसों में सबसे ज्यादा 71 प्रतिशत हादसे (27) कार्मिकों की गलती की वजह से हुए थे. इस देश को मामूली गलतियों से युद्ध पोतों का नुकसान एवं नौसेना के कार्मिकों की जान जोखिम में डालने से बचना होगा.