अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बाद व्यक्ति की सुरक्षा का सवाल, डॉ खुशालचंद बाहेती का ब्लॉग

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: February 16, 2021 11:25 AM2021-02-16T11:25:02+5:302021-02-16T11:26:14+5:30

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 (1) में भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का प्रावधान किया गया है, जिसे एक, दो दिसंबर 1948 और 17 अक्तूबर 1949 को हुई चर्चा के बाद दर्ज किया गया.

Indian Constitution Article 19 (1) question safety person after freedom expression Dr. Khushalchand Baheti blog | अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बाद व्यक्ति की सुरक्षा का सवाल, डॉ खुशालचंद बाहेती का ब्लॉग

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर होने वाले आक्रमणों को रोकने का प्रयास किया है और लोगों को संरक्षण प्रदान किया है. (file photo)

Highlightsभारत अपने नागरिकों को सर्वाधिक स्वतंत्रता देने वाला भी कहलाया.अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बावजूद किताबों और अखबारों के विचारों को लेकर अक्सर विवाद खड़े होते रहे हैं.शिक्षा, स्वास्थ्य और व्यापार के बाद अब राजनीति भी होने लगी है.

देश और दुनिया में जिस तेजी से अभिव्यक्ति के माध्यमों की संख्या में तेजी आई है, उसी गति से स्वतंत्र विचार रखने वालों के समक्ष सुरक्षा का संकट खड़ा हुआ है.

पहले तो विपरीत विचारों का हमला होता था, लेकिन अब सरकारें भी अपने खिलाफ सुनने के लिए तैयार नहीं हैं. हालांकि संविधान से बंधा देश सभी को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के साथ सुरक्षा की भी गारंटी देता है. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 (1) में भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का प्रावधान किया गया है, जिसे एक, दो दिसंबर 1948 और 17 अक्तूबर 1949 को हुई चर्चा के बाद दर्ज किया गया.

नागरिकों को सर्वाधिक स्वतंत्रता देने वाला भी कहलाया

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी देते समय संविधान ने राष्ट्रीय सुरक्षा, सार्वजनिक सुव्यवस्था, न्यायालयीन अवमानना, अपराधों को प्रोत्साहन, देश की सार्वभौमिकता, सभ्यता व नैतिकता को बाधा पहुंचाने वाले अपवाद को छोड़कर सभी विषयों पर स्वतंत्र विचार रखने का मूलभूत अधिकार देश के नागरिकों को दिया. साथ ही भारत अपने नागरिकों को सर्वाधिक स्वतंत्रता देने वाला भी कहलाया.

कानून अभी भी वहां अस्तित्व में

हालांकि एक नजदीकी एशियाई देश सिंगापुर में वर्ष 1999 में सिंगापुर डेमोक्रेटिक पार्टी के सेक्रेटरी जनरल सून जुवान को सिर्फ इस बात के लिए छह माह की जेल की सजा भुगतनी पड़ी, क्योंकि उनके पास सार्वजनिक रूप से राजनीतिक भाषण देने की अनुमति नहीं थी. यद्यपि उनका भाषण पूर्ण रूप से संसदीय मर्यादा में था. यह कानून अभी भी वहां अस्तित्व में है.

देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बावजूद किताबों और अखबारों के विचारों को लेकर अक्सर विवाद खड़े होते रहे हैं. कभी उनसे सरकारें नाराज हुईं और कभी पाठकों को भी उनसे दिक्कत हुई. मगर वैचारिक द्वंद्व लोकतंत्र की खूबसूरती को परिभाषित करता रहा. मगर इंटरनेट क्रांति के बाद सोशल मीडिया ने अपनी सहज और सरल उपस्थिति दर्ज करने के साथ लोगों को अभिव्यक्ति का एक बड़ा माध्यम दे दिया. उपलब्धता के चलते उससे शिक्षा, स्वास्थ्य और व्यापार के बाद अब राजनीति भी होने लगी है.

उससे लोगों के विचारों को बदलने के भरपूर प्रयास किए जाते हैं. व्यापकता के चलते राजनीतिक दलों और सरकारों की चिंता भी बढ़ाते हैं. इसी वजह से सत्ताधारियों को कहीं न कहीं उन पर अंकुश लगाने की जरूरत महसूस होती है. हालांकि अनेक अदालतों ने बार-बार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर होने वाले आक्रमणों को रोकने का प्रयास किया है और लोगों को संरक्षण प्रदान किया है.

वर्ष 2015 में सूचना तकनीक के कानून की धारा 66(अ) को...

यहां तक कि वर्ष 2015 में सूचना तकनीक के कानून की धारा 66(अ) को शीर्ष अदालत ने असंवैधानिक बताया है, जिसमें इंटरनेट से आपत्तिजनक टिप्पणी करने पर सजा सुनाने का प्रावधान था. केंद्र सरकार ने अदालत से उसे रद्द करने की बजाय इंटरनेट का दुरुपयोग रोकने के लिए नियम बनाने का आश्वासन दिया था.

साथ ही कानून का दुरुपयोग नहीं करने का अदालत को विश्वास दिलाया था. मगर अदालत ने धारा के अंतर्गत सभी प्रावधानों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में बाधा मानते हुए उसे रद्द कर दिया था. इसके बावजूद जांच एजेंसियों और सरकारों ने कोई सबक नहीं लिया. भारतीय दंड विधान के अंतर्गत इंटरनेट पर अभिव्यक्ति के बाद लोगों को अनेक आपराधिक मामलों का सामना करना पड़ रहा है.

ताजा स्थितियों में संविधान की रचना और अदालत के फैसले सरकारों और जांच एजेंसियों को आईना दिखाने के लिए हैं. सहमति और असहमति हर अभिव्यक्ति के साथ संभव है, लेकिन उसे सुरक्षा और स्वतंत्रता देना हर सरकार और प्रशासन का दायित्व है. दुर्भाग्य से वह इन दिनों आत्मरक्षा पर अधिक निभाया जा रहा है, जो स्वस्थ लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है. वह भी उस देश में, जिसका संविधान समृद्ध और सुस्पष्ट है.

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