कौशल विकास की पृष्ठभूमि बनाएं

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: August 20, 2018 11:16 AM2018-08-20T11:16:15+5:302018-08-20T11:16:15+5:30

90 प्रतिशत से अधिक श्रम शक्ति ‘असंगठित क्षेत्र’ में कार्यरत है या उन क्षेत्रों में है जो सामाजिक सुरक्षा और अन्य वह सुविधाएं प्रदान नहीं करते जो ‘संगठित क्षेत्र’ में उपलब्ध होते हैं। 

india need to focus on Skill Development | कौशल विकास की पृष्ठभूमि बनाएं

कौशल विकास की पृष्ठभूमि बनाएं

डॉ. एसएस मंठा

भारत के युवाओं में 65 प्रतिशत तीस वर्ष से कम उम्र के हैं और किसी भी लिहाज से यह संख्या बहुत बड़ी है। इनको रोजगार के लिए कौशल की जरूरत है, भारत का 60 प्रतिशत कार्यबल स्वरोजगार में है, जिनमें से अनेक बहुत गरीब हैं। करीब 30 प्रतिशत अनियमित कामगार हैं। केवल 10 प्रतिशत ही नियमित कर्मचारी हैं और उनमें भी बहुत थोड़े सार्वजनिक सेवा में हैं। 90 प्रतिशत से अधिक श्रम शक्ति ‘असंगठित क्षेत्र’ में कार्यरत है या उन क्षेत्रों में है जो सामाजिक सुरक्षा और अन्य वह सुविधाएं प्रदान नहीं करते जो ‘संगठित क्षेत्र’ में उपलब्ध होते हैं। 

कौशल का मापदंड दो अलग-अलग क्षेत्रों से संबंधित है। जो कॉलेज जाते हैं, उनकी संख्या सौ में से बीस है। बाकी लोग कभी कॉलेज नहीं जा पाते और कई तो स्कूल भी नहीं। एक छात्र, जो अपनी डिग्री या डिप्लोमा पूर्ण करता है, स्वाभाविक है कि किसी रोजगार की तलाश करता है, भले ही उसे ठेके पर काम मिले, जो कम-से-कम बेरोजगारी जितना बुरा तो नहीं है। रोजगार कौशल या इसकी कमी, कार्यस्थल पर निर्भर करता है और यह उसकी जिम्मेदारी भी है। क्या सरकार या शिक्षा प्रणाली को इसके लिए दोषी ठहराया जा सकता है? क्या वे यह जिम्मेदारी ले सकते हैं? विश्वविद्यालय कौशल और कार्यस्थल कौशल को अलग-अलग रूप में देखा और स्वीकार किया जाना चाहिए। 

ऑस्ट्रेलिया में रोजगार विभाग ऑस्ट्रेलियाई श्रम बाजार में कौशल की कमी की पहचान के लिए खोज करता है और बताता है कि राज्य, क्षेत्र या राष्ट्रीय स्तर पर कौशल की कहां कमी है। इसी तर्ज पर भारतीय  डाटा बेस मिलना मुश्किल है। कौशल प्रदान करने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण और उसकी रोजगार प्रदान करने की क्षमता का आकलन किया जाना चाहिए। कई पारंपरिक कौशलों में रोजगार की संभावनाएं छिपी हैं, जिनके बारे में शोध नहीं किया गया है। इन्हें पुनर्निर्मित करने की आवश्यकता है।

अधिकांश अर्थव्यवस्थाएं रचनात्मकता, नवाचार और सहयोग पर चलती हैं। बेरोजगारों की बड़ी संख्या को समाहित करने के लिए उपलब्ध रोजगारों का विस्तार और नए रोजगारों का निर्माण एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है जिस पर सरकार को काम करना चाहिए। आधार और बड़े पैमाने पर डिजिटाइजेशन बाजारों को औपचारिक रूप से आगे बढ़ाएंगे, जिसका स्वागत किया जाना चाहिए। हालांकि असंगठित क्षेत्र, जो 90 प्रतिशत से अधिक है, इस काम में बाधा बन सकता है। मौजूदा शहरों पर से दबाव कम करने के लिए नए शहरों का निर्माण, नए रोजगारों को बढ़ावा देगा। विश्वविद्यालयों द्वारा प्रमाणीकरण के विभिन्न स्तरों के माध्यम से, डिग्री या डिप्लोमा के प्रावधानों के तहत कौशल प्रदान किया जा सकता है। उच्च प्रमाणीकरण स्तर से उच्च स्तर के कौशल की पहचान होगी। 

Web Title: india need to focus on Skill Development

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