जयशंकर की ऑस्ट्रेलिया यात्रा का महत्व और दोनों देशों के रिश्तों में बढ़ रही प्रगाढ़ता...पढ़ें पूरा लेखा-जोखा

By शोभना जैन | Published: October 14, 2022 09:54 AM2022-10-14T09:54:45+5:302022-10-14T09:54:45+5:30

जयशंकर की यह ऑस्ट्रेलिया यात्रा ऐसे वक्त हुई है जब यूक्रेन युद्ध छिड़ा है और दुनिया कई और मुद्दों की वजह से उथल-पुथल के दौर से गुजर रही है. इन सबके बीच पिछले कुछ वर्षों में भारत और ऑस्ट्रेलिया के रिश्ते और मजबूत हुए हैं।

India Australia relationship in changing world scenario and importance of S Jaishankar visit | जयशंकर की ऑस्ट्रेलिया यात्रा का महत्व और दोनों देशों के रिश्तों में बढ़ रही प्रगाढ़ता...पढ़ें पूरा लेखा-जोखा

जयशंकर की ऑस्ट्रेलिया यात्रा का महत्व (फाइल फोटो)

भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच पिछले कुछ वर्षों से संबंधों में काफी प्रगाढ़ता आई है, खास तौर पर हाल के वर्षों में  भारत, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका, जापान के समावेश वाले चार सदस्यीय समूह ‘क्वॉड’ के गठन के बाद दोनों देशों के संबंधों में  घनिष्ठता तेजी से बढ़ी है. भारत-प्रशांत क्षेत्र को स्वतंत्र, मुक्त नौवहन क्षेत्र रखे जाने को लेकर चीन की बढ़ती चौधराहट और चुनौतियों को लेकर क्वॉड समूह के अमेरिका और जापान के साथ ही इन दोनों देशों के साझे सरोकार, चुनौतियां और चिंताएं हैं. 

साझी चुनौतियों और सहयोग के अन्य क्षेत्रों में बढ़ती साझेदारी और जटिल मुद्दों पर एक-दूसरे के पक्ष के प्रति समझ-बूझ रखने की ही वजह से दोनों देश एक-दूसरे के और करीब आए हैं. विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर की इस सप्ताह की ऑस्ट्रेलिया यात्रा ऐसे ही तमाम मुद्दों के नाते खासी सुर्खियों में रही. इस दौरान विदेश मंत्री की यह टिप्पणी मायने रखती है जिसमें उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच रक्षा और सुरक्षा गठबंधन का हिंद प्रशांत क्षेत्र को मुक्त और स्वतंत्र बनाने में बड़ा योगदान है. दोनों देशों के बीच संबंधों को इस बात से समझा जा सकता है कि विदेश मंत्री की इस वर्ष फरवरी के बाद से यह दूसरी ऑस्ट्रेलिया यात्रा थी.  

जयशंकर की यह ऑस्ट्रेलिया यात्रा ऐसे वक्त हुई है जब यूक्रेन युद्ध और उससे जनित विषम सुरक्षा, आर्थिक चुनौतियों और इस पृष्ठभूमि में नए/ बिगड़ते अंतरराष्ट्रीय समीकरणों, भारत-चीन के गहराते सीमा विवाद सहित चीन की अपने पड़ोसी देशों की घेराबंदी, ताइवान में गहराते  तनाव जैसी वजहों से पूरी दुनिया उथल-पुथल के दौर से गुजर रही है. 

अहम बात यह है कि दोनों देशों के क्वॉड से  नजदीकी रूप से जुड़े होने के बावजूद यूक्रेन युद्ध में रूस की भूमिका को लेकर दोनों देशों की अलग-अलग राय है. ऑस्ट्रेलिया इस संबंध में जहां पश्चिमी देशों के नाटो गठबंधन के साथ खड़ा है और रूस के खिलाफ आक्रांता के रूप में कड़ी कार्रवाई पर बल दे रहा है वहीं भारत अब तक इस मामले में तटस्थता की नीति अपनाता रहा है और बातचीत के माध्यम से तत्काल युद्ध बंद करने पर जोर दे रहा है. लेकिन संबंधों में गहरी आपसी समझ-बूझ के चलते इस प्रश्न पर असहमति और कुछ अन्य मतभेदों के बावजूद दोनों ही देश हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन की चौधराहट पर अंकुश लगाने को लेकर क्वॉड को मजबूत करने पर पूरा ध्यान दे रहे हैं. 

क्वॉड समूह के देशों भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान के विदेश मंत्रियों की ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में संपन्न चौथी बैठक में भी दोनों देशों की समान राय थी कि गठबंधन ने क्वॉड के सभी सदस्यों के बीच व्यापार संबंधों को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया है और इससे वैश्विक परिदृश्य में बड़ा बदलाव आया है.

हाल के वर्षों में खासकर क्वॉड के गठन के बाद दोनों देशों के संबंधों में आए बड़े बदलाव का विश्लेषण करें तो दोनों देशों के रिश्ते रणनीतिक साझेदारी में तब्दील हो गए हैं. हिंद प्रशांत क्षेत्र में बढ़ती चुनौतियों के बाद से भारत और ऑस्ट्रेलिया एक-दूसरे के निकट आए हैं. गठबंधन इस बात का समर्थक रहा है कि समुद्री क्षेत्र में एक नियम आधारित व्यवस्था होनी चाहिए. 

दरअसल दक्षिण चीन सागर और पूर्व सागर में चीन की आक्रामकता को देखते हुए जापान समेत कई आसियान देश प्रभावित हुए हैं. इस क्षेत्र में चीन अपना दावा पेश करता रहा है. इसको देखते हुए जापान, भारत, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका का यह गठबंधन काफी अहम हो जाता है. दोनों देशों के बीच हुई इसी आपसी सहमति और समझ-बूझ के चलते दोनों देश 2020 से मालाबार संयुक्त नौ सैन्याभ्यास कर रहे हैं.
अगर संक्षिप्त तौर पर व्यापारिक संबंधों की चर्चा करें तो ऑस्ट्रेलिया भारत का 17वां बड़ा व्यापारिक साझेदार है. 

इसी तरह से भारत ऑस्ट्रेलिया का नौवां सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है. क्वॉड के गठन के बाद दोनों देशों के बीच आर्थिक रिश्ते भी बढ़े हैं. वर्ष 2019 तथा 2021 के मध्य ऑस्ट्रेलिया में भारत का निर्यात 135 प्रतिशत बढ़ा है. वर्ष 2021 में ऑस्ट्रेलिया को भारत द्वारा किया गया माल का निर्यात 6.9 अरब डॉलर था, जबकि ऑस्ट्रेलिया से भारत द्वारा किया गया माल का आयात 15.1 अरब डॉलर का था. 

इसके तहत बड़े पैमाने पर कच्चा माल, खनिज और अन्य वस्तुएं शामिल हैं. वर्ष 2020-21 में भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच द्विपक्षीय व्यापार लगभग 12.5 अरब डॉलर था और 2021-22 के पहले 10 महीनों में 17.7 अरब डॉलर को पार कर चुका है. भारत ने वित्त वर्ष के पहले 10 महीनों में ऑस्ट्रेलिया से लगभग 12.1 अरब डॉलर का आयात किया है और इस दौरान 5.6 डॉलर का माल निर्यात किया है.

बहरहाल ‘क्वाड’ समूह के ये दोनों सदस्य देश यूक्रेन युद्ध जैसे जटिल मुद्दे पर अलग राय होने के बावजूद गहरी आपसी समझ-बूझ के साथ एक दूसरे का पक्ष समझ रहे हैं, हिंद प्रशांत क्षेत्र को लेकर दोनों देश आपसी चिंताओं और साझे सरोकारों को समझते हुए चीन की बौखलाहट के बीच समूह के दो अन्य ताकतवर देशों अमेरिका और जापान के साथ मिलकर इस क्षेत्र को स्वतंत्र और मुक्त क्षेत्र बनाने के लिए साझा प्रयास कर रहे हैं, साथ ही विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग और बढ़ा रहे हैं. दोनों को ही यह सुनिश्चित करना होगा कि द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने के साथ ही जटिल मुद्दों पर आपसी समझ-बूझ बनाए रखें.

Web Title: India Australia relationship in changing world scenario and importance of S Jaishankar visit

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