जरूरी यह सेना का मनोबल न गिराया जाए?, एक वर्ग पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई से खुश नहीं!

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Updated: June 2, 2025 05:11 IST2025-06-02T05:11:49+5:302025-06-02T05:11:49+5:30

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान के शब्दों में ‘महत्वपूर्ण यह है कि हमने क्या किया.

ind vs pak terr necessary that morale army not lowered section not happy military action against Pakistan | जरूरी यह सेना का मनोबल न गिराया जाए?, एक वर्ग पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई से खुश नहीं!

सांकेतिक फोटो

Highlightsसेना ने अपनी तकनीकी गलतियों में सुधार कर सभी जेट उड़ाए और लंबी दूरी के ठिकानों को निशाना बनाया.सिर्फ सीमावर्ती इलाकों में गोलाबारी से घरों और धार्मिक स्थलों को क्षति पहुंची.कुछ सैन्य कर्मी शहीद हुए और कुछ सीमा पर रहने वालों ने जान गंवाई.

भारत में इन दिनों एक वर्ग को पाकिस्तान के खिलाफ की गई सैन्य कार्रवाई पर खुश होने से अधिक चिंता इस बात की है कि पाकिस्तान क्या दावा कर रहा है और वह सही है या नहीं. विदेशों में भारत की कार्रवाई पर जो सवाल उठाए जा रहे हैं, वे सही हैं या नहीं. यह सर्वमान्य सत्य है कि जब कभी-भी दो देशों के बीच युद्ध होता है तो दोनों ही देशों को अनेक स्वरूपों में नुकसान उठाना पड़ता है. इसीलिए कभी-भी युद्ध अंतिम विकल्प कहा गया है. यह जानते हुए भी कुरेद-कुरेद कर कुछ अलग, कुछ नई बातें उठाने के पीछे कारण अस्पष्ट हैं. वर्तमान समय में पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई के बाद देश सहित सैनिक बलों का हौसला मजबूत है, ऐसे में उसे गिराने के अनावश्यक प्रयास नहीं होने चाहिए. चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान के शब्दों में ‘महत्वपूर्ण यह है कि हमने क्या किया.

सेना ने अपनी तकनीकी गलतियों में सुधार कर सभी जेट उड़ाए और लंबी दूरी के ठिकानों को निशाना बनाया.’ इसके बाद राजनीति के लिए बाल की खाल निकालकर कुछ मुद्दे उछालना वर्तमान परिस्थितियों में गैरजरूरी है. भारत ने पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर हमले किए. इसे पड़ोसी देश स्वीकार करता है.

इसी प्रकार जब उसने भारत पर हमले की कोशिश की तो जवाबी कार्रवाई में उसे अपने अनेक सैन्य हवाई अड्डों का नुकसान उठाना पड़ा. मारे गए आतंकवादियों के अंतिम संस्कार के दृश्य भी दिखे. बावजूद इसके भारतीय पक्ष का नुकसान कहीं न देखा गया और न दिखाया गया. सिर्फ सीमावर्ती इलाकों में गोलाबारी से घरों और धार्मिक स्थलों को क्षति पहुंची.

कुछ सैन्य कर्मी शहीद हुए और कुछ सीमा पर रहने वालों ने जान गंवाई. इतना सब सामने आने के बाद शक और सवाल के लिए विशेष स्थान नहीं रह जाता है. यदि कहीं कोई कमी रही भी है तो जैसा कि सैन्य अधिकारी स्वयं ही उसे सुधारने का वादा कर रहे हैं. किंतु बार-बार सेना को लेकर सवाल और सरकार से जवाब की अपेक्षा अवांछित है.

हालांकि केंद्र सरकार और राजनीति को राजनीतिक मोर्चे से जवाब दिया जा रहा है. किंतु यह अनपेक्षित स्थिति है. एक तरफ सेना की प्रशंसा करना और दूसरी तरफ उसकी किसी कमी या कमजोरी को सार्वजनिक चिंता का विषय बनाना गंभीर है. सरकार से सवाल-जवाब के लिए अलग-अलग मंच उपलब्ध हैं.

किंतु हर स्थान की अपनी मर्यादा है और उसमें उठाए जाने वाले विषय को लेकर भी सीमाएं खिंची हुई हैं. फिर भी हदों को पार कर अपनी सोच को राष्ट्र की चिंता दिखाने का प्रयास अशोभनीय है. राजनीतिक दलों को चाहिए कि वे देश की सुरक्षा से जुड़े विषय में संयम से काम लेकर एकजुटता का परिचय दें.

इसे केवल एक ओर प्रशंसा और दूसरी ओर आलोचना से संतुलन बनाया नहीं जा सकता है. लोकतंत्र में स्वतंत्र विचार व्यक्त करने का सभी को अधिकार है, लेकिन देशहित से परे भी कुछ नहीं है. विशेष रूप से दुश्मनों की भाषा में देश की चिंता पूरी तरह नाजायज है. 

Web Title: ind vs pak terr necessary that morale army not lowered section not happy military action against Pakistan

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