वह दिन दूर नहीं, जब भविष्य के युद्ध रोबोट थल सेना लड़ेगी
By प्रमोद भार्गव | Updated: May 16, 2025 05:34 IST2025-05-16T05:33:31+5:302025-05-16T05:34:24+5:30
रोबोट के निर्माण का उद्देश्य दुर्गम क्षेत्रों में लड़ने के लिए तैयार किया जा रहा है, जिससे मानव सैनिकों को रक्त बहाने की जरूरत न पड़े.

वह दिन दूर नहीं, जब भविष्य के युद्ध रोबोट थल सेना लड़ेगी
मनुष्य की सोच असीम संभावनाओं से जुड़ी है. कल्पना से शुरू होने वाले विचार सच्चाई के धरातल पर आकार लेते हैं, तो आंखें हैरान रह जाती हैं. भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के वैज्ञानिक एक ऐसे मानव सदृश्य अर्थात ह्यूमोनाॅइड रोबोट के विकास पर काम कर रहे हैं, जो सैन्य अभियानों में न केवल मानव सैनिकों के सहयोगी का काम करेंगे, बल्कि स्वयं भी युद्ध में भागीदार रहेंगे. इन रोबोट के निर्माण का उद्देश्य दुर्गम क्षेत्रों में लड़ने के लिए तैयार किया जा रहा है, जिससे मानव सैनिकों को रक्त बहाने की जरूरत न पड़े.
डीआरडीओ की प्रमुख प्रयोगशाला रिसर्च एंड डवलपमेंट एस्टैब्लिशमेंट (इंजीनियर्स) इस ह्यूमोनाॅइड रोबोट को विकसित करने में लगी है. चार साल से इस परियोजना पर काम चल रहा है. इस मानव रोबोट के ऊपरी और निचले शरीर के भाग पृथक-पृथक मानव रूपों में तैयार किए जा रहे हैं. इन पर किए परीक्षणों से ज्ञात हुआ कि यह प्रयोग सफलता की ओर बढ़ रहा है.
पुणे में आयोजित नेशनल वर्कशॉप ऑन एडवांस लेग्ड रोबोटिक्स में इस रोबोट को प्रदर्शित भी किया गया है. इस कार्य को आगे बढ़ाने में सेंटर फाॅर सिस्टम एंड टेक्नोलाॅजी और एडवांस रोबोटिक्स की मदद भी ली जा रही है. पाकिस्तान परस्त आतंकवादियों के विरुद्ध चले ऑपरेशन सिंदूर के बाद इस अभियान में तेजी आ गई है.
इजराइल पहले ही एक ऐसी ‘रोक रोबोट‘ सेना तैयार कर चुका है, जो केवल युद्ध लड़ेगी, बल्कि सीमा पर इंसानी सैनिकों की जगह भी ले लेगी. इजराइल की विख्यात रक्षा कंपनी इल्बिट रोबो टीम ने इस सेना को तैयार किया है. रोबो टीम के सीईओ इलाजलेवी के मुताबिक अब तक आकाश में ड्रोन और हवाई रोबोट के जरिए होने वाले सभी काम अब धरती पर भी हो सकेंगे.
मानव रहित रोक रोबोट के अंदर स्वयं ही खतरों को भांपकर फैसला लेने की क्षमता विकसित कर दी गई है. कृत्रिम बौद्धिक क्षमता से परिपूर्ण ये रोबोट जंग के मैदान में खराब होने पर इसके पुर्जे साथ चलने वाले रोबोट सैनिक बदल देंगे. इसकी इस विशेषता से रोबोट सैनिक एकाएक निष्क्रिय नहीं होंगे. 200 किलोग्राम वजन वाले इस रोक रोबोट की दौड़ने की क्षमता 30 किलोमीटर प्रतिघंटा है.
यह 1200 किलोमीटर मारक क्षमता वाले हथियार लेकर चलने में सक्षम है. इसकी कीमत डेढ़ लाख डाॅलर से लेकर तीन लाख डाॅलर तक है. मसलन भविष्य के युद्ध रोबोट थल सेना लड़ेगी. भारत सरकार इस कोशिश में है कि तीनों सेनाओं में कृत्रिम बुद्धि (आर्टिफिशयल इनटेलिजेंसी) से निर्मित रोबोटिक हथियारों की संख्या बढ़ा दी जाए.
इस नाते एक महत्वाकांक्षी रक्षा परियोजना की षुरूआत की गई है. इस परियोजना का उद्देश्य मानवरहित टैंक, जलपोत, स्वचालित राइफल और रोबो आर्मी तक खड़ी की जाने की तैयारी है. हवाईयानों को भी रोबोटिक हथियारों से सक्षम बनाया जाएगा. यह परियोजना जब क्रियान्वित हो जाएगी तब भारत की थल, जल और वायु सेनाएं युद्ध लड़ने के लिए नई तकनीक से सक्षम हो जाएंगी. टाटा संस के प्रमुख एन चंद्रशेखर की अध्यक्षता वाला एक उच्च स्तरीय समूह इस परियोजना को अंतिम रूप दे रहा.