ब्लॉग: नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति से कैसे निकलेगी आत्मनिर्भर भारत की राह और क्या है उद्येश्य?
By नीलिमा गुप्ता | Published: November 18, 2022 11:20 AM2022-11-18T11:20:06+5:302022-11-18T11:20:06+5:30
34 साल के लंबे अंतराल के बाद देश में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू हुई है. इसका उद्देश्य नवोन्मेषी, लोकतांत्रिक एवं विद्यार्थी केंद्रित शिक्षा व्यवस्था को प्रमुखता देना है.
शिक्षा का अर्थ सीखने और सिखाने की प्रक्रिया से है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 विशेष रूप से आत्मनिर्भर भारत के उद्देश्यों के साथ शिक्षा द्वारा ज्ञान एवं कौशल में वृद्धि कर मनुष्य को योग्य एवं कुशल मनुष्य बनाने की पहल है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2015 में स्किल इंडिया मिशन की शुरुआत कर इसकी पहल की थी, जिसका उद्देश्य युवाओं का कौशल विकास कर उन्हें रोजगार के अवसर प्रदान करना था.
इसी क्रम में उन्होंने आत्मनिर्भर भारत का ऐसा मंत्र दिया जिसने युवाओं के आत्मविश्वास को गति प्रदान की. मूल्य आधारित शिक्षा, मातृभाषा में शिक्षा, शिक्षा की स्वायत्तता और भारतीय ज्ञान प्रणाली को बढ़ावा देना ही वर्तमान समय की मांग है और इस दिशा में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति भगीरथ प्रयास करती नजर आती है. इस नीति का मुख्य उद्देश्य छात्र को कुशल बनाने के साथ-साथ उसी क्षेत्र में उसे प्रशिक्षित करना है जिस क्षेत्र में छात्र रुचि रखता हो. इस प्रकार सीखने वाले अपने उद्देश्य और अपनी क्षमताओं का पता लगाने में सक्षम हो सकते हैं.
चूंकि 34 वर्षों के एक लंबे अंतराल के बाद देश में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू हुई है जिसका उद्देश्य नवोन्मेषी, लोकतांत्रिक एवं विद्यार्थी केंद्रित शिक्षा व्यवस्था को प्रमुखता देना है, ऐसे में इस शिक्षा नीति के विभिन्न पहलुओं पर विमर्श की आवश्यकता है. इसी दिशा में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास 17 से 19 नवंबर 2022 तक नई दिल्ली में तीन दिवसीय कार्यक्रम ज्ञानोत्सव आयोजित कर रहा है जिसमें देश के विभिन्न क्षेत्रों के गणमान्य उपस्थित होकर मंथन करेंगे और फिर वहां से निकले ज्ञान के अमृत के माध्यम से भारतीय युवाओं की दिशा और दशा तय होगी.
सच्चे अर्थों में देखें तो आज हमारे समाज को आत्मनिर्भर बनने की आवश्यकता है. कुटीर उद्योगों की पुनर्स्थापना, हस्तशिल्प कला तथा आयुर्वेदिक उत्पादों को बढ़ावा देना हमारी दिनचर्या का हिस्सा बनना चाहिए. इससे हमारा ग्रामीण अंचल आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ेगा और यही रास्ता है देश की समृद्धि का. जब वोकल फॉर लोकल की मुहिम को हम गति प्रदान करेंगे तो निश्चित ही ये एक दिन ग्लोबल विलेज का हिस्सा बनेंगे.
आत्मनिर्भरता तथा वोकल फॉर लोकल दोनों मंत्र एक दूसरे से जुड़े हुए हैं, अनुपूरक हैं, जिसे राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत युवाओं तक पहुंचाना है. ऐसे में ज्ञानोत्सव जैसे आयोजन इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकते हैं. यह न सिर्फ शिक्षा किस पहलू को दृष्टिगत रखते हुए दी जाए, यह निर्णय करने में सहायक होगा, अपितु जब विभिन्न क्षेत्रों के लोग एक मंच पर होंगे तो फिर शिक्षा किस तरीके से दी जाए और कैसी दी जाए जो आत्मनिर्भर भारत का खाका खींच सके, यह निर्णय लेने में भी आसानी होगी.