उनके लिए ये यकीन करना मुश्किल था कि जिससे लोग देह नहीं छुआना चाहते, उससे मैं चांदी का झुमका कैसे मांग सकती हूं
By भारती द्विवेदी | Published: April 4, 2018 05:44 AM2018-04-04T05:44:01+5:302018-04-04T05:44:01+5:30
अगर आज भी मैं उन्हें याद करने की कोशिश करूँ तो मुझे उनके गाढ़े रंग में सफेद चमकते दांत और कानों में झूलता चांदी का झुमका याद आता है।
जब से होश संभाला तबसे लेकर 2016 के शुरुआत तक एक चेहरे को हमेशा ही अपने गांव वाले घर के आंगन में देखती थी। उनका नाम तो नहीं पता और अब जान भी नहीं सकती क्योंकि 2016 में ही उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया था। पूरा गांव उन्हें उनके पति के नाम (महेश की पत्नी) से बुलाता था। हम तीनों भाई-बहन उन्हें राजकुमार की माई (उनके बेटे) के नाम से बुलाते थे। मां बताती है कि दी के जन्म के साल से ही वो हर दिन हमारे घर काम करने आती थीं। कपड़ा धोने, चावल-गेहूं साफ करने या और घर के बाकी कोई काम। जिस सफाई से वो काम करती थीं उसके सभी कायल थे लेकिन इसके अलावा एक और चीज़ उन्हें खास बनाती थी वो थी उनकी हंसी।
अगर आज भी मैं उन्हें याद करने की कोशिश करूँ तो मुझे उनके गाढ़े रंग में सफेद चमकते दांत और कानों में झूलता चांदी का झुमका याद आता है। जब भी वो घर आती मैं कहती थी, "राउर चांदी के झुमका बहुत सुंदर बा, हमरा के दे दी" (आपका चांदी का झुमका मुझे बहुत पसंद है, मुझे दे दीजिए)। वो झेंप जातीं और कहतीं (मालिक के बेटी होके हमार पहिनल चीज़ रउआ कइसे पहिनेम (मालिक की बेटी होकर आप मेरी पहनी हुई चीज़ कैसे पहनेंगी)। मैं कहती मुझे नहीं पता आप बस मुझे दे दीजिएगा। जब इससे भी नहीं मानतीं वो, तो मैं कहती थी मेरी शादी में तो कुछ देना ही पड़ेगा आपको तो यही दे दीजिए। वो हर बार शर्माती, झेंपती, उनके लिए ये यकीन करना मुश्किल था कि जिससे लोग देह नहीं छुआना चाहते उससे मैं चांदी का झुमका कैसे मांग सकती हूं। खैर 2016 की शुरुआत में मैं पटना में थी और मां भी। अचनाक गांव से कॉल आया और पता चला वो नहीं रहीं। मां पूरे दिन उनके लिए रोती रही और मेरी आँखों के सामने उनका हंसता हुआ चेहरा घूमता रहा। मुझे तकलीफ थी कि काश मैं आखिरी बार देख पाती उन्हें, उनका नाम जानती, उनके साथ फोटो खिंचवाती और माँ बार-बार कह रही थी कि अगर वो गांव में होतीं तो बचा लेती उन्हें।
उनके जाने के बाद वो झुमका उनके उस बेटे-बहू को मिला जो कि कभी उन्हें देखने तक नहीं आये। अगर वो होतीं तो वो चांदी का झुमका मैं उनसे ही लेती लेकिन अब वो मुझे नहीं मिल सकता था। इसलिए काकी को याद करने के लिए या कह लें मेरे झुमका मांगने पे जो उनके चेहरे का भाव होता था, मुझे उसे महसूस करने के लिए वो चांदी का झुमका चाहिए था। पिछले साल जब मैं गांव में थी तो मैंने गांव के सुनार को बुलाकर कहा मुझे एकदम वैसा ही झुमका चाहिए। सुनार और कुछ लोगों ने कहा भी विधायक की बेटी होकर चांदी पहनोगी, सोना खरीदो। मैंने कहा आपको नहीं पता मुझे ये क्यों चाहिए। मेरे लिए ये चांदी का झुमका सोने-हीरे, सबसे ज्यादा कीमती है।