Hindi Diwas 2022: बहुराष्ट्रीय कंपनियां भी हिंदी को अपना रही हैं, आम आदमी की भाषा...

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: September 14, 2022 07:59 AM2022-09-14T07:59:48+5:302022-09-14T12:51:40+5:30

Hindi Diwas 2022: मध्य प्रदेश में तो एमबीबीएस की पढ़ाई भी हिंदी में कराने की घोषणा की गई है. निश्चित रूप से शुरुआत में कुछ दिक्कतें आएंगी, पाठ्यक्रम पूरी तरह तैयार होने में समय लगेगा, लेकिन किसी भी चीज की शुरुआत में तो यह होता ही है.

Hindi Diwas 2022 multinational corporations MNCs are also adop Hindi language of common man | Hindi Diwas 2022: बहुराष्ट्रीय कंपनियां भी हिंदी को अपना रही हैं, आम आदमी की भाषा...

हिंदी राजभाषा के पद पर विराजमान है.

Highlightsआम आदमी की भाषा हिंदी ही है. हिंदी प्राय: हर कोई समझ लेता है.विश्वविद्यालयों में आज हिंदी पढ़ाई जा रही है.

Hindi Diwas 2022: हिंदी का डंका आज पूरी दुनिया में बज रहा है, भले ही वह अलग-अलग कारणों से हो. दरअसल देश-विदेश में हिंदीभाषियों की तादाद इतनी ज्यादा है कि उनके बाजार का दोहन करने के लिए बहुराष्ट्रीय कंपनियां भी हिंदी को अपना रही हैं.

यह सच है कि देश में कई मामलों में शीर्ष पर अभी भी अंग्रेजी का प्रभुत्व है लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं कि आम आदमी की भाषा हिंदी ही है. आप देश के किसी भी हिस्से में चले जाइए, टूटी-फूटी ही सही, लेकिन हिंदी प्राय: हर कोई समझ लेता है.

यह बात अलग है कि निहित राजनीतिक स्वार्थों के चलते कुछ राज्यों के नेता हिंदी का विरोध करते हैं लेकिन जनता के स्तर पर बात की जाए तो अघोषित ही सही, हिंदी राजभाषा के पद पर विराजमान है. देश ही नहीं, विदेशों में भी कितने ही विश्वविद्यालयों में आज हिंदी पढ़ाई जा रही है.

आज इंटरनेट के युग में हिंदी का महत्व बढ़ा ही है और कई जगह तो रोमन लिपि में भी हिंदी लिखी जा रही है. बेशक उच्च शिक्षा में अभी तक अंग्रेजी का दबदबा रहा है लेकिन अब उसमें भी हिंदी को उसका स्थान दिलाने की पहल शुरू हो गई है. देश के करीब आठ राज्यों ने इंजीनियरिंग कोर्स हिंदी में कराने की पहल शुरू की है.

मध्य प्रदेश में तो एमबीबीएस की पढ़ाई भी हिंदी में कराने की घोषणा की गई है. निश्चित रूप से शुरुआत में कुछ दिक्कतें आएंगी, पाठ्यक्रम पूरी तरह तैयार होने में समय लगेगा, लेकिन किसी भी चीज की शुरुआत में तो यह होता ही है. एक बात का ध्यान हमें अवश्य रखना होगा कि हिंदी के विस्तार के चक्कर में कहीं इसका अत्यधिक सरलीकरण न हो जाए.

कई जगह देखने में आता है कि हिंदी में अंग्रेजी के इतने अधिक शब्द शामिल कर लिए जाते हैं कि वह हिंग्लिश बन जाती है. हालांकि गैरहिंदी भाषी क्षेत्रों में यह जरूरत हो सकती है, लेकिन हिंदीभाषी क्षेत्रों की जिम्मेदारी है कि वे इसके मानकीकरण को बनाए रखें. सरलीकरण के चक्कर में कहीं हिंदी का लावण्य ही न खो जाए.

जब अंग्रेजी के, अन्य भाषाओं के कठिन शब्दों का अर्थ देखने के लिए लोग डिक्शनरी देख सकते हैं तो हिंदी के कठिन शब्दों के लिए क्यों नहीं? हर शब्द का अपना एक इतिहास होता है और जब उसका इस्तेमाल न हो तो वह धीरे-धीरे मरने लगता है. बेशक अत्यधिक क्लिष्ट शब्दों का बोलचाल की भाषा में प्रयोग आवश्यक नहीं है लेकिन भाषा को इतना भी चलताऊ न बना दिया जाए कि उसका सौंदर्य ही खो जाए. 

Web Title: Hindi Diwas 2022 multinational corporations MNCs are also adop Hindi language of common man

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