हिंदी के सवाल पर बुनियादी मानस बदले तो बने बात

By उमेश चतुर्वेदी | Published: November 12, 2024 05:50 AM2024-11-12T05:50:44+5:302024-11-12T05:51:40+5:30

Hindi: केंद्रीय हिंदी समिति का अहम उद्देश्य हिंदी साहित्य का संवर्धन करना और देश की संपर्क भाषा के रूप में हिंदी को स्थापित करना है.

Hindi basic mentality changes on question Hindi then it will be possible blog Umesh Chaturvedi | हिंदी के सवाल पर बुनियादी मानस बदले तो बने बात

सांकेतिक फोटो

Highlightsहिंदी अभी तक वैचारिक हस्तक्षेप करने की भाषा नहीं बन पाई है.हिंदी के लिए किए जा रहे कार्यों के बावजूद अब भी नौकरशाही में अंग्रेजी का वर्चस्व है.भारतीय भाषाओं की बजाय दो सौ साल से लागू गैरभारतीय भाषा में ही सोचती और रचती है.

Hindi: हिंदी विरोध की राजनीति के बीच हिंदी के लिए राह निकालने और उसे राजनीतिक रूप से स्वीकार्य बनाने की दिशा में मौजूदा केंद्र सरकार के कार्य बाकियों से कुछ अलग हैं. गृह मंत्री अमित शाह का कहना है कि देश के बच्चों और युवाओं की पूरी क्षमता का उपयोग विकास में करना है तो जरूरी है कि वे अपनी मातृभाषा में पढ़ें, विश्लेषण करें और निर्णय लें. अमित शाह ने केंद्रीय हिंदी समिति की हालिया बैठक में यह विचार रखा. यहां यह बताना जरूरी है कि केंद्रीय हिंदी समिति का अहम उद्देश्य हिंदी साहित्य का संवर्धन करना और देश की संपर्क भाषा के रूप में हिंदी को स्थापित करना है.

हिंदी साहित्य का संवर्धन तो  हो रहा है, यह बात और है कि हिंदी अभी तक वैचारिक हस्तक्षेप करने की भाषा नहीं बन पाई है. मौजूदा सरकार द्वारा हिंदी के लिए किए जा रहे कार्यों के बावजूद अब भी नौकरशाही में अंग्रेजी का वर्चस्व है. देश की वैचारिक धुरी अब भी भारतीय भाषाओं की बजाय दो सौ साल से लागू गैरभारतीय भाषा में ही सोचती और रचती है.

अफसोस की बात है कि अरसे से स्थापित केंद्रीय हिंदी समिति इस दिशा में बहुत प्रभावकारी कदम नहीं उठा सकी है. जरूरत इस दिशा में आगे बढ़ने की है. केंद्रीय हिंदी समिति की बैठक में गृह मंत्री ने हिंदी के विकास के लिए जो रोडमैप प्रस्तुत किया, उसमें उन्होंने दो कार्य करने पर जोर दिया है.

उनका मानना है कि हिंदी को स्थापित करने के लिए हिंदी साहित्य को मजबूत करने, संजोने और व्याकरण के लिए दीर्घकालिक नीति बनाना जरूरी है. लगे हाथ उन्होंने हिंदी को लचीली यानी सबके लिए सहज बनाने की भी बात कही है. इस दिशा में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद दो परियोजनाओं पर काम कर भी रही है.

परिषद की पहली परियोजना ‘भारतीय भाषाओं में एकात्मकता’ और दूसरी परियोजना ‘बहुभाषिक व्याकरण’ है. दोनों के संयोजक रहे डॉक्टर प्रमोद कुमार दुबे का कहना है कि दोनों परियोजनाओं के पूरे होने के बाद दो बातें होंगी. भारतीय भाषाओं का विभेद मिटेगा और विदेशी विद्वानों द्वारा स्थापित भारतीय भाषाओं के अलगाव का सिद्धांत मिथ्या साबित हो जाएगा

जबकि एक ही व्याकरण के जरिये तमाम भारतीय भाषाओं को सीखना और समझना आसान हो जाएगा. इससे भारतीय भाषाओं के बीच राजनीतिक वजहों से किंचित दूरी दिखती भी है तो उसे रोकने में बड़ी मदद मिलेगी. इससे आपसी अनुवाद की समस्या भी दूर होगी.

हिंदी के लिए जारी सारे कार्यों का तब बेहतर नतीजा मिल सकेगा, जब देश के असल नीति नियंता नौकरशाही के मानस को बदलने की कोशिश होगी. यह मानस जब तक कम से कम वैचारिक और नीतिगत विषयों के बुनियादी चिंतन में भारतीय भाषाओं को शामिल नहीं करेगा, तब तक भारतीय भाषाओं और हिंदी को उनका वाजिब महत्व नहीं मिल पाएगा.

Web Title: Hindi basic mentality changes on question Hindi then it will be possible blog Umesh Chaturvedi

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