ब्लॉग: पीएम मोदी ने जब 70 से ज्यादा सचिवों की छह घंटे तक ली क्लास! कुछ ऐसे चलाते हैं प्रधानमंत्री अपनी सरकार
By हरीश गुप्ता | Published: September 30, 2021 02:42 PM2021-09-30T14:42:36+5:302021-09-30T14:46:23+5:30
नतीजे हासिल करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब नौकरशाही को सक्रिय व जवाबदेह बनाना चाहते हैं. इसके अलावा उन्होंने सरकार में बाहरी प्रतिभाओं को भी शामिल करना शुरू कर दिया है.
यदि कोई यह जानना चाहता हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी सरकार कैसे चलाते हैं तो उसे उनकी किसी क्लास में हाजिरी लगानी होगी. अमेरिका जाने के पहले मोदी ने एक हेडमास्टर की तरह 6 घंटे की क्लास ली. इस दौरान प्रधानमंत्री ने विशेष समीक्षा बैठक में बुलाए गए 70 से ज्यादा सचिवों से एक-एक कर बातचीत की.
चूंकि दो साल बाद सचिवों के साथ प्रधानमंत्री की प्रत्यक्ष मुलाकात थी तो उनके होश उड़े हुए थे. कोरोना संक्रमण काल में प्रधानमंत्री ने सचिवों के साथ प्रत्यक्ष मुलाकात नहीं की थी. इसके अलावा यह बैठक ‘चिंतन शिविर’ जैसी नहीं थी. उसमें जवाबदेही तय करने पर चर्चा हुई.
सभी मंत्रालयों तथा विभागों के सचिवों से कहा गया था कि वे अपना रिपोर्ट कार्ड लेकर आएं जिसमें उल्लेख हो कि उनके मंत्रालय में अपने कार्यकाल के दौरान अब तक क्या किया और अगले सौ दिनों में क्या करने की उनकी योजना है.
मोदी ने इन सचिवों को राष्ट्रपति भवन में बुलाया था. प्रधानमंत्री ने अपने प्रिंसिपल सेक्रेटरी पी.के. मिश्रा एवं कैबिनेट सचिव राजीव गौवा से बैठक में शामिल हुए प्रत्येक सचिव के बारे में रिपोर्ट देने को कहा.
मोदी और उनके 70 सचिव
प्रधानमंत्री ने बैठक में अपने दाहिनी ओर 70 से ज्यादा शीट रखी हुई थी. वह एक-एक शीट उठाते जाते थे. प्रत्येक शीट में संबंधित सचिव तथा उसके मंत्रालय का ब्यौरा था. उसमें इस बात का भी विवरण था कि पहले वह सचिव कितने मंत्रालयों में काम कर चुका था और वह कब सेवानिवृत्त होने वाला है.
जब तक सचिव कुछ बोलने के लिए खड़े हुए तो प्रधानमंत्री ने उन्हें टोकते हुए कहा, ‘‘मुझे मालूम है आप तीन दिन पहले ही इस मंत्रालय में पदस्थ हुए हैं.’’ जब तक अन्य सचिव ने मंत्री को ढाल बनाते हुए बचने का प्रयास करते हुए कहा कि वह अपने माननीय मंत्री से निर्देश लेते रहे हैं. मोदी ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि ‘‘यह समीक्षा बैठक आपके तथा आपके मंत्रालय के बारे में है. मंत्रियों के पास कई काम होते हैं. आप यह बताइए कि 2019 में आपके मंत्रालय के लिए क्या लक्ष्य निर्धारित किए गए थे और उनमें से अब तक कितने पूरे हुए.’’
जब तक वरिष्ठ सचिव ने ध्यान दिलाया कि कुछ फाइलों को मंजूर करवाने में राज्य सरकारें सहयोग नहीं कर रही हैं तो प्रधानमंत्री ने आश्चर्य जताया कि प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को इसकी जानकारी क्यों नहीं दी गई. प्रधानमंत्री ने उसी वक्त निर्देश दिए कि देश में कहीं भी कोई परियोजना अटकी हुई हो तो पीएमओ को उसकी जानकारी तत्काल लिखित रूप में दी जाए.
उन्होंने यह भी कहा कि वह खुद इस संबंध में संबंधित मुख्यमंत्रियों से बात करना चाहेंगे.
मोदी की एक और पहल
इस मर्तबा प्रधानमंत्री ने सचिवों से निपटने के लिए नया तरीका अपनाया. उन्होंने इस बैठक में कुछ असामान्य किया. उन्होंने सचिवों से कहा कि वह पीएमओ को ‘दैनिक रिपोर्ट’ भेजें. उन्होंने स्तब्ध सचिवों से पीएमओ को ई-मेल भेजकर यह बताने का निर्देश भी दिया कि रोज शाम को दफ्तर छोड़ने से पहले उन्होंने क्या किया?
मोदी ने कहा कि यह प्रक्रिया अगले सौ दिनों तक चलेगी क्योंकि निर्धारित लक्ष्य हासिल करना है. प्रधानमंत्री सौ दिनों बाद प्रत्येक मंत्रालय तथा उनके प्रभारी सचिव के कामकाज की समीक्षा करेंगे. दिलचस्प बात यह रही कि इस बार किसी भी सचिव ने पॉवर प्वाइंट प्रजेंटेशन नहीं दिया.
बदलता वक्त
नौकरशाही से निपटते हुए प्रधानमंत्री मोदी को लंबा वक्त हो गया है. अब मोदी यह नहीं कहते, ‘‘मैं लुटियंस दिल्लीवाला नहीं हूं... मैं बाहरी हूं.’’ वो भी दिन थे जब मोदी नौकरशाहों से अक्सर नाराज होकर उन्हें ‘फाइलें सरकाने वाले’ कहा करते थे. मोदी ने एक बार अपने तेवर अधिकारियों के एक समूह को दिखाए थे, हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हुई है.
बताया जाता है कि उन्होंने टिप्पणी की थी कि ‘‘आप क्या समझते हो-एक एग्जाम पास करके देश चलाओगे?’’ यह बात किसी से छुपी हुई नहीं है कि प्रधानमंत्री नौकरशाहों से खुश नहीं है जिन्हें सेवाकाल के दौरान और सेवानिवृत्ति के बाद भी ढेरों सुविधाएं मिलती हैं. इसके बाद भी वे निष्क्रिय रहते हैं. वे सिर्फ फाइल सरकाने का काम करते हैं.
सात वर्षों से प्रधानमंत्री पद संभालने के बाद प्रधानमंत्री का अंदाज बदल गया है. पहले नौकरशाहों ने गोल्फ क्लब जाना बंद कर दिया था. उन्होंने पांच सितारा होटलों तथा रेस्तरां में भोजन करना भी बंद कर दिया था लेकिन अब कुछ-कुछ बदल रहा है.
नतीजे हासिल करने के लिए मोदी अब नौकरशाही को सक्रिय व जवाबदेह बनाना चाहते हैं. इसके अलावा उन्होंने सरकार में बाहरी प्रतिभाओं को भी शामिल करना शुरू कर दिया है. संयुक्त सचिव तथा उसके ऊपर के कई अधिकारियों को ‘लैटरल एन्ट्रेन्ट्स’ के रूप में बाहर से लाकर शामिल किया गया है.
प्रधानमंत्री ने अपने मंत्रिमंडल में एस. जयशंकर, अश्विनी वैष्णव, हरदीप सिंह पुरी जैसे तकनीकी जानकारों तथा विशेषज्ञों और यहां तक कि निर्मला सीतारमण को भी महत्वपूर्ण मंत्रालयों की जिम्मेदारी सौंपी है. यह बात अलग है कि वरिष्ठ नौकरशाह अब रचनात्मक सुझाव देने के बदले सिर्फ चुपचाप सुनने का काम करते हैं.