हरीश गुप्ता का ब्लॉग: महाराष्ट्र में राज ठाकरे को ऐसे मिली भाजपा की संजीवनी
By हरीश गुप्ता | Published: May 5, 2022 10:11 AM2022-05-05T10:11:43+5:302022-05-05T10:11:43+5:30
महाराष्ट्र में राज ठाकरे जिस तरह लाउडस्पीकर का मुद्दा उठाया, उसे भाजपा की ओर से मौन समर्थन मिल रहा है. राज ठाकरे के पर्दे के पीछे के दोस्तों ने भी औरंगाबाद रैली को बड़े पैमाने पर सफल बनाने के लिए भीड़ भेजी थी.
अब यह स्पष्ट रूप से सामने आ रहा है कि महाराष्ट्र में भाजपा की पूरी मशीनरी ने मनसे प्रमुख राज ठाकरे के मस्जिदों पर लाउडस्पीकर पर प्रतिबंध लगाने और ‘हनुमान चालीसा’ का पाठ करने की धमकी को अपना मौन समर्थन दिया. तथ्य यह है कि राज ठाकरे लंबे समय से राजनीतिक अलगाव में हैं और मुख्यधारा में लौटने के लिए किसी मुद्दे की तलाश कर रहे हैं.
कई स्वघोषित हिंदुत्व समूहों द्वारा विभिन्न राज्यों में उठाए गए हनुमान चालीसा के मुद्दे के साथ, राज ठाकरे सामने आए. तथ्य यह है कि लगभग सभी राष्ट्रीय टीवी चैनलों ने पिछले रविवार को औरंगाबाद में राज ठाकरे की रैली को पूरे दिन प्रसारित किया, जो पर्दे के पीछे की घटनाओं का एक सुराग देता है.
निस्संदेह, रैली को कवर करने की जरूरत थी, लेकिन पीएम के विदेश दौरे सहित राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय महत्व के सभी मुद्दों को नजरअंदाज करते हुए इसका सीधा प्रसारण किया गया. लाइव टेलीकास्ट का देश भर में स्थिति पर एक अलग प्रभाव पड़ा क्योंकि चैनलों ने राज ठाकरे के मराठी भाषण को एक साथ हिंदी में अनुवादित करना भी सुनिश्चित किया.
कहने की जरूरत नहीं है कि राज ठाकरे के पर्दे के पीछे के दोस्तों ने भी इसे बड़े पैमाने पर सफल बनाने के लिए भीड़ भेजी थी. यह उद्देश्य अच्छी तरह से पूरा हुआ है क्योंकि इसने उद्धव ठाकरे सरकार को बैकफुट पर ला दिया है. जैसा कि इस कॉलम में पहले कहा गया है, भाजपा ने उद्धव ठाकरे को लुभाने के बजाय महाविकास आघाड़ी सरकार के खिलाफ पूरी तरह से आक्रामक होने का फैसला किया है.
भाजपा इस गठबंधन को कमजोर करने की योजना बना रही है और राज ठाकरे उसके तरकश में नया हथियार हैं. इस राजनीतिक खेल में राज ठाकरे और भाजपा के पास खोने के लिए कुछ नहीं है.
वर्षगांठ मनाने को लेकर दुविधा
मोदी सरकार इस महीने के अंत में होने वाले अपने वर्षगांठ समारोह के व्यापक प्रचार की योजना बना रही है. जब 2019 में मोदी सरकार ने दूसरी बार सत्ता संभाली थी, तब से सरकार की शीर्ष स्तर की टीमें इसको लेकर दिन-रात मेहनत कर रही हैं. सरकार में एक कोर ग्रुप इस विषय पर काम कर रहा है, जिसे गुप्त रखा गया है.
एक मुद्दा जो अभी भी कोर ग्रुप को परेशान कर रहा है, वह यह है कि इसे मोदी सरकार की 8वीं वर्षगांठ के रूप में मनाया जाए या एनडीए-3 की तीसरी वर्षगांठ के रूप में मनाया जाए.
साल 2020 और 2021 में मोदी सरकार के पहले दो साल काफी हद तक कोविड महामारी से लड़ने, लॉक-डाउन, प्रवासियों, बेरोजगारी, अर्थव्यवस्था आदि को लेकर समर्पित थे. हालांकि भारत ने अपने स्वयं के टीकों का आविष्कार करके और 80 करोड़ की जनसंख्या को मुफ्त खाद्यान्न प्रदान करके सफलतापूर्वक कोविड का मुकाबला किया, लेकिन मोदी के शासन का जश्न मनाने के लिए कुछ आकर्षक चाहिए. भारत ने इन दो वर्षों में आत्मनिर्भर भारत के अपने अभियान के अंतर्गत चीन से आयात में कमी की पूर्ति के लिए अपनी विनिर्माण क्षमताओं को भी बढ़ाया है.
चूंकि मोदी सरकार ने पहली दो वर्षगांठ बहुत धूमधाम से नहीं मनाई, इसलिए वह इस बार हर्षोल्लास के साथ मनाना चाहती है. बहुमत का विचार यह है कि मोदी सरकार को तीसरी के बजाय अपनी 8वीं वर्षगांठ मनानी चाहिए. अगले कुछ दिनों में इस पर फैसला होने की संभावना है. अभियान की ‘कैच-लाइन’ पर अभी भी काम हो रहा है.
भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा पहले ही राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह, सी.टी. रवि, मीडिया विभाग के प्रमुख अनिल बलूनी, सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर के समावेश वाली एक छोटी समिति का गठन कर चुके हैं. बढ़ते कोविड मामले चिंता का विषय हैं और इस पर कड़ी नजर है. अनुच्छेद 370 रद्द करना, राम मंदिर निर्माण और विधानसभाओं में चुनावी जीत मोदी के व्यक्तित्व को प्रदर्शित करते हैं.
बताया जाएगा कि 72 वर्षीय मोदी कैसे जनता की सेवा करने के लिए बिना रुके लगातार चौबीसों घंटे काम कर रहे हैं. मोदी की साधारण परवरिश और अब तक की यात्रा, दुनिया के बारे में उनके दृष्टिकोण को भी सामने रखा जाएगा.
तेलंगाना में भाजपा को दिख रहा मौका
भाजपा 2023 के विधानसभा चुनावों से पहले तेलंगाना में मौका देख रही है और किसी भी पार्टी के किसी भी व्यक्ति को स्वीकार करने के लिए अपने दरवाजे खोल दिए हैं. हालांकि 2018 में भाजपा ने 119 सदस्यीय विधानसभा में सिर्फ 7 प्रतिशत वोट पाए थे और एक सीट जीती थी, लेकिन वह विधानसभा सीटों के लिए दो उपचुनावों में सत्तारूढ़ टीआरएस को हराकर जीती गई सीटों से उत्साहित है. ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम चुनावों में भाजपा दूसरी पार्टी के रूप में उभरी और कांग्रेस को तीसरे स्थान पर धकेल दिया.
भाजपा की आक्रामक प्रचार रणनीति के तहत अमित शाह 14 मई को तेलंगाना का दौरा करेंगे और सभी केंद्रीय मंत्री एक के बाद एक राज्य का दौरा करेंगे. भाजपा ने मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव के खिलाफ जोरदार अभियान शुरू किया है. अगर भाजपा इस साल के अंत में गुजरात और हिमाचल को बरकरार रखती है, तो केसीआर के लिए भाजपा के हमले का सामना करना बहुत मुश्किल होगा. विपक्षी दलों को एकजुट करने की केसीआर की व्यग्रता को तेलंगाना में भाजपा के उदय के संदर्भ में देखा जा सकता है.