'Happy Women's Day' क्या वाकई महिलाओं की स्थिति हैप्पी है?

By जोयिता भट्टाचार्या | Published: March 8, 2018 01:50 PM2018-03-08T13:50:01+5:302018-03-08T13:50:01+5:30

महिला सशक्तिकरण के बाद भी 21वीं सदी में महिलाओं के साथ भेदभाव होता है।

Happy women's day 2018: Are women really Feel happy with current position ? | 'Happy Women's Day' क्या वाकई महिलाओं की स्थिति हैप्पी है?

'Happy Women's Day' क्या वाकई महिलाओं की स्थिति हैप्पी है?

भारत में महिलाओं की स्थिति में पिछले कुछ सालों से काफी बदलाव आया है। अगर कुछ खबरों की मानें तो ये सही है। भारत में पहली महिला फाइटर पायलट हो या महिला क्रिकेट टीम का शानदार प्रदर्शन से लगता है देश में महिलाएं आगे बढ़ रही हैं और उनको बढ़ने के अवसर भी मिल रहे हैं। लेकिन वहीं दूसरी ओर राजस्थान के किसी गांव में नाबालिग लड़की का ब्याह एक उम्रदराज आदमी के साथ कराया जा रहा था। तो ये मान लेना कि महिलाएं शोषण से मुक्त हैं, सच से कोसों दूर है। राजस्थान वाली घटना शोषण नहीं तो और क्या है।

पहले पुरूष प्रधान समाज में महिलाओं को अपने अस्तित्व के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता था। पुराने समय से लेकर वर्तमान समय तक भारत में स्त्रियों की स्थिति परिवर्तनशील रही है। हमारे समाज में सिर्फ पुरूषों ने ही स्त्रियों का शोषण किया है ऐसा नहीं है बल्कि पुरूषों से ज्यादा उन्हें दूसरी स्त्रियों से भी उपेक्षा का सामना करना पड़ा है। पुरूषों के अहम भाव ने पुराने समय में महिलाओं को शिक्षा से दूर रखा। इसी अशिक्षा के कारण महिलाओं को अपमानित और प्रताड़ित होना पड़ा। वहीं दूसरी ओर राजा राममोहन राय, महात्मा गांधी जैसे कई महापुरूषों ने महिला उत्थान के लिए काम भी किया। महिलाओं ने भारत की आजादी की लड़ाई में अपनी जांबाजी का परिचय दिया है।

अमेरिकन राजनेता सैम रायबर्न के अनुसार- स्त्रियों ने ही प्रथम सभ्यता की नींव डाली है और उन्होंने ही जंगलों में मारे-मारे भटकते हुए पुरुषों का हाथ पकड़कर अपने स्तर का जीवन प्रदान किया और घर में बसाया|

अगर आजादी के बाद की बात करें तो देश की महिलाओं को शिक्षा का, वोट देने का और मौलिक अधिकारों का हक दिया गया है। धीरे-धीरे परिस्थितियां बदल रही है। आज महिलाएं बिना किसी के सफलता के मुकाम तक पहुंच रही है। आज के समय में महिलाएं हर क्षेत्र में पुरूषों से कंधे से कंधा मिला कर चल रही है। भारत में आज महिलाएं आर्मी, एयरफोर्स, पुलिस, आईएस, डीएम, इंजीनियर, डॉक्टर, आईटी जैसे सभी पदों पर बैठी है। अब परिवार में बेटे-बेटियों में कोई फर्क नहीं समझा जाता है।

लेकिन क्या सच में यह स्थित पूरे समाज या देश में है। नहीं! अभी भी समाज में कुछ ऐसे तबके के लोग है जहां महिलाओं को उनके अधिकारों से वंछित रखा गया है। 

सही मायने में महिला दिवस तो तब मनाया जायेगा जब किसी महिला को दहेज के लिए प्रताड़ित कर जिंदा नहीं जलाया जाएगा। उन्हें मानसिक व शारीरिक रूप से पूरी आजादी मिलेगी। जहां लड़के की चाह में कन्या भ्रूण हत्या नहीं होगी।

Web Title: Happy women's day 2018: Are women really Feel happy with current position ?

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