विज्ञान लेखक अभिषेक कुमार सिंह का ब्लॉग: हैकिंग पर कब होगी सर्जिकल स्ट्राइक?
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: March 7, 2019 03:05 PM2019-03-07T15:05:21+5:302019-03-07T15:05:21+5:30
साइबर सुरक्षा के मामले में हमारे देश में ठीक वैसा ही रवैया अपनाने की जरूरत है जैसा उड़ी हमले के बाद सर्जिकल स्ट्राइक और पुलवामा हमले के बाद एयर स्ट्राइक के रूप में अपनाया गया है, यानी साइबर आतंकियों के संपूर्ण सफाए की कार्रवाई करना।
इंटरनेट के प्रचार-प्रसार का दौर शुरू होने के बाद से यह लगातार कहा जाता रहा है कि भविष्य की सबसे बड़ी चुनौती साइबर जंग होगी। साइबर जंग या आतंकवाद का हैकिंग के रूप में भी एक चेहरा ऐसा हो सकता है जिसमें सरकारी वेबसाइटों को निशाना बनाया जाए। इसकी एक बड़ी मिसाल हाल में पुलवामा आतंकी हमले के बाद मिली। दावा किया गया कि पाकिस्तान में बैठे हैकरों ने पुलवामा की घटना के बाद भारत सरकार से जुड़ी कम से कम 90 वेबसाइटों को हैक कर लिया। इनमें खास तौर से वित्तीय संचालन और पॉवरग्रिड से संबंधित वेबसाइटें हैकरों के निशाने पर थीं।
हैकिंग की इस घटना ने साबित कर दिया है कि साइबर सुरक्षा के मामले में हमारे देश में ठीक वैसा ही रवैया अपनाने की जरूरत है जैसा उड़ी हमले के बाद सर्जिकल स्ट्राइक और पुलवामा हमले के बाद एयर स्ट्राइक के रूप में अपनाया गया है, यानी साइबर आतंकियों के संपूर्ण सफाए की कार्रवाई करना।
सरकार छह साल पहले वर्ष 2013 में राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति जारी कर चुकी है जिसमें देश के साइबर सुरक्षा इंफ्रास्ट्रक्चर की रक्षा के लिए प्रमुख रणनीतियों को अपनाने की बात कही गई थी। इन नीतियों के तहत देश में चौबीसों घंटे काम करने वाले एक नेशनल क्रिटिकल इन्फार्मेशन प्रोटेक्शन सेंटर की स्थापना शामिल है, जो देश में महत्वपूर्ण इन्फार्मेशन इंफ्रास्ट्रक्चर की सुरक्षा के लिए एक नोडल एजेंसी के रूप में काम कर सके। सवाल है कि क्या इन उपायों को अमल में लाने में कोई देरी या चूक हुई है अथवा यह हमारे सूचना प्रौद्योगिकी तंत्न की कमजोर कड़ियों का नतीजा है कि एक ओर हैकर जब चाहें, जो चाहें सरकारी प्रतिष्ठानों की वेबसाइटें ठप कर रहे हैं और दूसरी ओर साइबर आतंकी भी गतिविधियां चलाने में सफल हो रहे हैं?
वैसे तो हमारे देश में वर्ष 2015 में इंटरनेट के जरिये होने वाली आपराधिक गतिविधियों के नियंत्नण के लिए एक विशेष कार्यबल बनाया जा चुका है। इससे पूर्व यूपीए सरकार के समय भी ऐसी ही एक योजना पर काम शुरू किया गया था। साइबर हमले व डाटा चोरी रोकने, हैक किए हुए सिस्टम को जल्द बहाल करने और इंटरनेट के जरिये आपराधिक-आतंकी गतिविधियों में लगे लोगों की धरपकड़ कर उन्हें सजा दिलाने के वास्ते 2 जुलाई 2013 को एक राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति जारी की गई थी जिसमें देश के साइबर सुरक्षा इंफ्रास्ट्रक्चर की रक्षा के लिए प्रमुख रणनीतियों को रेखांकित किया गया है।
राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति में यह प्रस्ताव भी था कि ट्विटर जैसी विदेशी वेबसाइटें किसी भी भारतीय उपभोक्ता से संबंधित डाटा की होस्टिंग (सूचनाओं का आवागमन) भारत स्थित सर्वरों से ही कर पाएं, अन्यथा नहीं। इस व्यवस्था को अनिवार्य बनाने की योजना थी। साफ है कि इन योजनाओं पर सटीकता से काम नहीं हुआ, अन्यथा पाक हैकरों को पुलवामा के बाद भारतीय वेबसाइटों में सेंध लगाने का मौका ही नहीं मिल पाता।