गिरीश्वर मिश्र का ब्लॉगः आत्मनिर्भर भारत के लिए चाहिए मातृभाषा में शिक्षा 

By गिरीश्वर मिश्र | Published: February 21, 2023 08:54 AM2023-02-21T08:54:26+5:302023-02-21T08:55:25+5:30

भाषा समाज की विरासत और संपदा होती है जिसमें जीवन के सहज स्वर गूंजते हैं। यदि शिक्षा का आयोजन समाज की अपनी भाषा न होकर कोई पराई भाषा हो तो ज्ञान पाने का काम दुहरी-तिहरी कठिनाई वाला हो जाता है।

Girishwar Mishra's blog Self-reliant India needs education in mother tongue | गिरीश्वर मिश्र का ब्लॉगः आत्मनिर्भर भारत के लिए चाहिए मातृभाषा में शिक्षा 

गिरीश्वर मिश्र का ब्लॉगः आत्मनिर्भर भारत के लिए चाहिए मातृभाषा में शिक्षा 

आज शायद ही किसी की इस बात से असहमति हो कि उच्च शिक्षा देश के सर्वतोमुखी विकास के लिए अत्यंत आवश्यक निवेश है। उसी की सहायता से अनेक प्रकार की विविधताओं और विषमताओं वाले भारत में सबको सामर्थ्यवान बनाने की चुनौती का सामना किया जा सकेगा। शिक्षा के प्रभावी उपाय द्वारा इस लक्ष्य को साध पाने के लिए यह जरूरी होगा कि उच्च शिक्षा को अधिकाधिक समावेशी बनाया जाए ताकि उसकी पहुंच बढ़े और उसमें समाज के सभी वर्गों की भागीदारी सुनिश्चित की जा सके। तभी सभी वर्गों को उन्नति का अवसर मिल सकेगा। शिक्षा देने के उपायों में भाषा का उपयोग सर्वविदित है क्योंकि ज्ञान प्रायः भाषा में ही निबद्ध होता है और उसका समुचित सहयोग लिए बिना शिक्षा की प्रगति प्रतिबंधित ही रहेगी।

भाषा समाज की विरासत और संपदा होती है जिसमें जीवन के सहज स्वर गूंजते हैं। यदि शिक्षा का आयोजन समाज की अपनी भाषा न होकर कोई पराई भाषा हो तो ज्ञान पाने का काम दुहरी-तिहरी कठिनाई वाला हो जाता है। उस अतिरिक्त भाषा को अपनाना एक अतिरिक्त काम हो जाता है जो समाज की मूल भाषा में व्यवधान भी डालता है और ज्ञान अर्जित करने के काम को अधिक कठिन बना देता है। इस दृष्टि से विचार करने पर उच्च शिक्षा के लिए माध्यम के प्रश्न पर विचार करते हुए हमारा ध्यान भारत की भाषाई विविधता पर जाता है जो देश की एक प्रमुख सामाजिक विशेषता है। यहां पर एक हजार से ज्यादा भाषाएं हैं जो विश्व के अनेक भाषा-परिवारों का प्रतिनिधित्व करती हैं। इन भाषाओं का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है और इनका प्रयोग करने वालों की संख्या में बड़ी विविधता है। यदि प्रमुख भाषाओं की बात करें तो आज की स्थिति यह है कि संविधान की आठवीं अनुसूची में 22 भाषाओं को अंकित किया गया है जो प्रमुखता से आज प्रयोग में आ रही हैं। हिंदी को वैधानिक राजभाषा का दर्जा मिला हुआ है और अंग्रेजी सह राजभाषा है।

वर्तमान सरकार ने आत्मनिर्भर भारत और स्वदेशी की अवधारणा को विमर्श के केंद्र में लाकर सामर्थ्य के बारे में हमारी सोच को आंदोलित किया है। इसी कड़ी में नई शिक्षा नीति में मातृभाषा को शिक्षा के माध्यम के रूप में अवसर देने पर विचार किया गया है। शिक्षा स्वाभाविक रूप से संचालित हो, इसके लिए मातृभाषा में अनिवार्य रूप से दी जानी चाहिए। इसलिए बहुभाषिकता के आलोक में मातृभाषा का आदर करते हुए भाषा की निपुणता विकसित करना आवश्यक है। अमृत-महोत्सव के संदर्भ में प्रधानमंत्री ने गुलामी की मानसिकता से मुक्त होने के लिए आह्वान किया  है और इसके लिए मातृभाषाओं में शिक्षा की व्यवस्था जरूरी है।

Web Title: Girishwar Mishra's blog Self-reliant India needs education in mother tongue

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे