गौरीशंकर राजहंस का ब्लॉग: श्रमिकों के संकट पर देना होगा ध्यान

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: August 12, 2020 02:15 PM2020-08-12T14:15:16+5:302020-08-12T14:15:16+5:30

भारत की अर्थव्यवस्था ठीक-ठाक ही चल रही थी. अचानक ही कोरोना ने कहर ढहा दिया और रोजगार का भीषण संकट खड़ा हो गया.

Gaurishankar Rajhans Blog: Workers will have to pay attention to the crisis | गौरीशंकर राजहंस का ब्लॉग: श्रमिकों के संकट पर देना होगा ध्यान

कोरोना महामारी के बीच श्रमिकों के संकट पर ध्यान देना होगा। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

गौरीशंकर राजहंस
इसमें कोई संदेह नहीं कि कोरोना महामारी से सारा संसार त्रस्त है. परंतु भारत वर्तमान परिस्थितियों में सबसे अधिक त्रस्त दिखाई पड़ रहा है. सब कुछ ठीकठाक चल रहा था और ऐसा लग रहा था कि भारत बहुत शीघ्र सर्वशक्तिसंपन्न देश बन जाएगा. परंतु अचानक ही कोरोना महामारी फैल गई और उसने देश की संपन्नता को देखते ही देखते क्षत-विक्षत कर दिया. पूरा देश अनिश्चितता के दौर में फंस गया. बिहार, बंगाल, ओडिशा और तमिलनाडु जैसे राज्यों में अनेक लोगों को दो जून की रोटी भी नसीब नहीं हो रही है. जो लोग इस बीमारी से ठीक होकर घर पहुंचते हैं तो उनसे पूछा जाता है कि क्या वे दुबारा कामकाज के लिए पंजाब, हरियाणा, गुजरात, महाराष्ट्र आदि राज्यों में जाना चाहेंगे तो सभी एक स्वर में कहते हैं कि वे अपने लोगों के बीच मरना पसंद करेंगे बनिस्बत कि दूसरे प्रदेश जाकर कोरोना का शिकार बनें.

भारत की अर्थव्यवस्था ठीक-ठाक ही चल रही थी. अचानक ही कोरोना ने कहर ढहा दिया. छोटे बड़े सभी शहरों में हजारों कोरोना पीड़ित रोगी हैं और वे अन्य लोगों को भी इस बीमारी से संक्रमित कर रहे हैं. जो लोग शहरों से गांव लौटे हैं उनके सामने रोजगार का भीषण संकट खड़ा हो गया है. मनरेगा जैसी योजनाओं ने इन लोगों को कुछ तात्कालिक सुविधा दी है. परंतु ऐसा कितने दिनों तक चलेगा, यह कहना कठिन है. इन श्रमिकों के पास वापस काम पर लौट जाने के अलावा और कोई चारा नहीं है. लेकिन वापस काम पर लौटने से इन्हें इस महामारी से संक्रमित होकर मर जाने का भय सताता है. रोजगार के अभाव में ये प्रवासी कामगार पूरे परिवार को बिलखते हुए नहीं देख सकते हैं. सरकार ने मनरेगा और इसी तरह की दूसरी योजनाओं के द्वारा इन प्रवासी मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराने का प्रयास किया है. परंतु यह व्यवस्था स्थायी नहीं है और इन प्रवासी मजदूरों को अपना भविष्य अंधकारमय लगता है.

इसमें कोई संदेह नहीं कि पूरे देश में इन दिनों मंदी छाई हुई है और  कामगारों को रोजगार का कोई साधन उपलब्ध नहीं हो रहा है. कुल मिलाकर स्थिति अत्यंत ही उलझी हुई लगती है. दिल्ली, हरियाणा और पंजाब आदि राज्यों के कारखानों के मालिक उनको फिर से अपने काम पर बुलाने के लिए तैयार हैं. कई राज्यों में तो उन्हें वापस बुलाने के लिए कारखानों के मालिक बस भेजने को भी तैयार हैं. परंतु इन कामगारों के मन में इतना डर बैठा हुआ है कि वे वापस अपने काम पर लौटना नहीं चाहते हैं. गांव देहात में रोजगार के साधन उपलब्ध नहीं हैं और शहरों से प्रवासी मजदूर अपने गांव लौटे हैं उनके मन में डर बैठा हुआ है. ऐसे में सरकार को और जनता के प्रतिनिधियों को मिल कर रास्ता निकालना होगा.

Web Title: Gaurishankar Rajhans Blog: Workers will have to pay attention to the crisis

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