बापू की तस्वीर, दरी और ढोलक...जहां लोग दिखे, शुरू हो गया 'रघुपति राघव' गाना, मध्य प्रदेश में लग रहा अनूठा गांधी चौपाल

By पंकज चतुर्वेदी | Published: January 30, 2023 11:02 AM2023-01-30T11:02:15+5:302023-01-30T11:02:15+5:30

Gandhi Chaupal: A initiative to fulfill Mahatma Gandhi's dreams | बापू की तस्वीर, दरी और ढोलक...जहां लोग दिखे, शुरू हो गया 'रघुपति राघव' गाना, मध्य प्रदेश में लग रहा अनूठा गांधी चौपाल

बापू की तस्वीर, दरी और ढोलक...जहां लोग दिखे, शुरू हो गया 'रघुपति राघव' गाना, मध्य प्रदेश में लग रहा अनूठा गांधी चौपाल

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न कोई मंच, न अतिथि, न माला या स्वागत- गांव के किसी मंदिर में, कस्बे के किसी चबूतरे पर या किसी के घर के आंगन में या फिर खुले मैदान में- कभी बीस तो कभी 200, कभी उससे भी ज्यादा लोग एकत्र होते हैं. रघुपति राघव राजाराम- के गान से सभा शुरू होती है और फिर विमर्श खेती के संकट, गरीबी, महंगाई, गुस्से की पटरी पर उतर आता है. इन बैठकों को नाम दिया गया है- गांधी चौपाल. 

इसमें शामिल लोग खादी की सफेद टोपी अवश्य लगाते हैं. गांधी का स्वावलंबन का सिद्धांत क्या था और आज भी वह क्यों प्रासंगिक है, रोजगार या कुटीर उद्योग कैसे शुरू करें, शिक्षा क्यों जरूरी है, कुछ व्यक्तियों के हाथों में देश की अधिकांश संपदा आ जाने के क्या नुकसान हैं, ऐसे ही सवाल और जवाब चलते हैं और केंद्र में होता है कि महात्मा गांधी

आज की विषम परिस्थिति में गांव-स्वराज के साथ कैसे अनिवार्य हैं. पिछली दो अक्टूबर से मध्यप्रदेश के गांवों में गांधी विमर्श का यह स्वरूप लोगों को बहुत भा रहा है. 

यह सच है कि इसकी परिकल्पना करने वाले कांग्रेस से जुड़े हैं और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ इस तरह चौपाल आयोजन में नीति बनाने से लेकर क्रियान्वयन तक सीधे शामिल हैं, लेकिन यह अनुशासन स्थापित रखना कोई कम नहीं है कि इस तरह के आयोजनों में किसी नेता या राजनीतिक दल के समर्थन या विरोध की तकरीर, नारे, प्रशस्ति आदि होती नहीं-केवल और केवल गांधी की बातें हैं. 

इसमें भजन, सांस्कृतिक कार्यक्रम, नुक्कड़ नाटक, देशभक्ति व स्वतंत्रता संग्राम से संबंधित लघु फिल्मों का प्रदर्शन, कांग्रेस के नेतृत्व में हुए स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास पर चर्चा, वर्तमान राजनीतिक स्थिति, कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, सामाजिक कुरीतियों को समाप्त करने सहित अन्य मुद्दों पर चर्चा होती है. महंगाई और बेरोजगारी पर आमजन से बात की जाती है.

मध्यप्रदेश में अभी तक 17 हजार गांधी चौपाल लग चुकी हैं और इससे कई लाख लोग जुड़ चुके हैं. कुछ लोग तो इतने दीवाने हैं कि उनकी कार में गांधी बाबा की एक तस्वीर, एक दरी और ढोलक रहती है, रास्ते में जहां दो-चार लोग दिखे, वे रघुपति राघव... का गायन शुरू कर देते हैं. 

लोगों के करीब आने पर उन्हें गांधी के किस्से, कहानी, गांधी की आज जरूरत आदि पर बात करते हैं. पहले यह अभियान 30 जनवरी 2023 तक चलाया जाना था लेकिन अब इसके प्रति लोगों की जिज्ञासा को देख कर इसे अगले 2 अक्टूबर तक विस्तार दिया जा रहा है. अगले चरण में ई-चौपाल पर अधिक जोर दिया जाएगा ताकि शहरी, युवा और तकनीकी प्रेमी लोगों को घर बैठे गांधी विमर्श से जोड़ा जा सके.

Web Title: Gandhi Chaupal: A initiative to fulfill Mahatma Gandhi's dreams

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