ब्लॉग: जी-20 देशों ने देखी कश्मीर की बदलती तस्वीर

By ललित गर्ग | Published: May 24, 2023 06:57 AM2023-05-24T06:57:15+5:302023-05-24T06:58:10+5:30

जी-20 की बैठक का आयोजन कर भारत ने यह दिखा दिया है कि कश्मीर में अब कोई विवाद नहीं है और यह भारत का अभिन्न अंग है. लद्दाख और अरुणाचल में ऐसे आयोजन कर भारत ने यह भी संदेश दिया है कि यह सभी क्षेत्र भारत का अभिन्न हिस्सा हैं.

G-20 countries saw the changing picture of Jammu Kashmir | ब्लॉग: जी-20 देशों ने देखी कश्मीर की बदलती तस्वीर

ब्लॉग: जी-20 देशों ने देखी कश्मीर की बदलती तस्वीर

श्रीनगर में जी-20 के पर्यटन कार्यसमूह के तीन दिवसीय सम्मेलन से जम्मू-कश्मीर के बदलते सुखद एवं लोकतांत्रिक स्वरूप, पर्यटन को नई दिशा मिलने एवं बॉलीवुड के साथ रिश्ते मजबूत होने का आधार मजबूत हुआ है. बीते 75 साल से जो हालात रहे, जिनमें विदेशी ताकतों का भी हाथ रहा है, उसमें एक पनपी सामाजिक शोषण, आतंक, अन्याय, अशांति एवं पक्षपात की व्यवस्था को पूरी तरह समाप्त कर दिए जाने की तस्वीर सामने आई है. वैश्विक और टिकाऊ पर्यटन को प्रोत्साहन देने की दृष्टि से सम्मेलन का कश्मीर में आयोजन जम्मू-कश्मीर की 1.30 करोड़ की आबादी के लिए गौरव की बात है.

श्रीनगर में डल झील के किनारे शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में भारत सरकार ने जी-20 से जुड़े इस आयोजन को भव्य एवं सुरक्षित परिवेश देने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. चीन एवं पाकिस्तान के विरोध के बावजूद भारत ने अपने आंतरिक मामलों में किसी अन्य देश की आपत्ति सहन करने से साफ इंकार करते हुए न केवल साहस का परिचय दिया बल्कि भारत के हर तरह से शक्तिसम्पन्न होने का भी संकेत देकर विरोधी शक्तियों को चेताया है. 

भारत ने पड़ोसी देशों की न केवल अनदेखी की, बल्कि इन दोनों देशों को दोटूक जवाब भी दिया. ऐसा करना आवश्यक था, क्योंकि भारत को अपने किसी भी भूभाग में हर तरह के आयोजन करने का अधिकार है- वे चाहे अंतरराष्ट्रीय स्तर के ही क्यों न हों.

भारत न केवल आंतरिक मामलों में बल्कि दुनिया में अपनी स्वतंत्र पहचान को लेकर भी तत्पर है. दिनोंदिन शक्तिसम्पन्नता की ओर अग्रसर होते हुए चीन और पाकिस्तान को उसकी जमीन दिखाने में भारत सफल रहा है. चीन की दोगली नीति एवं कुचेष्टाओं का भारत ने करारा जवाब दिया है. कश्मीर के मामले में चीन अनेक बार अपनी फजीहत पहले भी करा चुका है. उसने पाकिस्तानी आतंकियों को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की ओर से प्रतिबंधित करने की पहल में हर बार अड़ंगा लगाया, लेकिन कई मौकों पर उसे मुंह की खानी पड़ी. 

चीन अपनी हरकतों से यही बता रहा कि आतंकवाद के मामले में उसकी कथनी-करनी में अंतर है. यह अंतर दुनिया भी देख रही है, लेकिन चीन सही रास्ते पर आने को तैयार नहीं. अकेला पड़ा चीन अपनी ही चालों से पस्त होता रहा है, उसने अरुणाचल प्रदेश में भी जी-20 की एक बैठक का बहिष्कार किया था, लेकिन भारत अपने निर्णय पर अडिग रहा.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रभावी नेतृत्व में भारत सरकार को अपना यह अडिग एवं साहसिक रवैया जारी रखते हुए चीन एवं पाकिस्तान को उसी की भाषा में जवाब निरंतर देते रहना चाहिए. भले ही श्रीनगर में जी-20 के पर्यटन कार्यसमूह की बैठक से चीन ने बाहर रहने का निर्णय किया है. उसका साथ तुर्किए भी दे रहा है. जबकि तुर्किये एवं सऊदी अरब के पर्यटन से जुड़े प्रतिनिधि शामिल हुए हैं. एक-दो अन्य देश भी इस बैठक में शामिल होने से भले ही मना करें, लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला. 

इस बैठक में 25 देशों के 60 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं. रूस-यूक्रेन में युद्ध दुनिया के लिए एक बड़ी चिंता है, समूची दुनिया युद्ध-मुक्त परिवेश चाहती है. कुछ चीन जैसे देश हैं जो इस सोच में बाधा बने हुए हैं. इसलिए स्पष्ट है कि अधिकांश देशों ने चीन को आईना दिखाना आवश्यक समझा. उनका यह फैसला चीन की फजीहत भी है और इस पर मुहर भी कि जम्मू-कश्मीर से विभाजनकारी अनुच्छेद 370 खत्म करने का भारत का निर्णय सही था.

इस बैठक का मकसद दुनिया को कश्मीर की बदलती तस्वीर दिखाना है. विदेशी राजनयिकों ने यह तस्वीर बहुत नजदीक से देखी है कि कश्मीर अशांति एवं आतंक की छाया से मुक्त हो रहा है और पाकिस्तान का यहां पर कोई प्रभाव नहीं है. घाटी की अवाम देश की मुख्यधारा में शामिल है और वह प्रशासन से मिलकर कश्मीर के विकास में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. अब जमीनी स्तर पर लोकतंत्र मजबूत हुआ है, नए उद्योग आ रहे हैं, द्रुत कृषि विकास वहां के गांवों को समृद्ध बना रहा है, बुनियादी ढांचे का विकास तेजी से हो रहा है और प्रौद्योगिकी पर सरकार की प्राथमिकताओं से जम्मू-कश्मीर को एक डिजिटल समाज में बदला जा रहा है.

जी-20 की बैठक का आयोजन कर भारत ने यह दिखा दिया है कि कश्मीर में अब कोई विवाद नहीं है और यह भारत का अभिन्न अंग है. लद्दाख और अरुणाचल में ऐसे आयोजन कर भारत ने यह भी संदेश दिया है कि यह सभी क्षेत्र भारत का अभिन्न हिस्सा हैं और भारत की संप्रभुता के अंतर्गत आते हैं. जब भी कोई देश किसी अंतरराष्ट्रीय समूह का प्रमुख होता है या ऐसे अंतर्राष्ट्रीय बैठकों की मेजबानी करता है तो स्थल का चयन करना उसका विशेषाधिकार होता है. 

कश्मीर को भारत का स्वर्ग कहा जाता है. कभी यहां लगातार फिल्मों की शूटिंग होती थी और कश्मीर के पर्यटन स्थल गुलमर्ग, सोनमर्ग, पहलगाम, डल झील और अन्य स्थलों पर फिल्मी सितारों का जमघट लगा रहता था लेकिन पाक प्रायोजित आतंकवाद ने कश्मीर के विकास को लील लिया था अब जनकल्याण के लिये समर्पित संकल्पों से नये कश्मीर को आकार दिया जा रहा है.

Web Title: G-20 countries saw the changing picture of Jammu Kashmir

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे