वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: अग्निकांडों से बचाव की तरकीब खोजें
By वेद प्रताप वैदिक | Published: May 16, 2022 03:25 PM2022-05-16T15:25:15+5:302022-05-16T15:25:15+5:30
दुर्भाग्य है कि अभी तक किसी सरकारी या गैर-सरकारी संगठन ने अग्निकांड से बचाव का ऐसा इंतजाम नहीं खोजा है कि जिससे सैकड़ों लोगों की जान तुरंत बचाई जा सके।
पिछले चार साल में दिल्ली में आगजनी की भयंकर घटनाएं हुई हैं। लेकिन न तो जनता ने कोई सबक सीखा और न ही सरकारों ने कोई मुस्तैदी दिखाई। इसीलिए दिल्ली के मुंडका क्षेत्र में जबर्दस्त लोमहर्षक अग्निकांड हो गया है। एक चार मंजिला भवन में कुछ कंपनियों के दफ्तर चल रहे थे। वहां न तो कोई कारखाना था और न ही कोई भट्टी या चूल्हा था। शायद बिजली की खराबी से आग लगी।
कई लोग खिड़कियों से कूदे तो उनके हाथ पांव टूट गए, कुछ लोग अपने अधजले शरीरों के साथ बाहर भागे और कुछ लोग उस भवन से इसलिए बाहर नहीं भाग पाए कि नीचे उतरने के लिए सिर्फ एक ही संकरी सीढ़ी थी। उस सीढ़ी पर भगदड़ थी और धुएं व आग ने उन्हें बिल्कुल बेकार बना दिया था।
दिल्ली में ही नहीं, देश के हर शहर में आजकल ऊंचे-ऊंचे भवनों का निर्माण हो रहा है। हर ऊंचा भवन खतरे की घंटी बजाता रहता है। उसमें कभी भी आग लग सकती है और उसका कारण कुछ भी हो सकता है। सरकारों ने ऐसी दुर्घटनाओं को रोकने के लिए कानून-कायदे जरूर बनाए हैं लेकिन उन्हें लागू करने में सर्वत्र ढिलाई देखी जाती है।
जब-जब इस तरह के अग्निकांड होते हैं तो हमारी फायर ब्रिगेड के कर्मचारी अपनी जान पर खेलकर नागरिकों की सुरक्षा करते हैं। उनकी बहादुरी सराहनीय है। इसी प्रकार आस-पास रहनेवाले नागरिक भी अग्निपीड़ितों को बचाने की भरपूर कोशिश करते हैं। वे सीढ़ियां लगा देते हैं, ऊपर से कूदनेवालों के लिए नीचे तिरपाल थामे रहते हैं लेकिन दुर्भाग्य है कि अभी तक किसी सरकारी या गैर-सरकारी संगठन ने अग्निकांड से बचाव का ऐसा इंतजाम नहीं खोजा है कि जिससे सैकड़ों लोगों की जान तुरंत बचाई जा सके।