ब्लॉग: भविष्य के चुनावों में रोजगार बनेगा बड़ा मुद्दा

By भरत झुनझुनवाला | Published: March 12, 2022 08:32 AM2022-03-12T08:32:22+5:302022-03-12T08:35:28+5:30

उत्तर प्रदेश में भाजपा की जीत अपेक्षा के अनुरूप है क्योंकि भाजपा सरकार ने कानून व्यवस्था में विशेष सुधार हासिल किया है. महत्वपूर्ण है पंजाब में आम आदमी पार्टी की जीत जो दर्शाती है कि केवल पुलवामा, कानून व्यवस्था अथवा रोजगार के सिर्फ वायदों से जनता का पेट नहीं भर रहा है.

employment will be a big issue in future elections | ब्लॉग: भविष्य के चुनावों में रोजगार बनेगा बड़ा मुद्दा

ब्लॉग: भविष्य के चुनावों में रोजगार बनेगा बड़ा मुद्दा

Highlightsयदि रोजगार न हो तो मुफ्त में मिल रही बिजली से चलने वाले पंखे के नीचे भी नींद नहीं आएगी.पूंजी खर्चो का विस्तार तो भाजपा बीते 7 वर्षो से करती आई है, फिर रोजगार बन क्यों नहीं रहे?यदि रोबोट में पूंजी निवेश किया जाए तो रोजगार का हनन होता है.

उत्तर प्रदेश में भाजपा की जीत अपेक्षा के अनुरूप है क्योंकि भाजपा सरकार ने कानून व्यवस्था में विशेष सुधार हासिल किया है. महत्वपूर्ण है पंजाब में आम आदमी पार्टी की जीत जो दर्शाती है कि केवल पुलवामा, कानून व्यवस्था अथवा रोजगार के सिर्फ वायदों से जनता का पेट नहीं भर रहा है. 

जनता को अपने जीवन स्तर में सुधार चाहिए. जिस प्रकार आप ने दिल्ली में बिजली, पानी, शिक्षा एवं स्वास्थ्य व्यवस्थाओं में सुधार किया है वही अपेक्षा पंजाब के लोगों की आप सरकार से होगी और इस दृष्टि से आप की जीत महत्वपूर्ण है. 

फिर भी बिजली, पानी की सीमा है. जनकल्याण का प्रत्यक्ष आधार बिजली, पानी, स्वास्थ्य एवं शिक्षा हो सकता है लेकिन इनके पीछे असल जरूरत रोजगार की ही होती है. यदि रोजगार न हो तो मुफ्त में मिल रही बिजली से चलने वाले पंखे के नीचे भी नींद नहीं आएगी. 

इस बात को केंद्र सरकार ने समझा भी है. वित्त मंत्री ने बजट में पूंजी खर्चो में भारी विस्तार किया है और आशा जाहिर की है कि इससे रोजगार बनेंगे. लेकिन पूंजी खर्चो का विस्तार तो भाजपा बीते 7 वर्षो से करती आई है, फिर रोजगार बन क्यों नहीं रहे?

कारण यह है कि पूंजी खर्चो से रोजगार बन भी सकते हैं और नष्ट भी हो सकते हैं. जैसे यदि रोबोट में पूंजी निवेश किया जाए तो रोजगार का हनन होता है. पूंजी निवेश अवश्य होता है लेकिन जो काम पहले श्रमिक द्वारा किया जा रहा था वह अब रोबोट द्वारा किए जाने से रोजगार का हनन होता है. 

दूसरी तरफ यदि वही पूंजी निवेश गांव की सड़क अथवा कस्बे के वाई-फाई में किया जाए तो रोजगार का सृजन होता है क्योंकि आम आदमी को अपने माल को बाजार तक पहुंचाने अथवा मार्केटिंग करने में सुविधा होती है.

हमारे सामने विशेष समस्या जनसंख्या की है. 70 एवं 80 के दशक में स्वास्थ्य सुविधाओं और भोजन की उपलब्धता में अपने देश में भारी सुधार हुआ था जिसके कारण बाल मृत्यु दर में गिरावट आई और उस समय हमारी जनसंख्या में भारी वृद्धि हुई. 

उस समय पैदा होने वाले बच्चे अब वयस्क हो चले हैं और अब यह श्रम बाजार में प्रवेश कर रहे हैं. इसलिए हमारे सामने चुनौती केवल वर्तमान रोजगार के स्तर को बनाए रखने की नहीं है. 

हमारे सामने चुनौती है कि अधिक संख्या में श्रम बाजार में प्रवेश कर रहे नए युवाओं के लिए अतिरिक्त रोजगार उत्पन्न करें. जबकि वस्तुस्थिति यह है कि अपने देश में मैन्युफैक्चरिंग में कुल रोजगार में गिरावट आ रही है क्योंकि उत्तरोत्तर पूंजी निवेश ऑटोमेटिक मशीनों में किया जा रहा है. इसलिए पूंजी निवेश से रोजगार उत्पन्न होने की संभावना कम ही है.

समस्या वैश्विक है लेकिन हमारी परिस्थिति ज्यादा प्रतिकूल है. एपीजे स्कूल ऑफ मैनेजमेंट द्वारा प्रकाशित एक पर्चे के अनुसार यदि हमारे जीडीपी में 1 प्रतिशत की वृद्धि होती है तो 0.2 प्रतिशत की वृद्धि रोजगार में होती है. 

दूसरे अध्ययन के अनुसार 1 प्रतिशत जीडीपी की वृद्धि से वैश्विक स्तर पर रोजगार में 0.3 प्रतिशत की वृद्धि होती है. अर्थ हुआ कि दूसरे देशों की तुलना में अपने देश में आर्थिक विकास से रोजगार कम बन रहे हैं जबकि हमारी जरूरत दूसरे देशों की तुलना में ज्यादा रोजगार बनाने की है.

इस परिस्थिति में हमको रोजगार पैदा करने पर विशेष ध्यान देना होगा. पहला कार्य यह किया जा सकता है कि ‘मेक इन इंडिया’ पर फोकस करने के स्थान पर हम ‘सर्व्ड फ्रॉम इंडिया’ पर ध्यान दें. 
जैसा ऊपर बताया गया है, मैन्युफैक्चरिंग में रोजगार उत्पन्न नहीं हो रहे हैं लेकिन तमाम ऐसी सेवाएं हैं जिनको ऑटोमेटिक मशीनों से नहीं किया जा सकता जैसे बच्चों को शिक्षा देना, अस्पतालों में मरीजों की सेवा करना, किताबों का ट्रांसलेशन करना, सिनेमा बनाना इत्यादि. 

यदि हम इन सेवाओं के उत्पादन पर ध्यान दें तो हम इन सेवाओं का संपूर्ण विश्व को निर्यात कर सकते हैं, जैसे अमेरिका के रोगियों को भारत में लाकर अच्छा स्वास्थ्य उपचार उपलब्ध कराया जा सकता है. 
महत्वपूर्ण बात यह है कि जहां मैन्युफैक्चरिंग में निवेश से रोजगार घटते हैं वहां सेवा क्षेत्र में निवेश से निश्चित रूप से रोजगार में वृद्धि होगी क्योंकि सेवाओं को ऑटोमेटिक मशीनों से प्रदान करना संभव नहीं है. 
यहां समस्या यह है कि अपने देश के युवा ट्रांसलेशन जैसी स्किल को हासिल करने में रुचि नहीं रखते हैं. उनके जीवन का एकमात्र सपना सरकारी नौकरी का है. 

वे देखते हैं कि सरकारी नौकर फल-फूल रहे हैं और भ्रष्टाचार की भी कमाई पा रहे हैं जबकि अन्य तमाम स्किल्ड लोगों की आय न्यून बनी हुई है. इसलिए उनका ध्यान स्किल हासिल करने में नहीं है. 

इसलिए सरकार को चाहिए कि सरकारी नौकरी का जो आकर्षण है उसको घटाए. इसका सीधा उपाय है कि सरकारी कर्मचारियों के वेतन को एक झटके में आधा कर दें तो युवाओं को सरकारी नौकरी का लालच कम हो जाएगा और वे स्किल हासिल करने पर ध्यान देना शुरू करेंगे.

दूसरा कदम सरकार यह उठा सकती है कि श्रम कानूनों को लचीला बनाया जाए. जैसा ऊपर बताया गया है, आज फैक्टरियों में उद्यमियों द्वारा ऑटोमेटिक मशीनों का उपयोग किया जाता है क्योंकि वे अधिक संख्या में श्रमिकों को रोजगार देने में हिचकते हैं. 

कारण यह कि अपने देश में श्रम कानून इतने सख्त हैं कि श्रमिक यदि मन लगाकर काम न करे तो उसे बर्खास्त करना लगभग असंभव हो जाता है. इसलिए मैन्युफैक्चरिंग में रोजगार का सृजन नहीं हो रहा है. 
उद्यमियों को श्रमिकों को रोजगार देने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए जरूरी है कि श्रम कानून को लचीला बनाया जाए. तब उद्यमियों द्वारा श्रमिकों का उपयोग बढ़ेगा और देश में रोजगार बढ़ेंगे. 

वर्तमान चुनाव में स्पष्ट हो गया है कि जनता को अपने जीवन स्तर में सुधार चाहिए और मेरा अनुमान है कि अगले चुनाव में रोजगार का मुद्दा प्रमुख होगा इसलिए समय रहते केंद्र एवं राज्य सरकारों को रोजगार नीति लागू करनी चाहिए जिससे कि देश में रोजगार पर्याप्त संख्या में उत्पन्न हो.

Web Title: employment will be a big issue in future elections

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