संपादकीय: कोविड-19 से संघर्ष को कमजोर करेगी राजनीति
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: May 28, 2020 04:57 AM2020-05-28T04:57:27+5:302020-05-28T04:57:27+5:30
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी आज मुख्यमंत्री से बातचीत कर स्पष्ट कर दिया कि कांग्रेस उनके समर्थन में मजबूती के साथ खड़ी है.
राष्ट्रवादी कांग्रेस के प्रमुख शरद पवार और भाजपा के कुछ नेता राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से क्या मिले, महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल मच गई. कयास लगाए जाने लगे कि कोविड-19 से निपटने में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की शैली से राकांपा और कांग्रेस दोनों नाराज हैं तथा वे शिवसेना के नेतृत्ववाली महाविकास आघाड़ी से अलग हो सकते हैं.
हालांकि पवार तथा कांग्रेस दोनों ने स्पष्ट कर दिया कि महाविकास आघाड़ी में कोई मतभेद नहीं है और सत्ता परिवर्तन के भाजपा के प्रयास सफल नहीं होंगे.
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी आज मुख्यमंत्री से बातचीत कर स्पष्ट कर दिया कि कांग्रेस उनके समर्थन में मजबूती के साथ खड़ी है. दूसरी ओर भाजपा नेता लगातार उद्धव सरकार पर जमकर प्रहार कर रहे हैं.
महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग भी कर रहे हैं. वैसे पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने दावा किया है कि उनकी पार्टी का उद्धव सरकार को गिराने का कोई इरादा नहीं है तथा यह सरकार अपने बोझ से खुद गिर जाएगी.
महाराष्ट्र इस वक्त कोविड-19 से जूझ रहा है. यह तथ्य किसी से छुपा नहीं है कि देश में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों तथा उससे जान गंवाने वालों की सबसे ज्यादा तादाद महाराष्ट्र में ही है.
उद्धव सरकार कोविड-19 का मुकाबला करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है. भाजपा के नेताओं का आरोप है कि शिवसेना के नेतृत्व वाली महाविकास आघाड़ी सरकार के पास इस महामारी का मुकाबला करने की रणनीति एवं क्षमता नहीं है.
कोविड-19 एक ऐसी महामारी है जिसने मानवीय संवेदनाओं को झकझोर दिया है. यही नहीं यह महामारी मनुष्य की प्रतिरोधक क्षमता के साथ-साथ उसके मानवीय गुणों की भी परीक्षा ले रही है. इस महामारी से निपटने के लिए वैचारिक एवं सैद्धांतिक मतभेदों को भुलाकर राजनीतिक दलों को एकजुटता दिखानी होगी.
दुर्भाग्य से हमारे देश में राजनीतिक दलों के बीच एक-दूसरे पर कीचड़ उछालने की प्रवृत्ति कुछ ज्यादा ही है. मुद्दा चाहे छोटा हो या बड़ा, आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति को राजनीतिक दलों ने अपनी गतिविधियों का अभिन्न हिस्सा बना लिया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस भयानक महामारी से निपटने के लिए एकजुटता की अपील कर रहे हैं लेकिन राजनीति का चरित्र ही हमारे देश में कुछ ऐसा हो गया है कि प्राकृतिक या मानवीय आपदा भी उनके लिए आरोप-प्रत्यारोप का हथियार बन जाती है. लगता है हमारे सार्वजनिक जीवन में संवेदनाएं खत्म होती जा रही हैं.
महाराष्ट्र की राजनीति में चल रही ताजा उथल-पुथल राजनीतिक दलों के इसी चरित्र को दर्शाती है. इस वक्त राजनीति करने से महाराष्ट्र सरकार का ध्यान भटक सकता है. इसका सीधा असर प्रशासन पर पड़ेगा और अंतत: कोविड-19 के विरुद्ध संघर्ष कमजोर हो जाएगा. राजनीति करने के लिए पूरा भविष्य पड़ा हुआ है लेकिन पहले हम कोविड-19 से जनता के वर्तमान को तो सुरक्षित बना लें.