संपादकीय: सत्ता हासिल करने के लिए सब कुछ जायज! 

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: December 31, 2018 05:43 AM2018-12-31T05:43:51+5:302018-12-31T05:43:51+5:30

राकांपा आलाकमान चाहे जितनी सफाई पेश करे, मगर अंदर ही अंदर कुछ न कुछ तो खिचड़ी पक ही रही थी. राजनीति में अहमदनगर एक अकेला उदाहरण नहीं है,

Editorial: Justifying everything to gain power! | संपादकीय: सत्ता हासिल करने के लिए सब कुछ जायज! 

संपादकीय: सत्ता हासिल करने के लिए सब कुछ जायज! 

अक्सर सत्ता को अनुमानों से परे माना जाता है. किंतु सत्ता का रास्ता नीतियों, सिद्धांतों के सहारे ही बनता है. हाल के दिनों में यह देखने में आ रहा है कि सत्ता के लालच में राज और नीति दोनों अलग-अलग मार्ग पर चल पड़े हैं. वैचारिक आधार तो कोसों दूर रह गया है, तालमेल के नाम पर बिना किसी आधार के सत्ता पर कब्जा करने की परंपरा चल पड़ी है.

इसका ताजा उदाहरण अहमदनगर महानगरपालिका के महापौर पद के चुनाव में शुक्रवार को दिखा, जहां नाटकीय घटनाक्रम में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सहयोग से सबसे कम नगरसेवकों वाली भारतीय जनता पार्टी का महापौर बन गया है. दोनों दलों के मिलकर खेले गए दांव से महानगरपालिका में सबसे ज्यादा नगरसेवकों वाली शिवसेना हाथ पर हाथ रखे बैठी रह गई. हालांकि चुनाव के बाद राकांपा ने भाजपा को समर्थन देने वाले अपने नगरसेवकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. मगर यह सब कुछ इतनी आसानी से नहीं हुआ.

राकांपा आलाकमान चाहे जितनी सफाई पेश करे, मगर अंदर ही अंदर कुछ न कुछ तो खिचड़ी पक ही रही थी. राजनीति में अहमदनगर एक अकेला उदाहरण नहीं है, बल्कि राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर सत्ता के करीब पहुंचने पर समीकरण इसी तरह बदल जाते हैं. इस काम में कोई भी दल अपवाद नहीं है. लेकिन देश में यह नीति से परे राज पाने की नई विवशता बन चुकी है. राकांपा केंद्र और राज्य में हर स्तर पर भाजपा को निशाना बनाने में कोई कोशिश छोड़ नहीं रही है. ऐसे में एक-दो ही नहीं, बल्कि 18 नगरसेवकों का भाजपा के समर्थन में खड़ा होना राकांपा की सोच पर सवालिया निशान है.

संभव है कि दिखावे के लिए कुछ नगरसेवकों पर कार्रवाई हो भी जाए, मगर जो सामने है उसे किसी भी राजनीतिक दृष्टिकोण से सही ठहराना संभव नहीं है. सत्ता के लालच में सब कुछ जायज सिद्धांत मानने वाले राजनीतिज्ञों के लिए यह भी एक अवसर है. इस बात को खारिज नहीं किया जा सकता कि आने वाले दिनों में कुछ और सुनहरे अवसर बनें और लोग राजनेताओं से उनकी विचारधारा की दवा पीकर लोकतंत्र में सत्ता का महत्व समझते रहें. उनके बहकावे में देश की भोली-भाली जनता अपना मत देती रहे.

Web Title: Editorial: Justifying everything to gain power!

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