लाइव न्यूज़ :

पंकज चतुर्वेदी का ब्लॉगः भयावह तेजी से बढ़ता मधुमेह

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: October 16, 2019 07:11 IST

जान कर आश्चर्य होगा कि बीते एक साल में सरकारी आंकड़ों के मुताबिक भारत के लोगों ने डायबिटीज या उससे उपजी बीमारियों पर सवा दो लाख करोड़ रुपए खर्च किए जो कि हमारे कुल सालाना बजट का 10 फीसदी है.

Open in App
ठळक मुद्देदो साल पहले के सरकारी आंकड़ों को सही मानें तो उस समय देश में कोई सात करोड़ तीस लाख लोग ऐसे थे जो मधुमेह या डायबिटीज की चपेट में आ चुके थे. अनुमान है कि सन 2045 तक यह संख्या 13 करोड़ को पार कर जाएगी.

पंकज चतुव्रेदीदो साल पहले के सरकारी आंकड़ों को सही मानें तो उस समय देश में कोई सात करोड़ तीस लाख लोग ऐसे थे जो मधुमेह या डायबिटीज की चपेट में आ चुके थे. अनुमान है कि सन 2045 तक यह संख्या 13 करोड़ को पार कर जाएगी. मधुमेह वैसे तो खुद में एक बीमारी है लेकिन इसके कारण शरीर के खोखला होने की जो प्रक्रिया शुरू होती है उससे मरीजों की जेब भी खोखली हो रही है और देश के मानव संसाधन की कार्य क्षमता पर विपरीत असर पड़ रहा है. 

जान कर आश्चर्य होगा कि बीते एक साल में सरकारी आंकड़ों के मुताबिक भारत के लोगों ने डायबिटीज या उससे उपजी बीमारियों पर सवा दो लाख करोड़ रुपए खर्च किए जो कि हमारे कुल सालाना बजट का 10 फीसदी है. बीते दो दशक के दौरान इस बीमारी से ग्रस्त लोगों की संख्या में 65 प्रतिशत बढ़ोत्तरी होना भी कम चिंता की बात नहीं है.

पहले मधुमेह, दिल के रोग आदि खाते-पीते या अमीर लोगों की बीमारी माने जाते थे लेकिन अब यह रोग ग्रामीण, गरीब बस्तियों और तीस साल तक के युवाओं को शिकार बना रहा है. इसमें कोई शक नहीं कि डायबिटीज जीवन शैली बिगड़ने पर उपजने वाला रोग है, तभी बेहतर भौतिक सुख-सुविधा हासिल करने की अंधी दौड़ तो खून में शर्करा की मात्र बढ़ा ही रही है, कुपोषण, घटिया गुणवत्ता वाला सड़क छाप व पैक्ड भोजन भी इसके मरीजों की संख्या में इजाफा करने का बड़ा कारक है. 

बदलती जीवन शैली कैसे मधुमेह को आमंत्रित करती है इसका सबसे बड़ा उदाहरण लेह-लद्दाख है. भीषण पहाड़ी इलाका, जहां लोग खूब पैदल चलते थे, जीवकोपार्जन के लिए खूब मेहनत करनी पड़ती थी, सो लोग कभी बीमार नहीं हाते थे. लेकिन पिछले कुछ दशकों में वहां बाहरी प्रभाव और पर्यटक बढ़े.

उनके लिए घर में जल की व्यवस्था वाले पक्के मकान बने. बाहरी दखल के चलते यहां अब चीनी यानी शक्कर का इस्तेमाल होने लगा और इसी का कुप्रभाव है कि स्थानीय समाज में अब डायबिटीज जैसे रोग घर कर रहे हैं. ठीक इसी तरह अपने भोजन के समय, मात्र, सामग्री में परिवेश व शरीर की मांग के मुताबिक सामंजस्य न बैठा पाने के चलते अमीर और सर्वसुविधा संपन्न वर्ग के लोग बड़ी संख्या में मधुमेह से पीड़ित हो रहे हैं.

टॅग्स :डायबिटीज
Open in App

संबंधित खबरें

स्वास्थ्यमधुमेह का महाप्रकोप रोकने की क्या तैयारी ?

विश्वअमेरिका डायबिटीज, मोटापा जैसी स्वास्थ्य समस्याओं वाले विदेशियों को वीज़ा देने से कर सकता है मना

स्वास्थ्यडायबिटीज की बढ़ती महामारी, भारत में 60 करोड़ लोग खतरे की दहलीज पर, बच्चों से लेकर वृद्धों तक स्थिति चिंताजनक

स्वास्थ्यमधुमेह, हृदय रोग और कैंसर केस में बढ़ोतरी?, डॉक्टरों के एक समूह ने कहा-भारत स्वास्थ्य संकट के कगार पर खड़ा

स्वास्थ्यDiabetes Risk Alert: 2019 में देश के 45 साल और उससे अधिक आयु के हर 5 शख्स में से एक को डायबिटीज, रिसर्च में खुलासा

भारत अधिक खबरें

भारतDelhi: 18 दिसंबर से दिल्ली में इन गाड़ियों को नहीं मिलेगा पेट्रोल और डीजल, जानिए वजह

भारतYear Ender 2025: चक्रवात, भूकंप से लेकर भूस्खलन तक..., विश्व भर में आपदाओं ने इस साल मचाया कहर

भारतAadhaar card update: आधार कार्ड से ऑनलाइन फ्रॉड से खुद को रखना है सेफ, तो अभी करें ये काम

भारतदिल्ली में 17 दिसंबर को ‘लोकमत पार्लियामेंटरी अवॉर्ड’ का भव्य समारोह

भारतछत्तीसगढ़ को शांति, विश्वास और उज्ज्वल भविष्य का प्रदेश बनाना राज्य सरकार का अटल संकल्प: 34 माओवादी कैडरों के आत्मसमर्पण पर बोले सीएम साय