डॉ. एस.एस. मंठा का ब्लॉग: रोजगार के मुद्दे पर विफलता

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: March 15, 2019 10:06 PM2019-03-15T22:06:40+5:302019-03-15T22:06:40+5:30

भारत की कुल जनसंख्या में से 50 प्रतिशत 25 वर्ष से कम आयुवर्ग की है, जबकि 65 प्रतिशत लोग 35 वर्ष से कम आयु के हैं. वर्ष 2020 तक एक भारतीय की औसत आयु 29 वर्ष होगी, जबकि चीन में यह औसत 37 और जापान में 48 रहेगा.

Dr. S. S. Mandaat Blog: Failure on Employment Issues, Unployment in india | डॉ. एस.एस. मंठा का ब्लॉग: रोजगार के मुद्दे पर विफलता

डॉ. एस.एस. मंठा का ब्लॉग: रोजगार के मुद्दे पर विफलता

आतंकवादियों द्वारा किए गए हमले और उसके जवाब में भारत द्वारा की गई एयर स्ट्राइक पर चर्चाओं को विराम देते हुए, अब राजनीतिक दलों को आर्थिक विकास तथा उससे होने वाले रोजगार निर्माण और किसानों के संकट को दूर करने पर चर्चा करनी चाहिए. भारत, जो कि दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से है, का विकास मंद पड़ गया है. 2018 की पहली तिमाही में विकास दर 8.2 प्रतिशत थी, जो कि दूसरी तिमाही में 7.1 प्रतिशत हो गई और तीसरी तिमाही में यह 6.6 प्रतिशत पर पहुंच गई. घरेलू और बाहरी मांग कमजोर होने की वजह से विकास दर सात प्रतिशत से नीचे पहुंची है. मूल्यवर्धित विकास दर दूसरी तिमाही में 6.9 प्रतिशत दर्ज की गई, जबकि पहली तिमाही में यह आठ प्रतिशत थी. यह चिंताजनक है, क्योंकि देश की उत्पादन क्षमता बढ़ने पर देश विकास की ओर अग्रसर होता है और इससे जीडीपी में वृद्धि होती है, नए रोजगार पैदा होते हैं.  

भारत की कुल जनसंख्या में से 50 प्रतिशत 25 वर्ष से कम आयुवर्ग की है, जबकि 65 प्रतिशत लोग 35 वर्ष से कम आयु के हैं. वर्ष 2020 तक एक भारतीय की औसत आयु 29 वर्ष होगी, जबकि चीन में यह औसत 37 और जापान में 48 रहेगा. देश में 16 से 64 वर्ष आयुवर्ग में कामगारों की संख्या 2017 में 51 प्रतिशत थी, जो 2018 में गिरकर 48 प्रतिशत पर पहुंच गई. 1990 में यह आंकड़ा 59.4 प्रतिशत था. इस तरह रोजगार में गिरावट स्पष्ट दिखती है.  

नई पद्धति और साधनों का उपयोग किया जाए तो उत्पादन में वृद्धि हो सकती है. लेकिन नए प्रयोग करने के मामले में दुनिया में भारत 57वें क्रमांक पर है. हम आज भी आयातित तकनीकी ज्ञान के इस्तेमाल पर ही ज्यादा निर्भर हैं. हमें स्वदेशी तकनीक से निर्मित उत्पादों और प्रक्रियाओं के माध्यम से आर्थिक विकास को आगे बढ़ाने के लिए अभी लंबा रास्ता तय करना है. 

ग्राहकों की बाजार में आवाजाही को बढ़ाने के लिए हमें व्यापार के विनियमन और टैक्स में कमी लानी होगी. साथ ही व्यापार में आने वाली अड़चनों को दूर करना होगा. विश्व व्यापार संगठन के एक अध्ययन के अनुसार वर्ष 2018 में भारत के व्यापार में 4.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि 2017 में यह वृद्धि 4.7 प्रतिशत की थी. 2019 में यह वृद्धि 4 प्रतिशत अपेक्षित है. 2017 में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 43 बिलियन डॉलर था, जबकि 2018 में यह घटकर 28 बिलियन डॉलर रह गया. इन सबका संयुक्त असर ग्रामीण और शहरी भागों में रोजगार की कमी के रूप में पड़ा है. 

Web Title: Dr. S. S. Mandaat Blog: Failure on Employment Issues, Unployment in india

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