डॉ. अंजनी कुमार झा का ब्लॉग: मध्य वर्ग की कमर तोड़ती महंगाई

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: June 29, 2021 01:33 PM2021-06-29T13:33:14+5:302021-06-29T13:34:23+5:30

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की रिसर्च के मुताबिक, 2020-2021 में प्रति व्यक्ति आय 8637 रुपए घटी है. असंगठित क्षेत्न में बेरोजगारी और वेतन में कटौती के कारण आय में 16 हजार करोड़ रुपए की कमी आई है.

Dr Anjani Kumar Jha Blog about Inflation Breaking the Back of the Middle Class | डॉ. अंजनी कुमार झा का ब्लॉग: मध्य वर्ग की कमर तोड़ती महंगाई

(फोटो सोर्स- सोशल मीडिया)

आपदाकाल में आसमान छूती मंहगाई से देश की आर्थिक स्थिति अत्यंत खराब हो गई है. बेरोजगारी सुरसा की भांति मध्य वर्ग के सुख-चैन को खत्म कर रही है. डेढ़ वर्ष में आत्महत्या के मामले चौंकाने वाली गति से बढ़े हैं. बंद हो रहे कल-कारखाने खुल नहीं रहे हैं. पहले लॉकडाउन के खत्म होते ही पुन: बड़ी संख्या में आस लिए अपने-अपने घर से निकले कामगार फिर खाली हाथ लौट गए. दूसरी लहर में मध्य वर्ग के ज्यादा लोगों की जानें गईं. प्राइवेट अस्पतालों की लूट का शिकार यही वर्ग हुआ और अब बीमा कंपनियां क्लेम देने से पीछे हट रही हैं. यह वर्ग खास तौर पर बीमा बीमारी और दुर्घटना के लिए लेता है, किंतु सबसे ज्यादा ठगा जाता है.

वैसे तो अर्थव्यवस्था 2016-17 वित्तीय साल की तीसरी तिमाही से ही लगातार गिर रही है और उसकी गिरावट 8.6 फीसदी से शुरू होकर 2019-20 की आखिरी तिमाही में चार फीसदी पर जा पहुंची. कई चरणों के लॉकडाउन के कारण देश बहुत पीछे चला गया. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी की रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रामीण भारत में नौकरियों के अवसर देनेवाले तीन बड़े क्षेत्न कृषि, निर्माण और छोटे पैमाने के निर्माण कार्य पूरी तरह ध्वस्त हो गए. भारत ने हर हफ्ते 58 हजार करोड़ रुपए गंवाए. मिल्टन फ्रीडमैन कहते थे कि महंगाई कानून के बिना लगाया जानेवाला टैक्स है. 

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की रिसर्च के मुताबिक, 2020-2021 में प्रति व्यक्ति आय 8637 रुपए घटी है. असंगठित क्षेत्न में बेरोजगारी और वेतन में कटौती के कारण आय में 16 हजार करोड़ रुपए की कमी आई है.  उत्पादन की रीढ़ एमएसएमई नाजुक दौर में है जो निर्माण में 45 प्रतिशत और निर्यात में 40 प्रतिशत का योगदान तथा 12 करोड़ लोगों को रोजगार देते हैं. जून, 2020 के सर्वे के मुताबिक, एमएसएमई में लगे 35 फीसदी और स्वरोजगार में 37 फीसदी मध्य वर्ग के लोगों को महामारी की वजह से कारोबार बंद करने पड़े. पहली लहर को ग्रामीण अर्थव्यवस्था ने संकटमोचक के रूप में संभाला, किंतु दूसरी लहर में यह पूरी तरह चौपट हो गई.

मोतीलाल ओसवाल सर्विसेज की रिपोर्ट के मुताबिक, दूसरी लहर के बाद मध्य वर्ग की बचत 8.4 फीसदी गिरी है. आरबीआई के मार्च के बुलेटिन के मुताबिक, 2020- 2021 में मध्य वर्ग के परिवारों पर कर्ज बढ़कर जीडीपी के 37.1 प्रतिशत पर पहुंच गया था. 31 मई तक 76 लाख 31 हजार लोगों ने पीएफ से 18 हजार 698 करोड़ 15 लाख रुपए की निकासी की. इस विषम परिस्थिति से जल्द ही मध्यम वर्ग को उबारने की आवश्यकता है.

Web Title: Dr Anjani Kumar Jha Blog about Inflation Breaking the Back of the Middle Class

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